नयी दिल्ली, सात फरवरी उच्चतम न्यायालय ने मादक पदार्थ से संबंधित मामले में राजस्थान उच्च न्यायलय के आदेश के खिलाफ याचिका दायर करने में देरी पर नाराजगी जताते हुए स्वापक नियंत्रण ब्यूरो से स्पष्टीकरण मांगा है।
अदालत ने कहा कि इस ''संवेदनशील मामले'' में अभियोग चलाने के लिये जिस ढंग से अपील की गई, वह ''अति निंदनीय'' है।
न्यायालय ने कहा कि 2018 में मादक पदार्थ मामले में आरोपियों को बरी किये जाने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ 652 दिन के बाद उसके समक्ष याचिका दायर की गई। अदालत ने ''लंबे अंतराल'' की ओर इशारा करते हुए कहा कि एनसीबी मुख्यालय ने एक साल तक फाइल को अपने पास रखा।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की पीठ ने एक फरवरी को पारित अपने आदेश में कहा, ''हमने पाया है कि मादक पदार्थों से संबंधित इस संवेदनशील मामले में अभियोग चलाने के लिये जिस ढंग से अपील की गई है, वह अति निंदनीय है। विशेष अवकाश याचिका 652 दिन की देरी से दाखिल की गई।''
यह मामला साल 2013 में एक कार से कथित रूप से पांच किलो प्रतिबंधित हेरोइन बरामद होने से संबंधित है।
पीठ ने कहा, ''एनसीबी मुख्यालय एक साल तक फाइल को दबाए बैठा रहा।''
अदालत ने कहा, ''हम इस मामले में एनसीबी मुख्यालय से स्पष्टीकरण मांगते हैं कि इस प्रकार की लापरवाही के लिए किस अधिकारी पर किस तरह से कार्रवाई की गई है और किसकी जिम्मेदारी तय की गई है।
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