भोपाल, तीन जुलाई मध्य प्रदेश के निजी बस मालिकों ने इस साल अप्रैल से जून तक कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण कारोबार बंद रहने के मद्देनजर सरकार से इन तीन महीनों का परमिट कर माफ करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकार ने उनकी मांग नहीं मानी तो वे बसों का संचालन बंद कर सकते हैं।
मध्यप्रदेश प्राइम रूट बस ओनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष गोविंद शर्मा ने पीटीआई/भाषा से कहा कि निजी बस ऑपरेटरों का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार शाम को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलने वाला है जिसमें लगभग 200 करोड़ रुपये की कर राशि माफ करने की मांग की जाएगी।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर सरकार के साथ बातचीत विफल होती है तो हम 15 जुलाई से मुख्य रूप से प्रदेश के अंदर अपनी सेवाएं बंद करने के बारे में गंभीरता से विचार करेंगे।’’ शर्मा ने कहा, ‘‘हमें बसों के लिए मासिक परमिट का भुगतान करना होता है। अप्रैल से जून तक राज्य में कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण बसों का संचालन लगभग बंद रहा। इससे हमें भारी नुकसान हुआ है और हमारे पास कर चुकाने के लिए पैसे नहीं हैं।’’
उन्होंने बताया कि निजी ऑपरेटर प्रदेश में लगभग 35 हजार बसें चलाते हैं। कुछ संचालकों के पास दस से 40 बसें हैं। शर्मा ने बताया कि निजी बस मालिकों पर पिछले तीन महीने से परमिट कर के रूप में प्रदेश सरकार का करीब 200 करोड़ रुपये बकाया है।
मालूम हो कि मध्यप्रदेश में सरकारी राज्य परिवहन निगम के सालों पहले से बंद हो जाने के बाद से प्रदेश में बस सेवा निजी क्षेत्र पर निर्भर है।
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