एनएससीएन(आईएम) की पृथक नगा झंडे और संविधान की मांग के कारण अंजाम तक नहीं पहुंची नगा शांति वार्ता

By भाषा | Updated: December 29, 2020 17:44 IST2020-12-29T17:44:07+5:302020-12-29T17:44:07+5:30

Naga peace talks not reached due to demand for separate Naga flags and constitution of NSCN (IM) | एनएससीएन(आईएम) की पृथक नगा झंडे और संविधान की मांग के कारण अंजाम तक नहीं पहुंची नगा शांति वार्ता

एनएससीएन(आईएम) की पृथक नगा झंडे और संविधान की मांग के कारण अंजाम तक नहीं पहुंची नगा शांति वार्ता

कोहिमा, 29 दिसंबर कोविड-19 महामारी के बीच एनएससीएन(आईएम) की पृथक नगा झंडे और संविधान की मांग के कारण 2020 में नगा शांति वार्ता अंजाम तक नहीं पहुंच सकी।

पिछले वर्ष अक्टूबर में केंद्र की नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (इसाक-मुईवाह) और सात संगठनों वाले नगा नेशनल पोलिटिकल ग्रुप्स (एनएनपीजी) के साथ अलग-अलग वार्ता के समापन के बाद कई लोगों को उम्मीद थी कि इस मसले का हल निकल आएगा।

अपने सीमित संसाधनों के चलते नगालैंड को शुरुआत में नोवेल कोरोना वायरस से निबटने में काफी संघर्ष करना पड़ा लेकिन स्वास्थ्य संबंधी ढांचागत सुविधाओं में इजाफा होने से राज्य प्रशासन ने इस महामारी को फैलने से रोकने के लिए प्रभावी कदम उठा सका।

राज्य में पर्यटकों के बीच आकर्षण का प्रमुख कार्यक्रम ‘हॉर्नबिल फेस्टिवल’ कोरोना वायरस महामारी के कारण इस वर्ष आयोजित नहीं किया जा सका, चहीं क्रिसमस, ईद और दुर्गा पूजा उत्सव का आयोजन भी फीका ही रहा।

एनएससीएन(आईएम) ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के बदले पृथक नगा झंडे और संविधान की मांग दोहराई जकि एनएनपीजी की कामकाजी समिति ने कहा कि वह ऐसी किसी भी शर्त के बिना समझौते के लिए तैयार है।

यहां तक कि एनएससीएन(आईएम) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेज समूह तथा केंद्र के बीच दो दशक से भी अधिक पहले की राजनीतिक वार्ता ‘प्रधानमंत्री स्तर’ पर, बिना किसी पूर्व शर्त के किसी तीसरे देश में बहाल करने की भी मांग की।

नगा शांति वार्ता के लिए राज्यपाल एवं केंद्र के वार्ताकार आर.एन. रवि ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि सशस्त्र गैंग राज्य में अपनी खुद की सरकार चला रहे हैं, निर्वाचित प्राधिकारियों की वैधता को चुनौती दे रहे हैं तथा प्रणाली में ‘विश्वास का संकट’ खड़ा कर रहे हैं।

इसके बाद मुख्य विपक्षी दल नगा पीपल्स फ्रंट (एनपीएफ) ने नगा राजनीतिक मुद्दे पर कथित निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए विधानसभा के संयुक्त मंच से बर्हिगमन किया। विपक्ष के नेता टीआर जेलियांग के नेतृत्व में एनपीएफ के विधायकों ने एनएससीएन(आईएम) और एनएनपीजी से 14 सितंबर को बात की और नगा मुद्दे के समाधान के लिए मिलकर काम करने को कहा। दोनों दलों के हामी भरने के बावजूद इस दिशा में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई।

दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री नेफियू रियो तथा एनपीएफ के नेता टीआर जेलियांग के साथ 20 अक्टूबर को दिल्ली में अलग-अलग बैठक की जिसके बाद दोनों ने 18 दिसंबर को संयुक्त बयान जारी करके साथ काम करने और समाधान निकालने की खातिर विभिन्न नगा समूहों को एक मंच पर लाने की बात कही।

नगालैंड में कोरोना वायरस के पहले तीन मामले 25 मई को सामने आए थे और 25 दिसंबर तक यहां संक्रमण के कुल 11,895 मामले थे जिनमें से 274 मरीजों का अभी उपचार चल रहा है, 11,413 संक्रमणमुक्त हो चुके हैं तथा 77 संक्रमितों की मौत हो चुकी है। वहीं 131 मरीज अन्य राज्यों में चले गए।

कोविड-19 महामारी जहां एक संकट बनकर आई वहीं राज्य के स्वास्थ्य ढांचे में बेहतरी का एक अवसर भी लाई।

महामारी से पहले तक राज्य में बायोसेफ्टी लेवल 3 की एक भी लैब नहीं थी लेकिन अब यहां ऐसी तीन प्रयोगशालाएं हैं। इसी तरह स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र से जुड़े अन्य संसाधन भी बढ़े हैं।

दीमापुर में 22 सितंबर को एक ट्रक चालक की हत्या की घटना के बाद असम के परिवहन संघों नगालैंड सीमा पर नगालैंड के लिए आर्थिक अवरोधक लगा दिए। जिला प्रशासन के लिखित आश्वासन देने के बाद कि मामले की त्वरित जांच होगी, ये अवरोधक हटाए गए।

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने चार दिसंबर को नगालैंड में 15 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की डिजिटल माध्यम से आधारशिला रखी। 266 किमी राजमार्गों का निर्माण 4,127 करोड़ रूपये की अनुमानित लागत से होगा।

नगालैंड के लोकायुक्त न्यायमूर्ति उमा नाथ सिंह ने सितंबर में उप मुख्यमंत्री वाई. पट्टन के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए खारिज कर दिया।

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