, निकिता, शांतनु ने ‘टूलकिट’ बनायी: दिल्ली पुलिस

By भाषा | Updated: February 15, 2021 21:26 IST2021-02-15T21:26:19+5:302021-02-15T21:26:19+5:30

, Nikita, Shantanu create 'toolkit': Delhi Police | , निकिता, शांतनु ने ‘टूलकिट’ बनायी: दिल्ली पुलिस

, निकिता, शांतनु ने ‘टूलकिट’ बनायी: दिल्ली पुलिस

नयी दिल्ली, 15 फरवरी दिल्ली पुलिस ने सोमवार को कहा कि जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि के साथ मुंबई की वकील निकिता जैकब और पुणे के इंजीनियर शांतनु ने किसानों के आंदोलन के संबंधित ‘‘टूलकिट’’ बनाई थी और भारत की छवि को धूमिल करने के लिए उसे अन्य लोगों के साथ साझा किया था।

पुलिस ने दावा किया कि बेंगलुरु से शनिवार को गिरफ्तार की गई दिशा रवि ने जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग को टेलीग्राम ऐप के जरिये ‘‘टूलकिट’’ भेजी थी और उस पर कार्रवाई करने के लिए उसे राजी किया था।

पुलिस ने बताया कि डाटा भी हटा दिया गया था। दिशा के टेलीग्राम खाते से पता चलता है कि ‘‘टूलकिट’’ से संबंधित कई लिंक हटाए गए थे।

‘टूलकिट’ में ट्विटर के जरिये किसी अभियान को ट्रेंड कराने से संबंधित दिशानिर्देश और सामग्री होती है।

दिल्ली पुलिस ने बताया कि किसानों के आंदोलन से जुड़ी एक ‘टूलकिट’ कथित तौर पर बनाने के लिए निकिता और शांतनु के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किये गये है।

दिल्ली पुलिस ने सोमवार को कहा कि जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि ने दो अन्य संदिग्धों निकिता जैकब और शांतनु के साथ मिलकर किसानों के विरोध प्रदर्शन से संबंधित ‘‘टूलकिट’’ बनायी और सोशल मीडिया पर साझा किया।

संयुक्त पुलिस आयुक्त (साइबर) प्रेम नाथ ने संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि दिशा ने ‘‘टूलकिट’’ फैलाने के लिए बनाए गए एक व्हाट्सएप समूह को हटा दिया था।

उन्होंने कहा, ‘‘टूलकिट का उद्देश्य भारत की छवि को धूमिल करना था।’’

पुलिस ने बताया कि शांतनु महाराष्ट्र के बीड जिले का एक निवासी है और वह पुणे से इंजीनियरिंग कर रहा है।

‘‘टूलकिट’’ को कुछ आलोचकों द्वारा भारत में विरोध प्रदर्शनों को बढ़ावा देने की उसकी साजिश के ‘‘सबूत’’ के रूप में उद्धृत किया गया है।

इस महीने की शुरुआत में, साइबर सेल ने ‘‘टूलकिट’’ के ‘‘खालिस्तानी समर्थक’’ निर्माताओं के खिलाफ ‘‘भारत सरकार के खिलाफ सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक युद्ध’’ छेड़ने के लिए एक प्राथमिकी दर्ज की थी।

उन पर आपराधिक साजिश, राजद्रोह और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

नाथ ने दावा किया कि निकिता और शांतनु ने ‘खालिस्तान समर्थक समूह’ पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन (पीएफजे) द्वारा ऑनलाइन जूम ऐप के माध्यम से आयोजित एक बैठक में भाग लिया और कहा कि जैकब भी ‘‘टूलकिट’’ दस्तावेज बनाने वालों में से एक था।

उन्होंने कहा, ‘‘दिशा, शांतनु और निकिता ने टूलकिट का निर्माण और संपादन किया। दिशा ने टेलीग्राम ऐप के जरिए ग्रेटा थनबर्ग को टूलकिट भेजी। दिशा ने उस व्हाट्सएप समूह को हटा दिया जो उसने टूलकिट को प्रचारित करने के लिए बनाया था। दिशा की गिरफ्तारी के दौरान विधिवत प्रक्रिया का पालन किया गया है।’’

यहां की एक अदालत ने रविवार को दिशा को पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया था।

नाथ ने कहा कि खालिस्तानी समर्थक समूह पीएफजे के संस्थापक मो धालीवाल ने कनाडा की एक महिला पुनीत के माध्यम से उनसे संपर्क किया था।

केन्द्र के नए कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान 26 जनवरी को पुलिस के साथ हिंसक झड़प हो गई थी। गणतंत्र दिवस पर हुई इस झड़प में 500 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए थे और एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई थी।

नाथ ने कहा, ‘‘निकिता, शांतनु, दिशा और अन्य लोगों ने टूलकिट का मसौदा बनाने में सहयोग किया। निकिता और उसके डिवाइस से मिली जानकारी के आधार पर, कई टीमों को महाराष्ट्र के बीड जिले और बेंगलुरु भेजा गया। शांतनु बीड में अपने घर पर नहीं मिला और हम उसकी तलाश कर रहे हैं।’’

पुलिस ने कहा कि दिशा, शांतनु और निकिता ने ‘‘टूलकिट’’ बनाया और संपादित किया।

उन्होंने कहा कि दिशा रवि को बेंगलुरु में उसकी मां की उपस्थिति में गिरफ्तार किया गया। दिशा की गिरफ्तारी के समय सभी प्रक्रियाओं का पालन किया गया।

पुलिस ने बताया कि 11 फरवरी को निकिता के घर की तलाशी के दौरान, दो लैपटॉप और एक आईफोन मिला था, जिसमें कई ‘‘गुप्त दस्तावेज’’ भी थे।

नाथ ने कहा कि निकिता अभी भी फरार है।

पुलिस ने कहा कि वे ‘‘टूलकिट’’ के संबंध में पीटर फ्रेडरिक नामक एक व्यक्ति की भूमिका की भी जांच कर रहे हैं।

पुलिस ने बताया कि फ्रेडरिक 2006 के अंत से भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठानों की रडार पर है, जब उन्हें भजन सिंह भिंडर उर्फ इकबाल चौधरी की कंपनी में देखा गया था। भिंडर आईएसआई के , के2 डेस्क से जुड़ा प्रमुख व्यक्ति है । फ्रेडरिक का जुड़ाव भिंडर से है ।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘उसका (पीटर्स का) नाम दस्तावेज़ में क्यों है। क्या उन्होंने उसे मो.धालीवाल के माध्यम से फ्रेडरिक से संपर्क किया या सीधे उनसे संपर्क किया, यह जांच का विषय है।

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