मुठभेड़ में शहीद हुए मेजर केतन शर्मा का पार्थिव शरीर मेरठ पहुंचा, एक झलक पाने को उमड़ी भारी भीड़
By भाषा | Updated: June 18, 2019 17:10 IST2019-06-18T17:10:24+5:302019-06-18T17:10:24+5:30
शहीद मेजर केतन शर्मा को सेना के जवानों ने सलामी दी। सूरजकुंड पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान सेना के अफसरों ने शहीद केतन शर्मा के परिवार के सदस्यों को सांत्वना दी। प्रदेश सरकार के मंत्री सुरेश राणा भी शहीद के घर पहुंचे।

शहीद मेजर के पिता रविंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि 20 दिन पहले ही 27 मई को वह अवकाश से ड्यूटी पर लौटे थे।
दक्षिणी कश्मीर के अनंतनाग जिले के अच्छाबल इलाके में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए मेजर केतन शर्मा का पार्थिव शरीर मेरठ पहुंच गया है। इस दौरान शहीद मेजर की एक झलक पाने के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी।
वहीं, शहीद मेजर केतन शर्मा को सेना के जवानों ने सलामी दी। सूरजकुंड पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान सेना के अफसरों ने शहीद केतन शर्मा के परिवार के सदस्यों को सांत्वना दी। प्रदेश सरकार के मंत्री सुरेश राणा भी शहीद के घर पहुंचे।
Mortal remains of Army Major Ketan Sharma reach his residence in Meerut. He lost his life in Anantnag encounter yesterday. pic.twitter.com/efmX5pm9Jo
— ANI UP (@ANINewsUP) June 18, 2019
गौरतलब है कि अच्छाबल के बिडूरा गांव में रविवार देर रात सुरक्षाबलों को दो से तीन आतंकवादियों के छिपे होने की सूचना मिली थी। 19 वीं राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर), सीआरपीएफ और पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) के जवानों ने इलाके की घेराबंदी कर तलाशी अभियान चलाया था।
इस दौरान सोमवार तड़के आतंकियों के साथ मुठभेड़ हो गई। मुठभेड़ के दौरान सेना के मेजर केतन शर्मा शहीद हो गए थे। शहीद मेजर केतन शर्मा मेरठ के श्रद्धापुरी फेज-2 निवासी थे। वह परिवार में इकलौते पुत्र थे। उनकी एक बहन है। मेजर की शादी 2012 में हुई थी। उनकी पांच वर्ष की एक बेटी है।
Meerut: Mortal remains of Army Major Ketan Sharma brought to Army Cantonment area. He lost his life in Anantnag encounter yesterday pic.twitter.com/2NnWU72SWN
— ANI UP (@ANINewsUP) June 18, 2019
शहीद मेजर के पिता रविंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि 20 दिन पहले ही 27 मई को वह अवकाश से ड्यूटी पर लौटे थे। वहीं, सोमवार शाम को भी डीएम अनिल ढींगरा, भाजपा विधायक सत्य प्रकाश अग्रवाल और शहर के गणमान्य लोग शहीद के घर पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने परिजनों को ढांढस बंधाया।