निर्भया मामलाः हाईकोर्ट ने कहा- सभी दोषियों को एक साथ फांसी दी जाए, न कि अलग- अलग

By भाषा | Updated: February 5, 2020 17:30 IST2020-02-05T17:30:04+5:302020-02-05T17:30:04+5:30

अदालत ने संबंधित अधिकारियों को इस बात के लिए दोषी भी ठहराया कि उन्होंने 2017 में उच्चतम न्यायालय द्वारा अभियुक्तों की अपील खारिज किए जाने के बाद मृत्यु वारंट जारी करने के लिए कदम नहीं उठाया।

Nirbhaya case: High court said - all the culprits should be hanged together and not separately | निर्भया मामलाः हाईकोर्ट ने कहा- सभी दोषियों को एक साथ फांसी दी जाए, न कि अलग- अलग

उच्च न्यायालय ने केंद्र की निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया।

Highlightsअदालत ने फांसी पर रोक के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ केंद्र की याचिका को खारिज कर दिया। चारों दोषियों को 18 दिसंबर 2019 को मौत की सजा देने के लिए मृत्यु वारंट जारी करने की मांग की थी।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के सभी दोषियों को एक साथ फांसी दी जाए, न कि अलग- अलग।

इसके साथ ही अदालत ने फांसी पर रोक के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ केंद्र की याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने संबंधित अधिकारियों को इस बात के लिए दोषी भी ठहराया कि उन्होंने 2017 में उच्चतम न्यायालय द्वारा अभियुक्तों की अपील खारिज किए जाने के बाद मृत्यु वारंट जारी करने के लिए कदम नहीं उठाया।

दिल्ली सरकार ने चारों दोषियों को 18 दिसंबर 2019 को मौत की सजा देने के लिए मृत्यु वारंट जारी करने की मांग की थी। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने दोषियों को निर्देश दिया कि वे उपलब्ध प्रावधानों के तहत एक हफ्ते के अंदर आवदेन कर सकते हैं, जिसके बाद अधिकारियों को कानून के अनुसार कार्रवाई करनी चाहिए। अदालत ने हालांकि कहा, “इस बात में मतभेद नहीं हो सकता है कि दोषियों ने देरी करने के हथकंडों को इस्तेमाल करके प्रक्रिया को बाधित किया है।”

उच्च न्यायालय ने केंद्र की निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। निचली अदालत ने दोषियों की फांसी पर रोक लगा दी थी। गौरतलब है कि केंद्र और दिल्ली सरकार ने निचली अदालत के 31 जनवरी के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसके जरिए मामले में चार दोषियों की फांसी पर ‘‘अगले आदेश तक’’ रोक लगा दी गई थी।

ये चार दोषी -- मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय कुमार शर्मा (26) और अक्षय कुमार (31)-- तिहाड़ जेल में कैद हैं। इससे पहले निर्भया के माता-पिता ने दिल्ली उच्च न्यायालय से केंद्र की उस याचिका पर जल्द निर्णय का अनुरोध किया था, जिसमें दोषियों की फांसी पर रोक को चुनौती दी गयी है।

निचली अदालत ने चारों दोषियों को 22 जनवरी की सुबह सात बजे फांसी की सजा देने के लिए सात जनवरी को मृत्यु वारंट जारी किया था, लेकिन उनमें से एक की दया याचिका लंबित होने के चलते उन्हें फांसी नहीं दी गई। इसके बाद 17 जनवरी को निचली अदालत ने एक फरवरी की तारीख तय की, लेकिन अदालत ने 31 जनवरी को फांसी की सजा स्थगित कर दी थी, क्योंकि दोषियों के वकील ने अदालत से फांसी पर अमल को ‘‘अनिश्चित काल’’ के लिए स्थगित करने की अपील की और कहा कि उनके कानूनी उपचार के मार्ग अभी बंद नहीं हुए हैं।

मुकेश और विनय की दया याचिका राष्ट्रपति के पास खारिज हो चुकी है जबकि पवन ने यह याचिका अभी नहीं दाखिल की है। अक्षय की दया याचिका एक फरवरी को दाखिल हुई और अभी यह लंबित है । इसके बाद केंद्र और राज्य सरकार ने एक फरवरी को उच्च न्यायालय का रुख किया और फांसी पर रोक लगाने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उच्च न्यायालय से कहा कि निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले के दोषी कानून के तहत मिली सजा के अमल में विलंब करने की सुनियोजित चाल चल रहे हैं। दोषियों के वकील ने इस याचिका का विरोध किया और कहा कि निचली अदालत में सुनवाई के दौरान कभी भी केंद्र सरकार पक्षकार नहीं थी और सरकार दोषियों पर देरी का आरोप लगा रही है, जबकि वह खुद अब जगी है। 

Web Title: Nirbhaya case: High court said - all the culprits should be hanged together and not separately

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