मध्यप्रदेश चुनावः कांग्रेस के गले की फांस बने ये बुआ-भतीजे, बीजेपी भी खाती है खौंफ
By राजेंद्र पाराशर | Updated: November 23, 2018 05:45 IST2018-11-23T05:45:08+5:302018-11-23T05:45:08+5:30
बुआ-भतीजे यानी मायावती और अखिलेश यादव ने इस बार मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में सक्रियता कुछ ज्यादा दिखाई है. बसपा ने राज्य में 227 सीटों पर प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं, जबकि समाजवादी पार्टी ने 52 प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं.

मध्यप्रदेश चुनावः कांग्रेस के गले की फांस बने ये बुआ-भतीजे, बीजेपी भी खाती है खौंफ
मध्यप्रदेश में गठबंधन न होने से खफा बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रदेश में विधानसभा चुनाव में बुंदेलखंड को अपना केंद्र बनाकर प्रदेश में सक्रियता दिखाई है. दोनों ही नेताओं को इस बार बुंदेलखंड में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के अतिमहत्वाकांक्षी नेताओं जिन्हें टिकट नहीं मिला, वे सपा, बसपा से मिलकर साइकिल और हाथी की रफ्तार को तेज कर रहे हैं, जिसके चलते भाजपा से ज्यादा कांग्रेस पर असर होता दिखाई दे रहा है.
बुआ-भतीजे यानी मायावती और अखिलेश यादव ने इस बार मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में सक्रियता कुछ ज्यादा दिखाई है. बसपा ने राज्य में 227 सीटों पर प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं, जबकि समाजवादी पार्टी ने 52 प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं. दोनों दलों का प्रदेश में वजूद तो नहीं है, लेकिन ये दल भाजपा और कांग्रेस के अतिमहत्वाकांक्षी नेताओं जिन्होंने टिकट के लिए अपने दलों का साथ छोड़कर इन दलों से हाथ मिलाया है और इन नेताओं की स्थिति ऐसी भी नजर नहीं आ रही है कि वे चुनाव में जीत का सेहरा पहन सकें लेकिन ये इतना जरूर कर सकने की हालत में हैं कि भाजपा और कांग्रेस के जीत के समीकरण को बिगाड़ सकते हैं.
इनसे ज्यादा नुकसान भाजपा को तो होता नजर नहीं आ रहा है लेकिन कांग्रेस को इन दलों के प्रत्याशियों से ज्यादा नुकसान नजर आ रहा है. कांग्रेस इसे गंभीरता से भी ले रही है और लगातर यहां पर राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के दौरे कराकर सभाएं करा रही है. कुछ स्थानों पर कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों की स्थिति में सुधार भी किया है.
बागियों के सहारे दिखा रहे असर
उत्तरप्रदेश से सटे बुंदेलखंड के सागर संभाग के इन जिलों में 26 विधानसभा क्षेत्र हैं, इनमें करीब आधा दर्जन विधानसभा क्षेत्रों पर इन दलों ने भाजपा और कांग्रेस के बागियों के सहारे अपना असर दिखाना शुरू किया है. वैसे तो इन दोनों ही दलों का राजनीतिक केंद्र यह अंचल नहीं रहा है, लेकिन बागियों के सहारे इस अंचल में ये दल घुसपैठ कर अपना वजूद जमाने का प्रयास कर रहे हैं. इस बार चुनाव में इन दलों को भाजपा और कांग्रेस के बागी नेता खूब भाए हैं.
छतरपुर जिले की राजनगर सीट पर कांग्रेस के कद्दावर नेता सत्यव्रत चतुव्रेदी के बेटे नितिन चतुव्रेदी सपा के प्रत्याशी बने हैं. वहीं, बिजावर सीट पर कांग्रेस के पूर्व विधायक जगदीश शुक्ला के भाई राजेश शुक्ला, चंदला में नगर पंचायत अध्यक्ष अनित्य सिंह बागरी, जतारा में भाजपा की नाराज नेता अनिता खटीक, सागर में कांग्रेस के जगदीश शुक्ला और पवई से भुवन विक्रम सिंह उर्फ केशू राजा को सपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है. वहीं, खरगापुर विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक अजय सिंह यादव, महाराजपुर सीट पर कांग्रेस सेवा दल के जिलाध्यक्ष रहे राजेश मेहतो को बसपा ने अपना उम्मीदवार बनाया है. इन महत्वाकांक्षी नेताओं ने भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के गणित को बिगाड़ दिया है.