कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन ने दूसरे महीने में प्रवेश किया, भाजपा- विपक्ष के बीच वाक् युद्ध तेज

By भाषा | Updated: December 27, 2020 22:32 IST2020-12-27T22:32:48+5:302020-12-27T22:32:48+5:30

Movement against agricultural laws enters second month, Speech war between BJP and Opposition intensifies | कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन ने दूसरे महीने में प्रवेश किया, भाजपा- विपक्ष के बीच वाक् युद्ध तेज

कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन ने दूसरे महीने में प्रवेश किया, भाजपा- विपक्ष के बीच वाक् युद्ध तेज

नयी दिल्ली, 27 दिसंबर तीन नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर कड़ाके की ठंड के बीच दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर चल रहा किसानों का आंदोलन दूसरे महीने में प्रवेश कर गया है, वहीं भाजपा और विपक्षी दलों के बीच रविवार को वाक् युद्ध तेज हो गया।

प्रदर्शनकारी किसान संगठनों द्वारा अगले दौर की वार्ता की तारीख 29 दिसंबर प्रस्तावित करने के एक दिन बाद केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने उम्मीद जताई कि बैठक में समाधान निकल आएगा, जबकि भाजपा के कई नेताओं ने किसानों के मुद्दे का राजनीतिकरण करने के आरोप लगाए।

बहरहाल, किसान नेता और माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य हन्नान मुल्ला ने कहा कि वार्ता के उनके प्रस्ताव का कोई जवाब नहीं मिला है और इन आरोपों को खारिज कर दिया कि आंदोलन के पीछे वामपंथी पार्टियां हैं।

ऑल इंडिया किसान सभा (एआईकेएस) के महासचिव मुल्ला ने कहा, ‘‘कड़ाके की ठंड झेल रहे हजारों किसान जो सीमाओं पर इकट्ठे हुए हैं, वे यहां छुट्टी मनाने के लिए नहीं हैं। सरकार ने अब तक कहा था कि हम कोई बैठक नहीं चाहते, अब जब हम विशेष रूप से उन्हें बता चुके हैं कि बैठक कब, कहां और किस तरह से होगी, उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया है। हम स्वीकार करते हैं कि सरकार के साथ बातचीत के बिना कोई समाधान नहीं हो सकता है।’’

मुल्ला ने कहा कि किसान यूनियनों ने 29 दिसंबर की बैठक के लिए चार विशिष्ट वार्ता बिंदु प्रस्तावित किए हैं - सरकार तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी अधिकार बनाने की प्रक्रिया के बारे में बताये, प्रदूषण से संबंधित मामलों में गिरफ्तार पंजाब के किसानों की रिहाई हो और बिजली संशोधन विधेयक को वापस ले।

माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य 76 वर्षीय मुल्ला ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हालांकि सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, वे आंदोलन पर एक एजेंडे को आगे बढ़ाने में व्यस्त हैं, जो कि कभी भी शुरू करने के लिए हमारा नहीं था। किसान संघर्ष का हिस्सा उन 500 संगठनों में से लगभग 10-11 वामपंथी झुकाव वाले होंगे। वे चाहते हैं कि लोग यह मानें कि करोड़ों लोग वामपंथी दलों के आह्वान का जवाब दे रहे हैं। अगर यह सच होता, तो हमारे पास एक क्रांति होती।’’

केंद्र और कृषि संगठनों के बीच पांच दौर की वार्ता के बाद भी गतिरोध नहीं टूटा है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को दूसरी बार सिंघू बॉर्डर का दौरा किया और केंद्र से कृषि कानूनों को वापस लेने की अपील करते हुए कहा कि किसान जीवित रहने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं।

दिल्ली की सीमाओं पर सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त रहे जहां सिंघू, गाजीपुर और टीकरी में सैकड़ों सुरक्षाकर्मी तैनात रहे। इन सीमाओं पर अधिकतर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान नवंबर के अंतिम हफ्ते से ही डेरा डाले हुए हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मासिक ‘मन की बात’ कार्यक्रम के दौरान प्रदर्शनकारियों ने धरना स्थल पर थालियां एवं अन्य बर्तन पीटे।

सूत्रों ने दावा किया कि पंजाब में पिछले 24 घंटे के दौरान 176 से अधिक मोबाइल टावरों को नुकसान पहुंचाया गया है जबकि मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने दूरसंचार ढांचों को नुकसान नहीं पहुंचाने की अपील की है।

उन्होंने कहा कि पंजाब के विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शनकारी किसानों ने रिलायंस जियो टावर को क्षतिग्रस्त किया है।

टीकरी बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन स्थल से कुछ किलोमीटर की दूरी पर पंजाब के एक वकील ने कथित तौर पर जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली और पुलिस एक कथित सुसाइड नोट की पुष्टि में लगी हुई है, जिसमें उसने कहा कि किसान आंदोलन के समर्थन में वह अपना जीवन कुर्बान कर रहा है।

पुलिस ने कहा कि पंजाब के फाजिल्का जिले के जलालाबाद निवासी अमरजीत सिंह को रोहतक के पीजीआईएमएस में ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इससे पहले किसान आंदोलन से दो और आत्महत्याएं जुड़ी हुई हैं।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि नये कृषि कानूनों पर किसानों को गुमराह करने के प्रयास सफल नहीं होंगे।

हिमाचल प्रदेश में जयराम ठाकुर नीत भाजपा सरकार के तीन साल पूरे होने के अवसर पर एक राज्य स्तरीय कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि नये कृषि कानून किसानों की आय बढ़ाएंगे, लेकिन कांग्रेस उन्हें (किसानों को) गुमराह कर रही है।

सिंह ने डिजिटल माध्यम से कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि जब कभी सुधार लागू किए जाते हैं, तब इसके सकारात्मक परिणाम दिखने में कुछ साल लगते हैं।

उन्होंने कहा कि चाहे तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह द्वारा लाए गये 1991 के आर्थिक सुधार हों या फिर वापजेयी सरकार के दौरान लाए गए अन्य सुधार हों, उनके सकारात्मक परिणाम दिखने में चार-पांच साल लग गए।

रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘इसी तरह, नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा किए गए कृषि सुधारों के सकारात्मक परिणामों को देखने के लिए यदि हम चार-पांच साल इंतजार नहीं कर सकते हैं, तो हम कम से कम दो साल तो इंतजार कर ही सकते हैं। ’’

भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने रविवार को पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लोकसभा में दिए गए एक भाषण का पुराना वीडियो साझा किया और आरोप लगाया कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन पर वह ‘‘राजनीति’’ कर रहे हैं।

एक मिनट और सात सेकेंड के इस वीडियो में राहुल गांधी किसानों को बिचौलियों से बचाने के लिए उन्हें उत्पादों को सीधे कारखानों में बेचने की आवश्यकता की वकालत करते दिख रहे हैं।

नड्डा ने ट्वीट में कहा, ‘‘ये क्या जादू हो रहा है राहुल जी? पहले आप जिस चीज की वकालत कर रहे थे, अब उसका ही विरोध कर रहे है। देश हित, किसान हित से आपका कुछ लेना-देना नहीं है। आपको सिर्फ राजनीति करनी है। लेकिन आपका दुर्भाग्य है कि अब आपका पाखंड नहीं चलेगा। देश की जनता और किसान आपका दोहरा चरित्र जान चुके हैं।’’

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक भाषा का प्रयोग करने को लेकर रविवार को भाजपा पर हमला बोला।

सिंह ने भाजपा से कहा कि वह न्याय के लिए लड़ाई लड़ रहे किसानों की छवि खराब करना और उनके लिए ‘अर्बन नक्सल, खालिस्तानी, गुंडा आदि’ कहना बंद करे।

मुख्यमंत्री ने एक बयान में कहा, ‘‘अगर भाजपा अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहे नागरिकों और आतंकवादियों, उग्रवादियों और गुंडों में फर्क नहीं कर सकती है तो उसे जनता की पार्टी होने का ढोंग छोड़ देना चाहिए।’’

पंजाब के दो कांग्रेस सांसदों ने रविवार को कहा कि केंद्र को तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के साथ अगले दौर की वार्ता से पहले हाल ही में लाए गए पराली जलाने संबंधी अध्यादेश और बिजली विधेयक को वापस ले लेना चाहिए ताकि आंदोलनरत किसानों के साथ वार्ता आसानी से प्रगति कर सके।

किसानों के समर्थन में पिछले करीब तीन सप्ताह से जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे सांसद रवनीत सिंह बिट्टू और जसबीर सिंह गिल ने कहा कि सरकार को हर हाल में प्रदर्शनकारी किसानों का भरोसा जीतना चाहिए।

नवंबर के आखिरी हफ्ते से सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हजारों किसानों से मिलने दूसरी बार पहुंचे केजरीवाल ने कहा, ‘‘ मैं किसी भी केंद्रीय मंत्री को चुनौती देता हूं कि वह किसानों के साथ खुली बहस करें जिससे पता चल जाएगा कि ये कृषि कानून लाभदायक हैं या हानिकारक।’’

केजरीवाल के साथ उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी थे। इससे पहले केजरीवाल सात दिसंबर को दिल्ली-हरियाणा के सिंघू बॉर्डर पर किसानों से मिलने गए थे।

उन्होंने कहा, ‘‘ किसान अपने जीवन के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। ये कानून उनकी भूमि छीन लेगा। मैं हाथ जोड़कर केंद्र से अपील करता हूं कि वह कृपा कर इन तीनों कृषि कानूनों को वापस ले।’’

दिल्ली प्रदेश भाजपा ने केंद्र के नये कृषि कानूनों का विरोध करने पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को रविवार को घेरने की कोशिश की। पार्टी के प्रदेश प्रमुख आदेश गुप्ता और पार्टी के लोकसभा सदस्य मनोज तिवारी ने केजरीवाल से अपनी पसंद की तारीख और जगह तय करने को कहा, जहां वे इन कानूनों के उन्हें फायदे समझा सकें।

इससे पहले तिवारी ने शनिवार को मुख्यमंत्री को यहां मदर टेरेसा क्रीसेंट रोड स्थित अपने आवास पर नए कृषि कानूनों के ‘‘फायदे’’ बताने के लिए आमंत्रित किया था, जिसे केजरीवाल ने नजरअंदाज कर दिया है।

तिवारी ने कहा कि वह रविवार को दोपहर तीन बजे मुख्यमंत्री का अपने आवास पर इंतजार कर रहे थे।

गुप्ता भी तिवारी के साथ उनके आवास पर मौजूद थे। उन्होंने कहा कि चूंकि दिल्ली के मुख्यमंत्री भाजपा सांसद के घर नहीं आए, इसलिए वह समय और स्थान तय कर लें, जहां उन्हें तीनों कानूनों के लाभ के बारे में बताया जा सके।

तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी ने किसान आंदोलन को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधा, जो हाल में पश्चिम बंगाल के दौरे पर गए थे।

उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर आंदोलनकारी किसानों से मिलने के बारे में उनकी क्या राय है? वह वहां भोजन करने क्यों नहीं जाते? क्योंकि उनमें साहस नहीं है।’’

आंदोलन को लेकर बंद रास्तों के बारे में दिल्ली यातायात पुलिस ने लोगों को आगाह किया।

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