हैदराबाद, 27 मार्च उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने राज्यों की विधानसभा और संसद में लगातार व्यवधान पर शनिवार को चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सदन में होने वाली चर्चाओं के स्तर में भी गिरावट आई है।
उन्होंने कहा कि ‘‘व्यवधान का मतलब चर्चा को बाधित करना और लोकतंत्र और राष्ट्र को पटरी से उतारना है।’’ उन्होंने आगाह किया कि यदि ऐसी ही स्थिति रही तो लोगों का मोहभंग हो जायेगा।
यहां पूर्व सासंद एवं शिक्षाविद् नुक्कला नरोत्तम रेड्डी के शताब्दी समारोह में नायडू ने कहा कि कुछ राज्य विधानसभाओं में हाल की घटनाएं निराशाजनक हैं।
उन्होंने कहा कि संसद और विधानसभाओं में कामकाज 3 डी के मद्देनजर होना चाहिए- चर्चा (डिस्कस), बहस (डिबेट) और निर्णय (डिसाइड)।
उन्होंने कहा कि सदन को व्यवधान के लिए एक मंच नहीं बनाया जाना चाहिए। सदन की कार्यवाही को बाधित करने का मतलब जनता के हित को नुकसान पहुंचाना है।
उपराष्ट्रपति ने संबंधित सदनों में सांसदों और विधायकों की घटती उपस्थिति को लेकर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने उन्हें नियमित होने और चर्चा में सार्थक योगदान देने की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने लोगों से ऐसे प्रतिनिधियों को चुनने की अपील की जिनके पास चार सी-सामर्थ्य (कैलिबर), आचरण (कंडक्ट), क्षमता (कैपिसिटी) और चरित्र (करेक्टर) हों।
नायडू ने सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा, देशभक्ति और नैतिक मूल्यों को बढ़ाने के लिए शिक्षा की भूमिका पर जोर दिया।
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