नौसेना लीक मामला: सीबीआई ने नौसेना के दो कमांडर के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया

By भाषा | Updated: November 24, 2021 16:51 IST2021-11-24T16:51:51+5:302021-11-24T16:51:51+5:30

Navy leak case: CBI files chargesheet against two Navy Commanders | नौसेना लीक मामला: सीबीआई ने नौसेना के दो कमांडर के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया

नौसेना लीक मामला: सीबीआई ने नौसेना के दो कमांडर के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया

(अभिषेक शुक्ला)

नयी दिल्ली, 24 नवंबर नौसेना की आईएनएस-सिंधुरत्न-एमआरएलसी परियोजना से संबंधित गोपनीय सूचना कथित तौर पर लीक करने के मामले में नौसेना के कमांडर जगदीश और कमांडर अभिषेक शॉ के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आरोप-पत्र दाखिल किया है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।

अधिकारियों ने बताया कि नए आरोप-पत्र में एजेंसी ने ‘‘आईएनएस सिंधुरत्न-एमआरएलसी परियोजना के भुगतान से संबंधित सूचना लीक करने’’ के कथित मामले में कमांडर अजीत पांडे और सेवानिवृत्त नौसैन्य अधिकारी कोमोडोर रणदीप सिंह का नाम भी शामिल किया है।

उन्होंने बताया कि छह आरोपियों के खिलाफ दो आरोप-पत्र पहले ही दाखिल किए जा चुके थे लेकिन कमांडर जगदीश और कमांडर अभिषेक शॉ के खिलाफ जांच चल रही थी। कमांडर जगदीश को 21 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था।

अधिकारियों ने बताया कि कमांडर जगदीश और कमांडर शॉ के खिलाफ सीबीआई ने 20 नवंबर को आरोप पत्र दाखिल किया।

उन्होंने बताया कि सेवानिवृत्त अधिकारी कोमोडोर रणदीप सिंह और कमांडर एस जे सिंह, सेवारत अधिकारी कमांडर अजीत पांडे, कमांडर जगदीश और हैदराबाद स्थित एलेन रेनफोर्स्ड प्लास्टिक्स लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक समेत कई आरोपियों को इस मामले में पहले ही जमानत मिल चुकी है।

बचाव पक्ष के वकीलों ने कहा कि सीबीआई ने यह स्वीकार किया है कि शासकीय गोपनीयता कानून (ओएसए) के तहत जांच चल रही है लेकिन उन्होंने आरोप-पत्र में इसका जिक्र नहीं किया। वकीलों ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ दाखिल किया गया आरोप-पत्र अधूरा है अत: आरोपी स्वत: जमानत पाने का अधिकारी हो जाता है।

जांच एजेंसी अगर 60 दिन अथवा 90 दिन की तय अवधि (लगाए गए आरोपों के आधार पर) के भीतर आरोप-पत्र दाखिल नहीं करती है तो आरोपी वैधानिक रूप से जमानत का हकदार हो जाता है।

बचाव पक्ष के वकीलों ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए दलील दी थी कि शासकीय गोपनीयता कानून के तहत आरोप-पत्र 90 दिन में नहीं बल्कि 60 दिन के भीतर दायर होना चाहिए।

विशेष अदालत ने बचाव पक्ष के वकीलों की दलीलों से सहमत होते हुए कहा कि शासकीय गोपनीयता कानून के संबंध में सीबीआई का आरोप-पत्र अधूरा है। इसके बाद अदालत ने आरोपी को जमानत दे दी।

एजेंसी ने रक्षा मंत्रालय से आरोपियों के खिलाफ शासकीय गोपनीयता कानून (ओएसए) के तहत शिकायत दर्ज करवाने को कहा है। यदि मंत्रालय शिकायत दर्ज करवाता है तो सीबीआई पूरक आरोप पत्र में ओएसए के तहत आरोप लगाएगी।

सीबीआई को दो सितंबर को सूचना मिली थी कि कमांडर एस जे सिंह (सेवानिवृत्त) आर्थिक लाभ के लिए कोमोडोर रणदीप सिंह के साथ नौसेना संबंधी गोपनीय जानकारी कथित तौर पर साझा कर रहे हैं। इसके बाद एजेंसी ने देशभर में 19 स्थानों पर छापेमारी की थी। सेनानिवृत्त नौसैन्य अधिकारी कोमोडोर रणदीप सिंह और कमांडर एस जे सिंह को उसी दिन गिरफ्तार कर लिया गया था।

बाद में सीबीआई ने कमांडर अजीत कुमार पांडे, कमांडर जगदीश और एलेन रेनफोर्स्ड प्लास्टिक्स लिमिटेड के अधिकारियों समेत कुछ अन्य लोगों को गिरफ्तार किया था।

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Web Title: Navy leak case: CBI files chargesheet against two Navy Commanders

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