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नेहरू प्लेस: उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार, दक्षिणी निगम व विक्रेताओं से जवाब मांगा

By भाषा | Updated: September 23, 2021 19:47 IST

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नयी दिल्ली, 23 सितंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को उस याचिका पर दिल्ली सरकार, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) और विभिन्न विक्रेताओं को नोटिस जारी किए जिसमें अदालत के आदेश की कथित रूप से जानबूझकर अवज्ञा करने और नेहरू प्लेस इलाके में गतिविधियां करने के लिए अवमानना कार्रवाई का आग्रह किया गया है।

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने अवमानना याचिका पर अधिकारियों और विक्रेताओं से जवाब मांगा और मामले को आगे की सुनवाई के लिए 18 अक्टूबर को सूचीबद्ध कर दिया, उसी दिन इसी तरह का एक और मामला भी सूचीबद्ध है।

फेडरेशन ऑफ नेहरू प्लेस एसोसिएशन ने अवमानना याचिका दायर की है जिसमें दावा किया गया है कि नेहरू प्लेस क्षेत्र में गतिविधियां करने के लिए कुछ विक्रेताओं और अतिक्रमणकारियों ने अदालत के आदेश की जानबूझकर अवज्ञा की है।

एसोसिएशन का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता प्रणव प्रूथी ने कहा कि अतिक्रमणकारियों को शाम को साढ़े पांच बजे तक परिसर खाली करने का स्पष्ट निर्देश था, लेकिन उनके पास अतिक्रमणकारियों के 11 बजे तक परिसर में रहने की तस्वीरें हैं और वे अपना भी सामान वहीं छोड़ जाते हैं।

उन्होंने कहा कि अदालत ने केवल 95 रेहड़ी वालों को क्षेत्र में अपना व्यवसाय करने की अनुमति दी है, लेकिन तस्वीरें दिखाती हैं कि उनकी संख्या बहुत अधिक है।

अदालत ने इस साल अगस्त में नेहरू प्लेस, जिला वाणिज्यिक केंद्र में एक इमारत में आग लगने की घटना पर स्वत: संज्ञान लिया था और एक जनहित याचिका शुरू की थी।

इसने कहा था कि नेहरू प्लेस क्षेत्र में रेहड़ी वालों और विक्रेताओं के कारण समस्या है जिसे सोशल मीडिया पर प्रसारित एक वीडियो में देखा जा सकता है जिस वजह से दमकल कर्मियों को उस इमारत तक पहुंचने में परेशानी हुई थी जिसमें आग लगी थी।

अदालत ने दमकल विभाग को नेहरू प्लेस इलाके में किसी कार्य दिवस में छद्म अभ्यास करने और कमियों की पहचान करने का निर्देश दिया था और कहा था कि यह सुनिश्चित करना होगा कि दमकल कर्मी सभी तरफ पहुंच सकें।

अदालत ने पहले दिल्ली पुलिस और एसडीएमसी को दैनिक आधार पर यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि नेहरू प्लेस, जिला वाणिज्यिक केंद्र में कोई भी ऐसा रेहड़ी वाला या विक्रेता न आए जिसके पास किसी भी अदालत से संरक्षण आदेश न हो।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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