भोपाल, 21 दिसंबर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार पंचायत चुनाव ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) उम्मीदवारों के आरक्षण के साथ कराने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी और इसके लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा भी खटखटाएगी।
चौहान ने राज्य विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव पर बहस का उत्तर देते हुए विपक्षी दल कांग्रेस पर इस मुद्दे पर शीर्ष अदालत जाकर प्रदेश में पंचायत चुनाव की चल रही प्रक्रिया को रोकने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि ओबीसी के लिए राजनीतिक आरक्षण के मुद्दे पर मध्य प्रदेश और केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार एकमत हैं।
शीर्ष अदालत ने गत शुक्रवार को मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग को पंचायत चुनावों में ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों पर चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाने और उन निर्वाचन क्षेत्रों को सामान्य वर्ग के लिए फिर से अधिसूचित करने का निर्देश दिया था।
सदन में इस मुद्दे पर कांग्रेस के स्थगत प्रस्ताव पर जवाब देते हुए चौहान ने कहा, ‘‘ पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के प्रावधान के साथ कराया जाना सुनिश्चित करने के लिए न केवल राज्य सरकार बल्कि केंद्र सरकार भी शीर्ष अदालत में जा रही हैं।’’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ मैं इस मुद्दे पर केंद्रीय कानून मंत्री, गृहमंत्री और कानूनी जानकारों के साथ पिछले दो दिनों से लगातार संपर्क में हूं ताकि कोई रास्ता निकाला जा सके।’’
चौहान ने कहा, ‘‘ चुनाव (पंचायतों के लिए) में ओबीसी आरक्षण जारी रखने के लिए सरकार कोई कसर नहीं छोड़गी।’’
स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा के लिए नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने कहा कि स्थगन प्रस्ताव के लिए कांग्रेस के कई विधायकों ने सूचना दी है क्योंकि यह सार्वजनिक महत्व का मामला है और अन्य विषय छोड़कर इसे प्राथमिकता से लिया जाना चाहिये।
मुख्यमंत्री ने कांग्रेस पर अपने वकील और राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा के माध्यम से पहले मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय और फिर उच्चतम न्यायालय में जाकर पंचायत चुनाव की प्रदेश में जारी प्रक्रिया को रोकने का आरोप लगाया।
चौहान ने कहा कि उनका इरादा चुनावों को रोकना और ओबीसी समुदाय को पंचायत चुनावों में आरक्षण के लाभ से वंचित करना था। अपने भाषण में मुख्यमंत्री ने ओबीसी समुदाय के साथ अनुसूचित जनजाति/अनुसूचित जाति (एसटी/एससी) और उच्च जातियों के गरीबों के लाभ के लिए उनकी सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों का उल्लेख किया।
बहस में भाग लेते हुए कमलनाथ ने साफ किया कि कांग्रेस ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर नहीं बल्कि पंचायत चुनाव में ‘रोटेशन’ और परिसीमन के मुद्दे पर शीर्ष अदालत में गई थी।
उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत में सुनवाई के समय मध्य प्रदेश सरकार के वकील मौजूद थे और उन्होंने इस मामले में एक शब्द भी नहीं कहा। इसके बाद शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र से संबंधित इसी तरह के फैसले की तर्ज पर मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर अपना निर्णय सुनाया।
पिछले सप्ताह, उच्चतम न्यायालय ने मध्य प्रदेश के राज्य निर्वाचन आयोग को स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षित 27 प्रतिशत सीटों को सामान्य श्रेणी के रुप में अधिसूचित करने का निर्देश दिया था ताकि चुनाव प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके।
कमलनाथ ने कहा कि अब भी राज्य सरकार शीर्ष अदालत में वापस जा सकती है और पंचायत चुनाव में ओबीसी समुदाय को आरक्षण प्रदान करने का मार्ग साफ करने के लिए मंजूरी दे सकती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ओबीसी को राजनीतिक आरक्षण देने के मुद्दे पर भाजपा सरकार का समर्थन करेगी।
पिछले सप्ताह उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायतों में ओबीसी समुदाय के लिए आरक्षित सीटों पर चुनाव प्रक्रिया को रोक दिया था जबकि अन्य निर्वाचन क्षेत्रों के लिए निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार कार्य चल रहा है।
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