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मप्र: जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल दूसरे दिन भी जारी, सरकार ने कार्रवाई की दी चेतावनी

By भाषा | Updated: June 1, 2021 16:39 IST

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भोपाल, एक जून मध्यप्रदेश में वैश्विक महामारी के दौरान करीब तीन हजार जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी रही। जूनियर डॉक्टर सरकार से मुख्य तौर पर उनका मानदेय बढ़ाने और कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर उन्हें और उनके परिवार के लिए मुफ्त इलाज की मांग कर रहे हैं।

हालांकि प्रदेश सरकार ने जूनियर डॉक्टरों को हड़ताल जारी रखने पर सख्त कार्रवाई करने की चेतावनी दी है।

मध्यप्रदेश जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (जूडा) के अध्यक्ष अरविंद मीणा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि प्रदेश के छह मेडिकल कॉलेजों से सम्बद्ध जूडा के तीन हजार सदस्य सोमवार से हड़ताल पर हैं । इसके तहत जूनियर डॉक्टर आउट पेशेंट डिपार्टमेंट (ओपीडी), इन-पेशेंट डिपार्टमेंट (आईपीडी) तथा स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के अन्य वार्डो में काम नहीं कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि मंगलवार से जूनियर डॉक्टर कोविड-19 की ड्यूटी से भी हट गए हैं।

उन्होंने बताया कि उनकी छह मांगे हैं। इनमें मानदेय में बढ़ोतरी, कोविड ड्यूटी करने वाले चिकित्सकों व उनके परिजन के लिए अस्पताल में इलाज की अलग व्यवस्था, तथा कोविड ड्यूटी को एक साल की अनिवार्य ग्रामीण सेवा मानकर बांड से मुक्त करना आदि शामिल हैं।

मीणा ने कहा कि आश्वासन देने के बाद भी उनके मानदेय में पिछले कुछ सालों से सरकार द्वारा कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है।

जूडा अध्यक्ष ने दावा किया कि प्रदेश सरकार ने 24 दिन पहले छह जून को उनकी मांगों को पूरा करने का वादा किया था लेकिन तब से इस मामले में कुछ नहीं हुआ है।

उन्होंने कहा हमारी मांग है , ‘‘प्रदेश सरकार हमारी मांगों को पूरा करने के लिए लिखित आदेश जारी करे।’’

इस बीच, प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि हड़ताल कर रहे चिकित्सक यदि काम पर वापस नहीं आए तो प्रदेश सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी।

इस मामले में पूछे जाने पर सारंग ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ प्रदेश सरकार उन्हें प्रतिमाह 60 हजार से 70 हजार रुपये मानदेय दे रही है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब समाज को उनकी सबसे अधिक जरूरत है तब डॉक्टर हड़ताल पर हैं।’’

उन्होंने कहा कि जूडा की छह मांगों में से चार मांगें पूरी तरह से मान ली गई हैं लेकिन वे अब भी अपने जिद्दी रवैये पर कायम हैं।

उन्होंने दावा किया, ‘‘ यह मरीजों को ब्लैकमेल करने जैसा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि जिस संकल्प के साथ वे चिकित्सक बने हैं जब उसे पूरा करने का समय आया है तो उन्होंने मरीजों को ब्लैकमेल करना शुरु कर दिया है।’’

सारंग ने चिकित्सकों से जल्द से जल्द काम पर वापस लौटने का अनुरोध किया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘‘यदि वे काम पर नहीं लौटते हैं तो हमें निश्चित तौर पर कार्रवाई करनी होगी। मरीजों के साथ किसी भी तरह के अन्याय को बर्दाश्त करना हमारे लिए मुश्किल होगा।’’

हालांकि मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रमुख कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश सरकार को जूनियर डॉक्टरों की मांगों पर विचार करना चाहिए।

कमलनाथ ने ट्वीट किया, ‘‘ प्रदेश में छह सूत्रीय मांगों को लेकर जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं। कोरोना महामारी के इस संकट काल में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होंगी। जनहित में सरकार तत्काल उनकी मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार कर निर्णय ले और उनकी हड़ताल समाप्त करवाये।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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