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संसदीय दल का नेता बन नरेंद्र मोदी ने कहा- जो हमारे साथ थे, हम उनके लिए भी हैं, जो भविष्य में हमारे साथ होंगे, उनके लिए भी

By रोहित कुमार पोरवाल | Updated: May 25, 2019 19:27 IST

''आज एनडीए के सभी वरिष्ट साथियों ने मुझे आशीर्वाद दिया है। आप सबने मुझे नेता के रूप में चुना है। मैं इसे व्यवस्था का हिस्सा मानता हूं।''

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ठळक मुद्दे''देश के साथ विश्वभर के भारत प्रेमियों ने इस विजयोत्सव में हिस्सा लिया है। ये हमारे लिए गर्व की बात है।''''ये चुनाव कितना बड़ा और व्यापक होता है इसकी व्यवस्थाएं कितनी होती हैं, ये विश्व के लिए बहुत बड़ा अजूबा है।''

राजधानी दिल्ली स्थित संसद के सेंट्रल हॉल में भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के चुने हुए लोकसभा उम्मीदवारों ने शनिवार (25 मई) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बीजेपी और एनडीए का संसदीय दल का नेता चुना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी का हृदय से आभार व्यक्त किया। 

उन्होंने कहा, ''मैं ह्रदय से आप सबका आभार व्यक्त करता हूं। भाजपा ने संसदीय दल के नेता के रूप में सर्वसम्मति से मुझे चुना और एनडीए के सभी दलों ने इसका समर्थन किया और इसके लिए मैं आभारी हूं।

सेंट्रल हॉल की आज ये घटना असामान्य घटना है. हम आज नए भारत के हमारे संकल्प को एक नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ाने के लिए एक नई यात्रा को यहां से आगे बढ़ाने वाले हैं।

देश की राजनीति ने जो बदलाव आया है, आप सभी ने इसका नेतृत्व किया है। आप सभी अभिनंदन के आभारी हैं। लेकिन जो सदस्य पहली बार चुनकर आए हैं वे विशेष अभिनंदन के आभारी हैं।

भारत में तो चुनाव अपने आप में उत्सव था, मतदान भी अनेक रंगों से भरा था। 

लेकिन विजयोत्सव उससे भी अधिक शानदार था। 

देश के साथ विश्वभर के भारत प्रेमियों ने इस विजयोत्सव में हिस्सा लिया है। ये हमारे लिए गर्व की बात है।

ये चुनाव कितना बड़ा और व्यापक होता है इसकी व्यवस्थाएं कितनी होती हैं, ये विश्व के लिए बहुत बड़ा अजूबा है।

इस काम को चुनाव आयोग ने, राज्यों के चुनाव आयोग ने, सरकारी मुलाजिम, सुरक्षा बल इन सब की एक कठोर परिश्रम का एक कालखंड होता है।

भारत के लोकतंत्र को हमें समझना होगा। भारत का मतदाता, भारत के नागरिक के नीर, क्षीर, विवेक को किसी मापदंड से मापा नहीं जा सकता है।

हम कह सकते हैं सत्ता का रुतबा भारत के मतदाता को कभी प्रभावित नहीं करता है। सत्ताभाव भारत का मतदाता कभी स्वीकार नहीं करता है।

आज एनडीए के सभी वरिष्ट साथियों ने मुझे आशीर्वाद दिया है। आप सबने मुझे नेता के रूप में चुना है। मैं इसे व्यवस्था का हिस्सा मानता हूं। 

मैं भी आपमें से एक हूं। आपके बराबर हूं। हमें कंधे से कंधा मिलाकर चलना है।

आम तौर पर कहा जाता है कि चुनाव बांट देता है, दूरियां पैदा करता है, दीवार बना देता है। 

लेकिन 2019 के चुनाव ने दीवारों को तोड़ने का काम किया है। इस चुनाव ने दिलों को जोड़ने काम किया है।

ये चुनाव सामाजिक एकता का आंदोलन बन गया है।

भारत के लोकतांत्रिक जीवन में, चुनावी परंपरा में देश की जनता ने एक नए युग का आरंभ किया है। हम सब उसके साक्षी हैं।

2014 से 2019 तक देश हमारे साथ चला है, कभी-कभी हमसे दो कदम आगे चला है, इस दौरान देश ने हमारे साथ भागीदारी की है।

विश्वास की डोर जब मजबूत होती है, तो प्रो-इंकंबेंसी वेव पैदा होती है, यह वेव विश्वास की डोर से बंधी हुई है।

ये चुनाव पॉजिटिव वोट का चुनाव है। फिर से सरकार को लाना है, काम देना है, जिम्मेदारी देनी है। इस सकारात्मक सोच ने इतना बड़ा जनादेश दिया है।

ये देश परिश्रम की पूजा करता है। ये देश ईमान को सर पर बिठाता है। यही इस देश की पवित्रता है।

जनप्रतिनिधि के लिए कोई भेद भाव की सीमा रेखा नहीं होती। जो हमारे साथ थे, हम उनके लिए भी हैं, जो भविष्य में हमारे साथ होंगे हम उनके लिए भी हैं।

जनप्रतिनिधियों से मेरा आग्रह रहेगा है कि मानवीय संवेदनाओं के साथ अब हमारा कोई पराया नहीं रह सकता है। 

इसकी ताकत बहुत बड़ी होती है। दिलों को जीतने की कोशिश करेंगे।

2014 में भाजपा को जितने वोट मिले और 2019 में जो वोट मिले, उनमें जो वृद्धि हुई है, यह वृद्धि करीब-करीब 25 प्रतिशत है।

मेरे जीवन के कई पड़ाव रहे, इसलिए मैं इन चीजों को भली-भांति समझता हूं, मैंने इतने चुनाव देखे, हार-जीत सब देखे, लेकिन मैं कह सकता हूं कि मेरे जीवन में 2019 का चुनाव एक प्रकार की तीर्थयात्रा थी।

इस बार माताओं-बहनों ने कमाल कर दिया है।

भारत की आजादी के बाद पार्लियामेंट में इतनी बड़ी तादात में महिला सांसद बैठने की ये पहली घटना होगी।

ये अपने आप में बहुत बड़ा काम हमारी मातृ शक्ति द्वारा हुआ है।

एनडीए के पास दो महत्वपूर्ण चीजें हैं, जो हमारी अमानत है। एक है एनर्जी और दूसरा है सिनर्जी। ये एनर्जी और सिनर्जी एक ऐसा केमिकल है, जिसको लेकर हम सशक्त और सामर्थ्यवान हुए हैं। जिसको लेकर हमें आगे चलना है।

हमारा मोह हमें संकट में डालता है। इसलिए हमारे नए और पुराना साथी इन चीजों से बचें क्योंकि अब देश माफ नहीं करेगा।

हमारी बहुत बड़ी जिम्मेदारियां है। हमें इन्हें निभाना है। वाणी से, बर्ताव से, आचार से, विचार से हमें अपने आपको बदलना होगा।

हम न हमारी हैसियत से जीतकर आते हैं, न कोई वर्ग हमें जिताता है, न मोदी हमें जिताता है। 

हमें सिर्फ देश की जनता जिताती है। हम जो कुछ भी हैं मोदी के कारण नहीं, जनता जनार्दन के कारण हैं। 

हम यहां अपनी योग्यता के कारण नहीं हैं, जनता जनार्दन के कारण हैं।''

टॅग्स :लोकसभा चुनावनरेंद्र मोदीभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)राष्ट्रीय रक्षा अकादमी
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