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हिप्र में अवैध रेत खनन पर एनजीटी ने राज्य के मुख्य सचिव, डीजीपी को कार्रवाई करने का निर्देश दिया

By भाषा | Updated: August 3, 2021 16:33 IST

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नयी दिल्ली, तीन अगस्त हिमाचल प्रदेश में सभी नियामक प्राधिकारों की नजरों के सामने धड़ल्ले से अवैध रेत खनन होने पर हैरानगी जताते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को संबद्ध विभागों के साथ विचार-विमर्श कर इसका समाधान तलाशने तथा कानून व्यवस्था बहाल रखने का निर्देश दिया है।

एनजीटी ने कहा कि जिस हद तक नियमों का उल्लंघन हो रहा है और सुधारात्मक कार्रवाई करने में बेबसी दिखाये जाने पर वह स्तब्ध है।

न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि नियमों के उल्लंघनों से पर्यावरण और जन स्वास्थ्य को गंभीर खतरा पैदा हो रहा है।

पीठ ने 30 जुलाई के अपने आदेश में कहा, ‘‘हम हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव और डीजीपी को इस विषय पर सभी संबद्ध विभागों/प्राधिकारों के साथ विचार-विमर्श कर समाधान निकालने तथा कानून का उल्लंघन करने वालों के निजी हितों का संरक्षण करने के बजाय कानून व्यवस्था बहाल रखने का निर्देश देते हैं।’’

एनजीटी ने कहा कि वे हालात का जायजा ले सकते हैं और अवैध खनन रोकने के लिए आगे की कार्रवाई की योजना बना सकते हैं, इससे जुड़े अपराधों के लिए आपराधिक मामले दर्ज कर सकते हैं, उल्लंघन करने वाले वालों से मुआवजा वसूल सकते हैं और उनके पट्टे रद्द कर सकते हैं।

अधिकरण ने कहा कि यह सर्वविदित है कि प्राप्त अनुमति से भी अधिक गहराई तक अवैज्ञानिक और अवैध खनन लंबे समय से जारी है तथा इसके लिए जेसीबी/मिट्टी खोदने की मशीन जैसी प्रतिबंधित मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

एनजीटी ने कहा कि ऊना के जिलाधिकारी की रिपोर्ट से यह प्रदर्शित होता है कि जिले में करीब 518 पंजीकृत जेसीबी/ मिट्टी की खुदाई करने/मिट्टी हटाने वाली मशीन आदि उपकरण हैं।

अधिकरण ने कहा, ‘‘यह अविश्वसनीय है कि प्रशासन कार्रवाई करने में सक्षम नहीं है। ....ट्रकों की ओवरलोडिंग, अवैध खनन के रूप में चोरी को नियंत्रित करने में पुलिस की ओर से ढिलाई होती क्यों नजर आ रही है? खनन विभाग भी समान रूप से नाकाम रहा है। ’’

हरित अधिकरण ने कहा कि यह हैरान करने वाला विषय है कि जिलाधिकारी, जिला पुलिस, खनन विभाग, पर्यावरण विभाग और राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण सहित सांविधिक नियामकों के ठीक नाक के नीचे इस तरह से धड़ल्ले से नियमों का उल्लंघन हो रहा है।

पीठ ने कहा, ‘‘राज्य(सरकार) संविधान के तहत पर्यावरण के संरक्षण का न्यासी है। लोक विश्वास का सिद्धांत यहां लागू होता है। स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार नागरिकों का मूल अधिकार है। खनिज के रूप में प्राकृतिक संपदा नागरिकों की है, जिसका राज्य द्वारा संरक्षण करने की जरूरत है। ’’

अधिकरण ने ऊना जिले की सोम भद्रा नदी में अवैध खनन के खिलाफ राज्य के निवासी अमनदीप की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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