MP चुनावः ये दो 'हीरा' बन रहे BJP-कांग्रेस के लिए मुसीबत, जोकि 47 सीटों पर बिगाड़ेंगे समीकरण
By लोकमत न्यूज़ ब्यूरो | Updated: October 12, 2018 05:38 IST2018-10-12T05:37:21+5:302018-10-12T05:38:55+5:30
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरासिंह मरकाम ने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ विधानसभा चुनाव में उतरने का फैसला किया है।

MP चुनावः ये दो 'हीरा' बन रहे BJP-कांग्रेस के लिए मुसीबत, जोकि 47 सीटों पर बिगाड़ेंगे समीकरण
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के लिए इस बार दो ‘हीरा’ संकट बन गए हैं। ये दोनों ही आदिवासी समाज का नेतृत्व कर रहे हैं। इन दोनों व्यक्तियों ने भाजपा और कांग्रेस के समीकरण को इस बार बिगाड़ दिया है। एक ने महाकौशल-विंध्य और दूसरे हीरा ने मालवा-निमाड़ में अपनी सक्रियता से दलों के नेताओं को चिंता में डाल रखा है।
कांग्रेस-बीजेपी के लिए बने चिंता का विषय
महाकौशल-विंध्य में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के हीरासिंह मरकाम और मालवा-निमाड़ में जयस के डा. हीरासिंह अलावा हैं, जो इस बार भाजपा और कांग्रेस के प्रदेश ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय नेताओं के बीच चिंता का कारण बन गए हैं। प्रदेश में अब तक के विधानसभा चुनावों में देखने को मिला है कि अजजा वर्ग के लिए आरक्षित 47 सीटें जिस दल के खाते में जाती रही, वह प्रदेश में सरकार बनाता रहा। 2003 के विधानसभा चुनाव के पहले आदिवासी मतदाता कांग्रेस के पक्ष में मतदान करता रहा। मगर 2003 में प्रदेश में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का उदय हुआ। इस चुनाव में गोंगपा के तीन विधायक जीते साथ ही करीब दर्जन भर सीटों पर उसने चुनाव परिणामों को प्रभावित करते हुए कांग्रेस प्रत्याशियों को हराने का काम किया।
गोंगपा ने कसी कमर
गोंगपा आपसी लड़ाई के चलते कमजोर हुई और 2008 एवं 2013 के चुनाव में जीत हासिल नहीं कर पाई, मगर इस बार गोंगपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरासिंह मरकाम ने पूरी तरह से कमर कस ली है। गोंगपा की सक्रियता को देखते हुए विंध्य और महाकौशल में भाजपा और कांग्रेस नेता चिंतित हैं। मध्यप्रदेश के अलावा गोंगपा ने छत्तीसगढ़ में भी अपने प्रत्याशी मैदान में उतारने का फैसला किया है।
यहा है जाति फेक्टर
दूसरी ओर सामाजिक संगठन जय युवा आदिवासी शक्ति संगठन (जयस) ने महाकौशल और निमाड़ में भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों की चिंता को बढ़ा दिया है। जयस के संरक्षक डॉ. हीरालाल अलावा जो कि एम्स दिल्ली से नौकरी छोड़कर समाज में जागरुकता लाने सक्रिय हुए हैं और उन्होंने युवा वर्ग के आदिवासियों के जागरुक किया है। जयस की लोकप्रियता छात्र संघ चुनाव में देखने को मिली थी। मालवा अंचल में जयस ने राजनीति में कदम छात्र संघ चुनाव के जरिए ही रखा और छात्र परिषद के 9 अध्यक्ष और 165 सदस्यों को जीत दिलाई। इसके बाद मालवा-निमाड़ में अजजा वर्ग के लिए आरक्षित सीटों पर जयस ने अपना खासा प्रभाव जमाया। जयस मूलत: भील समुदाय के आदिवासी वर्ग के बीच अपने पैठ जमा रहा है। जयस के अधिकांश कार्यकर्ता और पदाधिकारी युवा है। वहीं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की पैठ गोंड और अन्य आदिवासियों के बीच है।
सपा से गठबंधन, सीटों पर स्थिति साफ नहीं
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरासिंह मरकाम ने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ विधानसभा चुनाव में उतरने का फैसला किया है। दोनों दलों के बीच चर्चा हो गई है, राजनीतिक मंच दोनों दलों के नेताओं ने शहडोल और बालाघाट में एक साथ साझा किया है, मगर सीटों के बंटवारे को लेकर अब भी स्थिति साफ नहीं है। इसके चलते गोंगपा ने प्रदेश के दूसरे आदिवासी संगठन जय युवा आदिवासी शक्ति संगठन (जयस) के संरक्षक डा. हीरालाल अलावा से भी चर्चा की है। संभावना यह है कि अगर सपा से पूरी तरह स्थिति साफ नहीं हुई तो 21 अक्तूबर को गोंगपा, जयस से हाथ मिलाकर प्रदेश की अजजा वर्ग के 47 सीटों के अलावा सामान्य वर्ग की 33 सीटों जहां पर आदिवासी परिणामों को प्रभावित करते हैं, अपने प्रत्याशी मैदान में उतारेंगे। दोनों दल 80 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेंगे जो भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के लिए मुसीबत बन सकते हैं।
(मध्य प्रदेश से राजेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट)