लोगों पर जुर्माना लगाना शुरू करने से पहले ईंधन स्टीकर के लिए और वक्त दिया जाए: दिल्ली उच्च न्यायालय

By भाषा | Updated: December 24, 2020 20:30 IST2020-12-24T20:30:30+5:302020-12-24T20:30:30+5:30

More time should be given for fuel sticker before people start imposing fines: Delhi High Court | लोगों पर जुर्माना लगाना शुरू करने से पहले ईंधन स्टीकर के लिए और वक्त दिया जाए: दिल्ली उच्च न्यायालय

लोगों पर जुर्माना लगाना शुरू करने से पहले ईंधन स्टीकर के लिए और वक्त दिया जाए: दिल्ली उच्च न्यायालय

नयी दिल्ली, 24 दिसंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को आम आदमी पार्टी सरकार को सुझाव दिया कि वह नियमों का उल्लंघन किए जाने पर 5,500 रुपये का जुर्माना लगाना शुरू करने से पहले लोगों को रंग आधारित ईंधन स्टीकर एवं ‘हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन (नंबर) प्लेट’ (एचएसआरपी) हासिल करने के लिए और समय दे।

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार को नागरिकों के बीच दहशत नहीं पैदा करना चाहिए क्योंकि कुछ लोग स्थिति का फायदा उठा सकते हैं।

न्यायाधीशों ने कहा कि वे स्टीकरों की जरूरत से अनभिज्ञ हैं और अतरिक्त सरकारी वकील सत्यकाम को स्टीकरों एवं एचएसआरपी को प्रचारित करने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में विस्तृत जानकारी के साथ आने को कहा।

उन्होंने वकील से यह जानकारी ले कर आने को भी कहा कि स्टीकरों और एचएसआरपी की बिक्री ‘ऑरिजनल इक्वीपमेंट मैन्युफैक्चर्स’ को आउटसोर्स करने का फैसला किसने किया था, किसने इसके लिए दर तय की और लोगों पर जुर्माना लगाना शुरू करने से पहले क्या ये स्टीकर और एचएसआरपी हासिल करने के लिए उन्हें और वक्त दिया जाएगा।

पीठ ने कहा कि यहां तक कि उच्च न्यायालय के वाहनों पर ये स्टीकर नहीं हैं और हैरानगी जताते हुए कहा कि क्या उन पर भी जुर्माना लगाया जाएगा।

न्यायमूर्ति सिंह ने स्टीकरों के बारे में अपना निजी अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्हें चालान अभियान के बारे में खबरों से पता चला और उन्होंने अपने दो वाहनों के लिए बड़ी ही मशक्कत से स्टीकर बुक किए क्योंकि इसकी वेबसाइट ‘क्रैश’ (ठप्प) हो रही थी।

अदालत ने यह भी कहा कि इस साल अगस्त में दिल्ली सरकार द्वारा स्टीकरों और एचएसआरपी की जरूरत के बारे में विज्ञापन जारी करना आदर्श समय नहीं था।

अदालत ने दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति के प्रमुख अनिल कुमार द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह कहा।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि ‘ऑरिजनल इक्वीपमेंट मैन्युफैक्चर्स’ (ओईएम) राष्ट्रीय राजधानी में वाहनों के लिए अनिवार्य किए गए रंग आधारित स्टीकरों और एचएसआरपी के लिए अतिरिक्त शुल्क वसूल रहे हैं।

अधिवक्ता सुनिल फर्नांडीस ने कुमार की ओर से पेश होते हुए अदालत से कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा शुरू किया गया चालान अभियान ने लोगों को भयाक्रांत कर दिया है और वे ये स्टीकर एवं एचएसआरपी प्राप्त करने की जद्दोजहद कर रहे हैं ताकि उन्हें जुर्माने का सामना नहीं करना पड़ना पड़े।

पीठ ने फर्नांडीस को सुनवाई के दौरान सुझाव दिया कि वह ‘‘सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चर्स’’ (एसआईएएम) को एक पक्षकार बनाए क्योंकि यह स्टीकर और एचएसआरपी जारी करने में शामिल है।

अतिरिक्त सरकारी अधिवक्ता सत्यकाम ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश होते हुए अदालत से कहा कि उसका (दिल्ली सरकार का) स्टीकरों और एचएसआरपी की दर तय करने से कोई लेना-देना नहीं है तथा यह केवल शीर्ष न्यायालय के निर्देशों को लागू करना चाहता है, जिसके तहत कहा गया था कि सभी वाहनों पर एचएसआरपी और स्टीकर होने चाहिए।

सत्यकाम ने पीठसे कहा कि केंद्र ने दर निर्धारित की थी और स्टीकरों की अवधारणा 2018 में शीर्ष न्यायालय द्वारा पेश की गई थी।

याचिका में दावा किया गया है कि दिल्ली में अभी करीब 35 लाख वाहन हैं जिन्हें स्टीकरों की जरूरत पड़ेगी। मौजूदा मूल्य अंतर के आधार पर ओईएम को करीब 342 करोड़ रुपये का फायदा होगा।

याचिका में कथित फर्जीवाड़ा का दावा करते हुए एक यह उदाहरण भी दिया गया है कि स्टीकर को घर पर पहुंचाने की फीस के तौर पर 118 रुपया लिया जाएगा।

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