कर्नाटक और गोवा में घटे राजनीतिक घटनाक्रम के बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार सतर्क हो गई है. विधायकों की किलेबंदी तेज कर दी है. कर्नाटक से लौटने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने फिर से सभी विधायकों की बैठक बुलाई है. दस दिन में विधायकों की यह दूसरी बैठक है, जो 17 जुलाई को मुख्यमंत्री निवास पर होगी.
मध्यप्रदेश में सरकार बनने के बाद से ही भाजपा द्वारा सरकार को गिराने को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के बयान आते रहे हैं, इसका कांग्रेस नेता भी पलटवार करते रहे हैं, मगर गोवा और कर्नाटक में जो घटनाक्रम घटा है, इसके बाद से मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार ज्यादा सतर्क हो गई है. कर्नाटक घटनाक्रम को साधने के लिए कमलनाथ को वहां भेजा है, मगर वे वहां से मध्यप्रदेश के विधायकों के संपर्क में भी हैं.
मुख्यमंत्री ने विधायकों को संदेश दिया है कि वे 17 जुलाई को बैठक लेंगे, बैठक मुख्यमंत्री निवास पर होगी. बैठक में विधायकों को कांग्रेस एकजुटता और सतर्क रहने का पाठ पढ़ा सकती है. मुख्यमंत्री द्वारा दस दिन में विधायकों की दूसरी बैठक बुलाने को लेकर राजनीतिक चर्चाएं भी चल पढ़ी है. कांग्रेस किसी भी तरह से अपने विधायकों में फूट नहीं देखना चाहती है. वह किसी भी तरह से मध्यप्रदेश में भाजपा को सफल नहीं होने देना चाहती है.
यहां उल्लेखनीय है कि विधायकों की बैठक के पहले कांग्रेस विधायक दल की ओर से व्हीप जारी कर अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान कांग्रेस और कांग्रेस को समर्थन देने वाले विधायकों को सदन में उपस्थित रहने को कहा गया है. ऐसा माना जा रहा है कि इस दौरान भाजपा फ्लोर टेस्ट की मांग कर सकती है. इसलिए मुख्यमंत्री ने कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई है और इस बैठक में वे अपनी रणनीति के तहत विधायकों को सतर्क करना चाहते हैं.
मुख्यमंत्री इसके पहले सत्र शुरु होने के एक दिन पूर्व 7 जुलाई को विधायकों की बैठक ले चुके हैं. अब विधायकों की दूसरी बैठक 17 जुलाई को है. कांग्रेस की इस रणनीति को लेकर भाजपा के नेता और भी गंभीर हैं, मगर वे किसी तरह की बयानबाजी से बच रहे हैं.