असकोट अभयारण्य पर नई अधिसूचना आसपास के गांवों के लिए वरदान

By भाषा | Updated: December 13, 2021 20:15 IST2021-12-13T20:15:21+5:302021-12-13T20:15:21+5:30

New notification on Askot sanctuary boon for nearby villages | असकोट अभयारण्य पर नई अधिसूचना आसपास के गांवों के लिए वरदान

असकोट अभयारण्य पर नई अधिसूचना आसपास के गांवों के लिए वरदान

पिथौरागढ़, 13 दिसंबर असकोट वन्यजीव अभयारण्य को पर्यावरण संवेदी क्षेत्र घोषित करने वाली नई अधिसूचना के जरिए पिथौरागढ़ जिले के धारचूला, मुनस्यारी और डीडीहाट उपमंडलों के 111 से अधिक गांवों को उसके दायरे से बाहर किए जाने से उनमें आधारभूत सुविधाओं के विकास का रास्ता साफ हो गया है।

केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा असकोट अभयारण्य को पर्यावरण संवेदी क्षेत्र घोषित करने की दो दिसंबर को जारी की गई अधिसूचना में उसका 146 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल कम कर दिया गया है जिसमें ये 111 गांव स्थित हैं।

वन अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि नई अधिसूचना जारी होने के बाद असकोट प्रदेश का ऐसा पहला अभयारण्य बन गया है जिसके अंदर कोई गांव नहीं हैं।

हाल तक पिथौरागढ़ के प्रभागीय वन अधिकारी रहे विनय भार्गव ने कहा कि 1986 में बने अभयारण्य को पर्यावरण संवेदी क्षेत्र घोषित किए जाने के बाद उसके दायरे से बाहर हुए 111 गांवों को बड़ी राहत मिली है जहां के निवासी लंबे समय से आधारभूत सुविधाओं के विकास की कमी के चलते परेशान थे।

पिथौरागढ़ से 54 किमी उत्तर में स्थित असकोट अभयारण्य को विशेष रूप से कस्तूरी मृग और अन्य दुर्लभ हिमालयी प्रजातियों के संरक्षण के लिए स्थापित किया गया था।

वन अधिकारी ने बताया कि अभयारण्य में हिम तेंदुए, हिम मुर्गे, मोनाल, कोकलाज के अलावा पक्षियों की 250 प्रजातियां और सरीसृपों की 37 प्रजातियां मौजूद हैं। यहां 2600 हिमालयी जड़ी-बूटियों की किस्में भी पायी जाती हैं।

आसपास के गांवों के निवासी इस बात को लेकर प्रसन्न हैं कि उनके गांवों में भी अब विकास हो सकेगा। डीडीहाट के निवासी संजू पंत ने कहा कि गोरी नदी के पार पश्चिम की तरफ की भूमि के अभयारण्य से बाहर होने के बाद लंबे समय से प्रस्तावित डीडीहाट से लेकर मुनस्यारी तक के मोटरमार्ग का निर्माण हो सकेगा जो आदिचौरा से होते हुए जाएगा।

मुनस्यारी उपमंडल के बराम क्षेत्र के ग्रामीणों के अनुसार, ज्यादातर गांव पिछले 39 ​वर्षों से आधारभूत सुविधाओं के विकास से वंचित हैं और इसी कारण वहां से पलायन भी हो रहा है। उनका मानना है कि नई अधिसूचना से गोरी नदी के पास के गांवों को भी सड़कें, स्कूल और अस्पताल मिल सकेंगे।

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