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मुल्लापेरियार बांध का मुद्दा लगातार निगरानी का मामला: न्यायालय

By भाषा | Updated: November 13, 2021 18:48 IST

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नयी दिल्ली, 13 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को कहा कि 126 साल पुराने मुल्लापेरियार बांध से जुड़ा मुद्दा ‘‘निरंतर निगरानी’’ का मामला है। उसने तमिलनाडु सरकार से कहा कि आवश्यकता पड़ने पर वह अदालत के अवलोकन के लिए रिसाव संबंधी आंकड़े तैयार रखे।

मुल्लापेरियार बांध 1895 में केरल के इडुक्की जिले में पेरियार नदी पर बनाया गया था।

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने कहा कि इस मामले में कोई प्रतिकूल दृष्टिकोण नहीं होना चाहिए और अदालत मुद्दों को देखेगी तथा फिर फैसला करेगी।

पीठ ने तमिलनाडु की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफाडे से कहा, ‘‘आपको इस बात को समझना चाहिए कि यह एक ही बार का विचारणीय मामला नहीं है। यह निरंतर निगरानी का मामला है।’’

रिसाव के आंकड़ों का मुद्दा तब उठा जब एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए एक वकील ने कहा कि शीर्ष अदालत को इन आंकड़ों के ब्योरे पर गौर करना चाहिए।

नफाडे ने पीठ को बताया कि सभी आंकड़े और ब्योरे पर्यवेक्षण समिति के पास हैं, जिसने समय-समय पर उन पर विचार किया है।

पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता से कहा, ‘‘इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। जरूरत पड़ने पर आप इसे हमारे अवलोकन के लिए तैयार रखें।’’

नफाडे ने कहा कि तमिलनाडु अदालत के अवलोकन के लिए सभी विवरण के साथ तैयार रहेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी एकमात्र कठिनाई यह है कि केवल हमें परेशान करने के लिए इस अदालत में याचिका के बाद याचिकाएं दायर की जा रही हैं।’’

पीठ ने कहा कि अगर ऐसी कुछ स्थिति है तो इसका कैसे समाधान किया जाएगा, ये ऐसे मामले हैं जिन पर गौर किया जाएगा।

न्यायालय ने कहा, ‘‘अगर कुछ जानकारी उपलब्ध है, तो हम उस पर गौर करेंगे और फिर हम आगे बढ़ेंगे।’’ उसने कहा, ‘‘आखिरकार, हम विशेषज्ञ समिति की राय पर चलेंगे।’’

नफाडे ने कहा, ‘‘यह सोशल मीडिया पर अभियान का हिस्सा है। यह और कुछ नहीं है। जिम्मेदारी की भावना के साथ, मैं यह कह रहा हूं।’’

रिसाव के ब्योरे सहित मुद्दों को उठाने वाले याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि मामला लगभग 50 लाख लोगों के जीवन और संपत्तियों से संबंधित है और तमिलनाडु के पांच जिलों को जहां पानी की जरूरत है, तो वहीं केरल के पांच जिलों को सुरक्षा की जरूरत है।

शुरुआत में, केरल के वकील ने शीर्ष अदालत के 28 अक्टूबर के आदेश का हवाला दिया और कहा कि राज्य ने आठ नवंबर को एक हलफनामा दायर किया था।

उन्होंने कहा कि तमिलनाडु राज्य ने शुक्रवार को अपना जवाब दाखिल किया है।

केरल की ओर से पेश वकील ने कहा, ‘‘मैंने अधिकारियों से 24 घंटे में जवाब देने और निर्देश देने को कहा है क्योंकि वहां कुछ चक्रवाती स्थिति है।’’ उन्होंने अदालत से मामले को सोमवार को देखने का आग्रह किया।

पीठ ने इसके बाद सुनवाई 22 नवंबर तक के लिए टाल दी।

शीर्ष अदालत ने 28 अक्टूबर को कहा था कि तमिलनाडु और केरल विशेषज्ञ समिति द्वारा अधिसूचित जल स्तर संबंधी व्यवस्था का पालन करेंगे।

शीर्ष अदालत ने शनिवार को सुनवाई के दौरान कहा कि अंतरिम व्यवस्था जारी रहेगी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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