New NCERT textbooks: एनसीईआरटी की नई पाठ्यपुस्तक से मुगल-दिल्ली सल्तनत को हटाया?, महाकुंभ, भारतीय राजवंशों, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ को जोड़ा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 27, 2025 22:17 IST2025-04-27T22:01:43+5:302025-04-27T22:17:05+5:30

नई पाठ्यपुस्तकें राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) और स्कूल शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (एनसीएफएसई) 2023 के अनुरूप तैयार की गई हैं, जो स्कूली शिक्षा में भारतीय परंपराओं, दर्शन, ज्ञान प्रणालियों और स्थानीय संदर्भ को शामिल करने पर जोर देती हैं।

New NCERT textbooks Mughals, Delhi Sultanate dropped sacred geography Maha Kumbh Indian dynasties Make in India ‘Beti Bachao, Beti Padhao’ linked | New NCERT textbooks: एनसीईआरटी की नई पाठ्यपुस्तक से मुगल-दिल्ली सल्तनत को हटाया?, महाकुंभ, भारतीय राजवंशों, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ को जोड़ा

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Highlights12 ज्योतिर्लिंग, चार धाम यात्रा और शक्ति पीठ जैसे स्थानों का विवरण दिया गया है।खासकर ब्रिटिश शासन के तहत, जिससे असमानताएं पैदा हुईं।भगदड़ की घटना का कोई उल्लेख नहीं है जिसमें 30 तीर्थयात्री मारे गए और कई घायल हो गए।

नई दिल्लीः कक्षा सात की एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों से मुगलों और दिल्ली सल्तनत के सभी संदर्भ हटा दिए गए हैं जबकि भारतीय राजवंशों, महाकुंभ के संदर्भ और ‘मेक इन इंडिया’ और ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसी सरकारी पहलों को नए अध्यायों में शामिल किया गया है। इस सप्ताह जारी की गई नई पाठ्यपुस्तकें नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) और स्कूल शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (एनसीएफएसई) 2023 के अनुरूप तैयार की गई हैं, जो स्कूली शिक्षा में भारतीय परंपराओं, दर्शन, ज्ञान प्रणालियों और स्थानीय संदर्भ को शामिल करने पर जोर देती हैं।

संपर्क करने पर एनसीईआरटी के अधिकारियों ने कहा कि ये किताबों का सिर्फ पहला भाग है और दूसरा भाग आगामी महीनों में आने की उम्मीद है। हालांकि, उन्होंने इस बात पर कोई टिप्पणी नहीं की कि हटाए गए हिस्से किताब के दूसरे भाग में बरकरार रखे जाएंगे या नहीं। एनसीईआरटी ने पहले मुगलों और दिल्ली सल्तनत से जुड़े पाठों को छोटा कर दिया था, जिसमें तुगलक, खिलजी, मामलुक और लोदी जैसे राजवंशों का विस्तृत विवरण और मुगल सम्राटों की उपलब्धियों पर दो-पृष्ठ की तालिका शामिल थी।

ये कवायद 2022-23 में कोविड-19 महामारी के मद्देनजर पाठ्यक्रम को युक्तिसंगत बनाने के हिस्से के रूप में की गई थी, हालांकि, नई पाठ्यपुस्तक में अब उनके सभी संदर्भों को हटा दिया है। सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक ‘समाज का अध्ययन : भारत और उसके आगे’’ में प्राचीन भारतीय राजवंशों जैसे मगध, मौर्य, शुंग और सातवाहन पर नए अध्याय हैं, जिनका ध्यान ‘‘भारतीय लोकाचार’’ पर है।

पुस्तक में एक और नया संस्करण ‘‘भूमि कैसे पवित्र बनती है’’ नामक अध्याय है, जो इस्लाम, ईसाई, यहूदी, पारसी, हिंदू, बौद्ध और सिख जैसे धर्मों के लिए भारत और बाहर पवित्र माने जाने वाले स्थानों और तीर्थस्थलों पर केंद्रित है। अध्याय में ‘पवित्र भूगोल’ जैसी अवधारणाओं का परिचय दिया गया है, जिसमें 12 ज्योतिर्लिंग, चार धाम यात्रा और शक्ति पीठ जैसे स्थानों का विवरण दिया गया है।

पाठ में जवाहरलाल नेहरू का एक उद्धरण शामिल है, जिन्होंने भारत को तीर्थस्थलों की भूमि के रूप में वर्णित किया है। पाठ्यपुस्तक में दावा किया गया है कि वर्ण-जाति व्यवस्था ने शुरू में सामाजिक स्थिरता प्रदान की, लेकिन बाद में यह कठोर हो गई, खासकर ब्रिटिश शासन के तहत, जिससे असमानताएं पैदा हुईं।

इस साल की शुरुआत में प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेले का भी पुस्तक में उल्लेख है और बताया गया है कि कैसे लगभग 66 करोड़ लोगों ने इसमें भाग लिया। हालांकि, भगदड़ की घटना का कोई उल्लेख नहीं है जिसमें 30 तीर्थयात्री मारे गए और कई घायल हो गए।

नई पाठ्यपुस्तक में ‘मेक इन इंडिया’, ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ और ‘अटल सुरंग’ जैसी सरकारी पहलों का संदर्भ शामिल किया गया है। पुस्तक में भारत के संविधान पर भी एक अध्याय है, जिसमें उल्लेख किया गया है कि एक समय था जब लोगों को अपने घरों में राष्ट्रीय ध्वज फहराने की अनुमति नहीं थी।

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