वन भूमि मेदांता अस्पताल को इस्तेमाल के लिए देने पर हरियाणा के वन विभाग को एनजीटी की फटकार

By भाषा | Updated: July 20, 2021 16:32 IST2021-07-20T16:32:36+5:302021-07-20T16:32:36+5:30

NGT reprimands Haryana Forest Department for giving forest land to Medanta Hospital for use | वन भूमि मेदांता अस्पताल को इस्तेमाल के लिए देने पर हरियाणा के वन विभाग को एनजीटी की फटकार

वन भूमि मेदांता अस्पताल को इस्तेमाल के लिए देने पर हरियाणा के वन विभाग को एनजीटी की फटकार

नयी दिल्ली, 20 जुलाई राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने गुरुग्राम स्थिति मेदांता अस्पताल को वन भूमि का इस्तेमाल गैर वन कार्य के लिए करने की अनुमति देने पर हरियाणा के वन विभाग को फटकार लगाई है।

एनजीटी ने अदालत को अस्पताल पर निर्धारित प्रक्रिया के तहत वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचाने पर जुर्माना लगाने के साथ हर्जाना जमा कराने का निर्देश दिया है।

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने कहा कि हरियाणा शहरी विकास परिषद द्वारा वन भूमि को गैर वन कार्य हेतु अस्पताल को नीलाम कर गैर कानूनी कार्य किया गया है, वह कुल वर्तमान मूल्य (एनपीवी) का पांच गुना हर्जाना भरने के लिए जिम्मेदार है और इसके साथ ही निर्धारित प्रक्रिया के तहत वन को हुए नुकसान के एवज में हर्जाना जमा करे।

पीठ ने कहा, ‘‘सिद्धांत:, ऐसे मामलों में पूर्व स्थिति बहाल की जाती है और संरक्षित वन को कायम किया जाता है। हालांकि, अपरिवर्तनीय स्थिति पैदा की गई है जिसके लिए राज्य प्राधिकार पक्षकार है।’’

एनजीटी ने रेखांकित किया कि पर्यावरण मंत्रालय के क्षेत्रीय अधिकारी ने निरीक्षण रिपोर्ट में आरक्षित वन क्षेत्र के 5530 वर्ग गज क्षेत्र को लेकर सवाल उठाया है। मेदांता ने 3200 वर्ग गज जमीन लौटा दी है जिसकी पुष्टि सुनवाई के दौरान हरियाणा शहरी विकास परिषद के वकील ने की है। इस जमीन का इस्तेमाल आरक्षित वन के लिए होगा जबकि शेष 2330 वर्ग जमीन के लिए मेदांता ने अपने खर्च पर वैकल्पिक जमीन देने की पेशकश की है जिसका इस्तेमाल आरक्षित वन के लिए किया जा सकेगा।

एनजीटी ने साफ तौर पर कहा कि वैकल्पिक जमीन उद्देश्य के अनुकूल होनी चाहिए और इसपर अंतिम फैसला कानून के मुताबिक वन विभाग करेगा।

पीठ ने कहा, ‘‘मेदांता का यह तर्क न्योचित लग सकता है कि उसने सार्वजनिक नीलामी में जमीन ली है, लेकिन अवैध प्रक्रिया सामने आने के बावजदू मेदांता का बचाव करना प्रशंसनीय नहीं है। किसी भी सूरत में मेंदाता द्वारा वैकल्पिक जमीन की पेशकश करना धर्माथ कार्य नहीं है क्योंकि संरक्षित वन को कायम करना उसकी जिम्मेदारी है।हरियाणा का वन विभाग बराबर का जिम्मेदार है जो इस मुद्दे को उठाने में असफल रहा।

गौरतलब है कि एनजीटी गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) सर्व जन कल्याण सेवा समिति की याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें गुरुग्राम के सेक्टर 38 में कथित रूप से अस्पताल द्वारा किए गए निर्माण को हटाने का अनुरोध किया गया है।

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Web Title: NGT reprimands Haryana Forest Department for giving forest land to Medanta Hospital for use

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