राष्ट्रीय शिक्षा नीति भविष्योन्मुखी और वैश्विक मानकों के अनुरूप: मोदी

By भाषा | Updated: April 14, 2021 21:23 IST2021-04-14T21:23:34+5:302021-04-14T21:23:34+5:30

National education policy forward-looking and in line with global standards: Modi | राष्ट्रीय शिक्षा नीति भविष्योन्मुखी और वैश्विक मानकों के अनुरूप: मोदी

राष्ट्रीय शिक्षा नीति भविष्योन्मुखी और वैश्विक मानकों के अनुरूप: मोदी

नयी दिल्ली, 14 अप्रैल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ना सिर्फ भविष्योन्मुखी और वैश्विक मानकों के अनुरूप है, बल्कि यह जितनी व्यवहारिक है, इसका क्रियान्वयन भी उतना ही व्यवहारिक है।

भारतीय विश्वविद्यालय संघ की 95वीं वार्षिक बैठक और कुलपतियों की राष्ट्रीय संगोष्ठी को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि नई नीति जाने माने शिक्षाविद और पूर्व राष्‍ट्रपति डॉक्‍टर सर्वपल्‍ली राधाकृष्‍णन के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

इस अवसर पर उन्होंने यह भी कहा कि नागरिकों के समान अधिकार से ही समाज में समरसता आती है और देश प्रगति करता है।

उन्होंने कहा, ‘‘डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षा के भारतीय चरित्र पर जोर देते थे। आज के वैश्विक परिदृश्य में यह बात और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति भविष्योन्मुखी और वैश्विक मानकों के अनुरूप है।’’

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने पिछले साल देश में नयी शिक्षा नीति का मसौदा सार्वजनिक किया था।

मोदी ने कहा कि डॉ राधाकृष्णन ने शिक्षा के विभिन्न पहलुओं की बात की थी और वही इस शिक्षा नीति के मूल में दिखता है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर लगातार विशेषज्ञों से चर्चा करता रहा हूं। यह जितनी व्यवहारिक है, इसका क्रियान्वयन भी उतना ही व्यवहारिक है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि हर छात्र का अपना एक सामर्थ्य होता है और शिक्षक जब उसे आंतरिक क्षमता के साथ संस्थागत क्षमता दे दे तो उनका (छात्रों का) विकास व्यापक हो जाता है।

उन्होंने कहा, ‘‘इससे हमारे युवा वह कर सकते हैं, जो वह करना चाहते हैं। इसलिए देश का खास जोर कौशल विकास पर है। आज देश जैसे-जैसे आत्मनिर्भर भारत अभियान को लेकर आगे बढ़ रहा है, कुशल युवाओं की भूमिका और उनकी मांग भी बढ़ती ही जा रही है।’’

उन्होंने कहा कि पहले की अपेक्षा आज देश के पास असीम अवसर हैं और आधुनिक दौर के नए-नए उद्योग भी हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस), इंटरनेट, डेटा, थ्री-डी प्रिंटिंग, वर्चुअल रियालिटी, रोबोटिक्स, मोबाइल टेक्नोलॉजी और स्मार्ट स्वास्थ्य सुविधाओं से लेकर रक्षा क्षेत्र तक आज दुनिया में भारत को भविष्य के केंद्र के रूप में देखा जा रहा है।’’

उन्होंने कहा कि इन जरूरतों को पूरा करने के लिए देश लगातार बड़े कदम भी उठा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘देश के तीन बड़े शहरों में भारतीय कौशल विकास संस्थानों की स्थापना की जा रही है। कुछ महीने पहले दिसम्बर में ही इसका मुंबई में पहला बैच भी शुरू हो गया है।’’

संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत दुनिया में लोकतंत्र की जननी रहा है और लोकतंत्र हमारी सभ्यता तथा तौर-तरीकों का हिस्सा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘आजादी के बाद का भारत अपनी उसी लोकतांत्रिक विरासत को मजबूत करके आगे बढ़े, बाबा साहेब ने इसका मजबूत आधार देश को दिया।’’

मोदी ने कहा, ‘‘शिक्षा के साथ ही आत्म-सम्मान भी बढ़ता है। आत्म-सम्मान से व्यक्ति अपने अधिकार के लिए जागरूक होता है, समान अधिकार से ही समाज में समरसता आती है और देश प्रगति करता है।’’

बाबा साहेब के संघर्षों को सभी के लिए ‘‘बहुत बड़ी प्रेरणा’’ बताते हुए मोदी ने कहा कि वह जो मार्ग दिखाकर गए हैं, उस पर निरंतर चलने की ज़िम्मेदारी हमारी शिक्षा व्यवस्था और विश्वविद्यालयों पर हमेशा रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘और जब प्रश्न एक राष्ट्र के रूप में साझा लक्ष्यों का हो, साझा प्रयासों का हो, तो सामूहिक प्रयास ही सिद्धि का माध्यम बनते हैं।’’

इस दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन अहमदाबाद स्थित बाबा साहेब आंबेडकर मुक्त विश्वविद्यालय की ओर से किया गया है। इसमें गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, राज्यपाल आचार्य देवव्रत और केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने भी हिस्सा लिया।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने बाबा साहेब आंबेडकर के जीवन पर आधारित और किशोर मकवाना द्वारा लिखित चार पुस्तकों का विमोचन भी किया।

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Web Title: National education policy forward-looking and in line with global standards: Modi

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