जयपुर, 27 जून कोरोना वायरस संक्रमण के दूसरी लहर की आक्रमता के बाद देश में वायरस के नये वेरिएंट ‘डेल्टा प्लस’ की रोकथाम में जुटे चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि वायरस के इस नए स्वरूप से घबराने की बजाय सर्तक रहने की आवश्यकता है।
जयपुर में रविवार को आयोजित वेबीनार में चिकित्सा विशेषज्ञों ने कोरोना महामारी की संभावित तीसरी लहर को लेकर गहन चर्चा की।
कार्यक्रम के आयोजक त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. दिनेश माथुर ने बताया कि वेबीनार में आईसीएमआर के सी. जी. पंडित, कोरोना विशेषज्ञ डॉ रमन गंगाखेडकर, श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ विरेन्द्र सिंह, सवाई मान सिंह अस्पताल के मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ रमन शर्मा, महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायलॉजी डॉ नित्या व्यास, जेएनयू मेडिकल कॉलेज के मुख्य कार्यकारी डॉ जसवंत गोयल, निम्स मेडिकल कॉलेज के डॉ रविन्द्र मनोहर एवं फोर्टीस तथा अपेक्स अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ संजीव हूजा ने भी अपने विचार रखे।
डॉ गंगाखेडकर के अनुसार कोरोना वायरस का डेल्टा प्लस वेरिएंट में संक्रमण बहुत तेजी से फैलता है और इसके विरुद्ध अभी टीके बहुत प्रभावी होने की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन इससे घबराने की नहीं, बल्कि सर्तक रहने की आवश्यकता है।
उन्होंने बताया कि शोध कार्यों से पता चला है कि इसके खिलाफ एमआरएनए टीके के ज्यादा कारगर होने की संभावना है।
उन्होंने टीके से जुड़े भ्रम दूर करने के लिए तमाम सलाह दिए और कहा कि किसी भी सूरत में दो अलग-अलग टीकों कह खुराक ना लें। दोनों बार एक ही टीके (कोविशील्ड या कोवैक्सीन) का इंजेक्शन लगवाएं।
वेबीनार की अध्यक्षता कर रहे श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ विरेन्द्र सिंह ने बताया कि आईसीएमआर के आंकड़ों के अनुसार 70 प्रतिशत से भी ज्यादा लोगों में संक्रमण आदि से रोग प्रतिरक्षक प्रणाली विकसित हो रही है, इससे प्रतीत होता है कि देश हर्ड इम्यूनिटी की ओर अग्रसर हो रहा है। लेकिन डेल्टा प्लस वेरिएंट ने स्थिति भयावह बना दी है।
डॉ सिंह ने कहा कि इससे डरने की बजाय कोविड प्रोटोकॉल का पालन कर इस महामारी से बचा जा सकेगा।
सवाई मान सिंह (एसएमएस) अस्पताल के मेडिसन विभाग के प्रोफेसर डॉ रमन शर्मा ने बताया कि अभी तक के अनुभवों से पता चला है कि रेमडेसिविर नामक दवा का केवल उचित एवं न्यायोचित उपयोग किया जाना चाहिए। शोध कार्यो से पता लगा है कि जैक स्टेट इन्हीबीटर नामक दवा कोविड के उपचार में कारगर सिद्ध हो रही है। स्टेरॉयड के बारे में उन्होंने कहा कि इसका उपयोग भी सही समय एवं सही डोज में करना चाहिए।
वेबीनार में आईसीएमआर के पूर्व महानिदेशक डॉ विश्व मोहन कटोच भी मौजूद थे।
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