राष्ट्रीय प्रेस दिवस: स्वतंत्र प्रेस लोकतंत्र की आत्मा है: जावड़ेकर

By भाषा | Updated: November 16, 2020 16:30 IST2020-11-16T16:30:53+5:302020-11-16T16:30:53+5:30

National Press Day: Independent press is the soul of democracy: Javadekar | राष्ट्रीय प्रेस दिवस: स्वतंत्र प्रेस लोकतंत्र की आत्मा है: जावड़ेकर

राष्ट्रीय प्रेस दिवस: स्वतंत्र प्रेस लोकतंत्र की आत्मा है: जावड़ेकर

नयी दिल्ली, 16 नवंबर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सोमवार को कहा कि एक स्वतंत्र प्रेस लोकतंत्र की आधारशिला है।

राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) द्वारा ‘‘कोविड-19 महामारी के दौरान मीडिया की भूमिका और मीडिया पर इसके प्रभाव’’ विषय पर आयोजित एक वेबिनार में मंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता जिम्मेदारी के साथ आती है। इसके साथ ही मंत्री ने समाचार संगठनों को सनसनी से बचने के लिए कहा।

मंत्री ने वीडियो संदेश में कहा, ‘‘प्रेस की स्वतंत्रता लोकतंत्र की आत्मा है। प्रेस की स्वतंत्रता बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन कोई भी स्वतंत्रता जिम्मेदारी के साथ आती है। इसलिए, प्रेस को स्वतंत्र होकर जिम्मेदारी के साथ काम करना चाहिए और किसी चीज को सनसनीखेज नहीं बनाना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘खबर किसी को जानबूझकर बदनाम करने के लिए नहीं होनी चाहिए। इन दिनों जिस तरह से प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला किया जा रहा है वह ठीक नहीं है।’’

कुछ समाचार चैनलों द्वारा टेलीविजन रेटिंग अंक (टीआरपी) में कथित तौर पर हेरफेर किए जाने के बारे में मंत्री ने कहा कि मंत्रालय द्वारा गठित एक समिति जल्द ही इस मुद्दे पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

उन्होंने कहा, ‘‘टीआरपी हेरफेर की जांच करने और इस समस्या का समाधान करने के लिए, हमने एक समिति बनाई है जो बहुत जल्द अपनी रिपोर्ट देगी।’’

जावड़ेकर ने टीवी चैनलों के लिए एक नियामक संस्था के न होने के मुद्दे के बारे में भी बात की और कहा कि उनके लिए एक आचार संहिता लाने पर निर्णय लिया जा सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय प्रेस परिषद एक स्व-नियामक निकाय है जिसमें संसद के साथ-साथ विभिन्न मीडिया घरानों के प्रतिनिधि शामिल हैं। पीसीआई को और अधिक शक्तियां देने पर चर्चा होती रही है।’’

मंत्री ने कहा, ‘‘लेकिन टीवी चैनलों के लिए पीसीआई जैसी कोई स्व-नियामक संस्था नहीं है। हमें सभी टीवी चैनलों के लिए एक आचार संहिता बनाने के लिए सुझाव मिल रहे हैं, लेकिन हमने अभी इस पर फैसला नहीं लिया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहती है लेकिन प्रेस को जिम्मेदारी के साथ पत्रकारिता करनी चाहिए।’’

जावड़ेकर ने आगे कहा कि टीवी की तरह ही ओवर-द-टॉप (ओटीटी) प्लेटफार्मों के लिए भी कोई नियामक संस्था नहीं है और सरकार को इस बारे में सुझाव मिल रहे हैं कि इसकी सामग्री को कैसे विनियमित किया जाए।

उल्लेखनीय है कि ओटीटी प्लेटफार्मों जैसे कि नेटफ्लिक्स, हॉटस्टार, अमेजन प्राइम वीडियो और अन्य को हाल ही में सूचना और प्रसारण मंत्रालय के दायरे में लाया गया है।

मंत्री ने कहा, “ओटीटी प्लेटफार्मों के लिए न तो कोई पीसीआई और न ही कोई अन्य निकाय है जिनमें बहुत अच्छी सामग्री के साथ-साथ बहुत खराब सामग्री भी होती है। इसलिए इसके नियमन के लिए कुछ किए जाने की जरूरत है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘चर्चाएं चल रही हैं और हमें ओटीटी प्लेटफार्मों पर सामग्री को विनियमित करने के लिए क्या करना चाहिए, इस पर बहुत से लोगों से सुझाव मिल रहे हैं।

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