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हर्षवर्धन: साइबर सुरक्षा और साइबर सुरक्षा के बुनियादी ढांचे पर जोर दिया, काफी लोकप्रिय हैं ‘‘डॉक्टर साहब’’

By भाषा | Updated: May 30, 2019 20:55 IST

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री के तौर पर हर्षवर्धन ने साइबर सुरक्षा और साइबर सुरक्षा के बुनियादी ढांचे पर जोर दिया। आईआईटी कानपुर में करीब 15 करोड़ रुपये की लागत से साइबर सुरक्षा और साइबर सुरक्षा के बुनियादी ढांचा के लिए इंटरडिस्पिलनरी सेंटर तैयार किया गया है।

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ठळक मुद्दे‘डॉक्टर साहब’’ के नाम से चर्चित हर्षवर्धन ने दिल्ली में स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए पोलियो उन्मूलन को लेकर बहुत प्रयास किए। आरएसएस के साथ हर्षवर्धन के रिश्ते बहुत ही मधुर हैं और उनके करीबी आज भी उन्हें स्वयंसेवक कहते हैं।

विनम्रता भरा सहज व्यवहार और सादगीपूर्ण व्यक्तित्व नयी दिल्ली की चांदनी चौक लोकसभा सीट से चुनाव जीतने वाले डॉ हर्षवर्धन की पहचान है। उन्हें दिल्ली सरकार के साथ केन्द्र सरकार में दोबारा कैबिनेट मंत्री बनने का अवसर मिला है।

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री के तौर पर हर्षवर्धन ने साइबर सुरक्षा और साइबर सुरक्षा के बुनियादी ढांचे पर जोर दिया। आईआईटी कानपुर में करीब 15 करोड़ रुपये की लागत से साइबर सुरक्षा और साइबर सुरक्षा के बुनियादी ढांचा के लिए इंटरडिस्पिलनरी सेंटर तैयार किया गया है।

यह भारत का पहला अपने तरह का शोध केंद्र है जिसका उद्देश्य देश के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को तकनीकी युक्त सुरक्षित बनाने से लेकर अनुसंधान, शिक्षा, प्रशिक्षण और स्टार्ट-अप को प्रोत्साहित करना है। अपने लोगों के बीच ‘डॉक्टर साहब’’ के नाम से चर्चित हर्षवर्धन ने दिल्ली में स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए पोलियो उन्मूलन को लेकर बहुत प्रयास किए।

साल 1993 से अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने वाले हर्षवर्द्धन पहली बार पूर्वी दिल्ली की कृष्णानगर विधानसभा सीट से निर्वाचित हुए और इसके बाद लगातार चार बार इस सीट से उन्होंने जीत दर्ज की। आरएसएस के साथ हर्षवर्धन के रिश्ते बहुत ही मधुर हैं और उनके करीबी आज भी उन्हें स्वयंसेवक कहते हैं।

हर्षवर्धन के बारे में एक बार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था ‘‘वह अपने विशेष चिकित्सा ज्ञान का इस्तेमाल करने के सराहनीय उद्देश्य तथा आम आदमी की सेवा करने के अनुभव के साथ राजनीति में शामिल हुए हैं।’’ उनकी संगठन क्षमता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2003 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद भाजपा लगभग बिखर सी गई थी लेकिन हर्षवर्द्धन ने उसे एकजुट किया।

इसी साल के आखिर में वह भाजपा की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष बने। उनकी सादगी और मैत्रीपूर्ण सरल स्वभाव की सराहना उनके विरोधी भी करते हैं। हर्षवर्धन का जन्म 13 दिसंबर 1954 को हुआ और उन्होंने मध्य दिल्ली के दरियागंज स्थित एंग्लो संस्कृत विक्टोरिया जुबली सीनियर सेकंडरी स्कूल से शिक्षा हासिल की। फिर उन्होंने कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कालेज से एमबीबीएस और ईएनटी में विशेषज्ञता की डिग्री ली।

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम के अलावा यहां धूम्रपान निषेध तथा स्वास्थ्य संरक्षण विधेयक लाने का श्रेय उन्हें है। बाद में केंद्रीय स्तर पर भी इसी तरह का एक विधेयक लाया गया। उनके योगदान को सराहते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मई 1998 में उन्हें प्रशस्ति पदक :डायरेक्टर जनरल कमेंडेशन मेडल: से सम्मानित किया।

हर्षवर्धन ने दिसंबर 2004 में पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम की पृष्ठभूमि में ‘‘ए टेल ऑफ टू ड्रॉप्स’’ नामक पुस्तक लिखी जिसका लोकार्पण अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था। 

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