'राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मकसद भारत को छात्रों के लिये वैश्विक स्थल के रूप में विकसित करना है'
By भाषा | Updated: November 12, 2021 21:43 IST2021-11-12T21:43:25+5:302021-11-12T21:43:25+5:30

'राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मकसद भारत को छात्रों के लिये वैश्विक स्थल के रूप में विकसित करना है'
नयी दिल्ली, 12 नवंबर विदेश सचिव हर्षवर्द्धन श्रृंगला ने शुक्रवार को कहा कि भारत की नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति चौथी औद्योगिक क्रांति और कोविड महामारी के बाद उभरते परिदृश्यों की जरूरतों एवं वास्तविकताओं से निपटने की दिशा में महत्वपूर्ण है और इसका मकसद भारत को छात्रों के लिये वैश्विक स्थल के रूप में विकसित करना है।
चंडीगढ़ विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित शैक्षणिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए विदेश सचिव ने कहा कि इस शताब्दी के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय वे नहीं होंगे जिनका इतिहास सबसे पुराना हो और इमारत सबसे ऊंची हो, बल्कि वे ऐसे संस्थान होंगे जो विविधतापूर्ण, नवोन्मेषी और वैश्विक गठजोड़ पर आधारित होंगे।
श्रृंगला ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मकसद वहनीय खर्च पर उत्कृष्ठ शिक्षा प्रदान करके भारत को छात्रों के लिये वैश्विक स्थल के रूप में विकसित करना है ।
उन्होंने कहा कि इसमें अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों को भारत में अपना परिसर स्थापित करने के संबंध में बात कही गई है।
विदेश सचिव ने कहा, ‘‘ अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के लिये भारतीय विश्वविद्यालयों के साथ शिक्षा, पठन पाठन और शोध कार्यक्रमों में गठजोड़ की संभावना तलाशने के लिये इसमें वृहद अवसर प्रदान किया गया है । ’’
उन्होंने कहा कि इसके लिये पूर्ण रूप से परिसर का निर्माण करने की बजाए भारतीय विश्वविद्यालयों के परिसरों में लघु केंद्र स्पापित करने की बात महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि दुनिया का भारतीय प्रतिभाओं, संस्थानों और गठजोड़ का अनुभव काफी सकारात्मक रहा है।
श्रृंगला ने महामारी के प्रभाव का जिक्र करते हुए कहा कि असंभव सी लगने वाली स्थिति में समाधान तलाशने का समय है और डिजिटल उपकरण एवं प्रणाली गुणात्मक परिवर्तनकारी ताकत है और हमने देखा है कि किस प्रकार से आमने सामने बैठक नहीं होने की स्थिति में इसने हमारी मदद की ।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों एवं शैक्षणिक गठजोड़ के लिये यह सबक है।
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