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धार्मिक अल्पसंख्यक स्कूलों में मुस्लिम अल्पसंख्यक स्कूलों की हिस्सेदारी 22.75 प्रतिशत: एनसीपीसीआर

By भाषा | Updated: August 10, 2021 20:18 IST

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नयी दिल्ली, 10 अगस्त धार्मिक अल्पसंख्यक स्कूलों में मुस्लिम अल्पसंख्यक स्कूलों की हिस्सेदारी महज़ 22.75 फीसदी है और समुदाय के स्कूलों में गैर-अल्पसंख्यक विद्यार्थियों की संख्या का प्रतिशत सबसे कम है। राष्ट्रीय बाल अधिकार सरंक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के एक नए अध्ययन में यह दावा किया गया है।

अध्ययन में भी पाया गया है कि भारत में धार्मिक अल्पसंख्यक स्कूलों में ईसाई समुदाय की हिस्सेदारी 71.96 फीसदी है, जबकि कुल धार्मिक आबादी में समुदाय की हिस्सेदारी 11.54 प्रतिशत है।

आयोग के अध्ययन का मकसद उन तरीकों का पता लगाना था जो सुनिश्चित करें कि अल्पसंख्यक समुदायों के बच्चों को भी गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक शिक्षा मिले।

अध्ययन में पाया गया है कि धार्मिक अल्पसंख्यक स्कूलों में मुस्लिम समुदाय की हिस्सेदारी 22.75 फीसदी है और उनके अल्पसंख्यक स्कूलों में गैर-अल्पसंख्यक विद्यार्थियों की संख्या सबसे कम 20.29 प्रतिशत है।

अध्ययन के मुताबिक, ‘‘सभी समुदायों में, 62.50 फीसदी विद्यार्थी गैर-अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित है जबकि 37.50 प्रतिशत अल्पसंख्यकों समुदायों से ताल्लुक रखते हैं।”

अध्ययन के मुताबिक, ईसाई समुदाय के स्कूलों में गैर-ईसाई समुदाय से संबंधित विद्यार्थियों की संख्या 74.01 प्रतिशत है।

इसमें कहा गया है कि सिख समुदाय कुल धार्मिक अल्पसंख्यक आबादी में 9.78 प्रतिशत है, जबकि धार्मिक अल्पसंख्यक स्कूलों में उसकी हिस्सेदारी 1.54 प्रतिशत है।

अध्ययन में कहा गया है, “बौद्ध समुदाय कुल धार्मिक आबादी का 3.38 प्रतिशत है और उसका भारत के कुल धार्मिक अल्पसंख्यक स्कूलों में 0.48 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। जैन समुदाय धार्मिक अल्पसंख्यक आबादी में 1.90 प्रतिशत है और धार्मिक अल्पसंख्यक स्कूलों में उसकी हिस्सेदारी 1.56 प्रतिशत है।”

पारसी समुदाय कुल धार्मिक आबादी का 0.03 प्रतिशत है और भारत में कुल धार्मिक अल्पसंख्यक स्कूलों में उसकी हिस्सेदारी 0.38 प्रतिशत हिस्सा है। अन्य धार्मिक समुदायों (आदिवासी धर्मों, बहाई, यहूदियों सहित) का धार्मिक अल्पसंख्यक आबादी में हिस्सेदारी 3.75 प्रतिशत हैं और धार्मिक अल्पसंख्यक स्कूलों में उनकी हिस्सेदारी 1.3 प्रतिशत है।

स्कूल से ‘बाहर के बच्चों’ की पहचान करने के लिए सभी गैर-मान्यता प्राप्त संस्थानों की मैपिंग की सिफारिश करते हुए, एनसीपीसीआर ने कहा कि बड़ी संख्या में बच्चे ऐसे स्कूलों / संस्थानों में पढ़ते हैं जो मान्यता प्राप्त नहीं हैं।

ऐसे संस्थानों की संख्या ज्ञात नहीं है। इसलिए, क्या ये संस्थान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करते हैं, यह भी ज्ञात नहीं है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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