10 दिन 7 बाघों की मौत, तीन महीने में विदर्भ क्षेत्र के 14 टाइगर की जान गई, तेंदुए भी मर रहे
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: March 28, 2021 17:47 IST2021-03-28T17:45:17+5:302021-03-28T17:47:51+5:30
पेंच में बाघिन अवनी की मादा शावक पीटीआरएफ-84 को 8 मार्च को जंगल में छोड़ा गया था. लेकिन 2-3 बाद ही बाघिन जंगल की आपसी लड़ाई में दूसरी बाघिन से हुई भिड़ंत में गंभीर रूप से घायल हो गई.

छह दिन बाद ही 20 मार्च को दूसरी मादा शावक भी मृत मिली.
नागपुरः विदर्भ के वनक्षेत्रों में पिछले 10 दिनों में ही 7 बाघों की मौत हो गई. वहीं वन्यजीव जानकार गत 3 माह में 14 टायगर की मृत्यु होने से चिंता जता रहे हैं.
शनिवार 13 मार्च से 24 मार्च के दरमियान ही 2 बाघ शावकों सहित अधिकांश वयस्क बाघों की ही मृत्यु हुई है. पेंच में बाघिन अवनी की मादा शावक पीटीआरएफ-84 को 8 मार्च को जंगल में छोड़ा गया था. लेकिन 2-3 बाद ही बाघिन जंगल की आपसी लड़ाई में दूसरी बाघिन से हुई भिड़ंत में गंभीर रूप से घायल हो गई.
उपचार के दौरान ही बाघिन की 13 मार्च को मृत्यु हो गई. 14 मार्च को उमरेड-कर्हंडला की बाघिन टी-7 का एक शावक बाघ हमले में मारा गया. इसके बाद छह दिन बाद ही 20 मार्च को दूसरी मादा शावक भी मृत मिली. रविवार 21 मार्च को सेलू के केलझर क्षेत्र की नहर में मादा बाघिन मृत मिली.
मंगलवार 23 मार्च को पांढराकवड़ा में वयस्क बाघ का शव मिला. इसी दिन पेंच व्याघ्र के नागलवाड़ी से सटे एफडीसीए क्षेत्र में पंजे कटा वयस्क बाघ का क्षतिग्रस्त शव मिला. जिसके तीन पंजे और एक पैर आधा काटा गया था. जिसके बाद उसका शिकार कर घटना स्थल पर लाकर डालने की संभावना जताई जा रही है.
इसके बाद ही बुधवार 24 मार्च को आष्टी, अपर वर्धा बांध के पास वयस्क बाघ का शव मिला है. जबकि चंद्रपुर के पद्मापुर-आगरझरी रोड के पास वयस्यक तेंदुआ का शव मिला है. इन घटनाओं से वनक्षेत्रों में नियमित पेट्रोलिंग किए जाने को लेकर ही सवाल उपस्थित हो रहे हैं. इस संबंध में प्रधान मुख्य वनसंरक्षक (वन्यजीव) नितिन काकोड़कर को फोन करने पर संपर्क नहीं हो सका.