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मोदी का पीएम-किसान को लेकर ममता पर निशाना, वामपंथी दलों को भी लिया आड़े हाथ

By भाषा | Updated: December 25, 2020 18:39 IST

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नयी दिल्ली, 25 दिसंबर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (पीएम-किसान) के लाभ से पश्चिम बंगाल के 70 लाख से अधिक किसानों को वंचित रखने को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर जमकर हमला बोला और आरोप लगाया कि वह राजनीतिक कारणों से ऐसा कर रही हैं।

प्रधानमंत्री ने पश्चिम बंगाल में कभी बड़ी ताकत रहे वामपंथी दलों पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि उनकी राजनीतिक विचारधारा ने बंगाल को ‘‘बर्बाद’’ कर दिया। उन्होंने कहा कि बंगाल में किसानों के अहित पर वे कुछ नहीं बोलते लेकिन और अब किसानों के नाम पर देश की अर्थ नीति को बर्बाद करने में लगे हुए हैं।

ज्ञात हो कि पश्चिम बंगाल में अगले साल अप्रैल-मई महीने में विधानसभा के चुनाव होने हैं और भाजपा ने अभी से वहां अपना अभियान चला रखा है। वामपंथी दलों के 34 साल के शासन का खात्मा कर ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस वहां 2011 से सत्ता पर काबिज है।

पीएम-किसान के तहत मिलने वाले वित्तीय लाभ की अगली किस्त जारी करने के बाद प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि जहां तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं वहीं पश्चिम बंगाल में इस योजना को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा क्रियान्वित न किए जाने पर वहां कोई आंदोलन नहीं हो रहा है।

प्रधानमंत्री ने एक बटन दबा कर नौ करोड़ किसान लाभार्थियों के खातों में 18,000 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए।

इस योजना के तहत हर साल तीन किस्तों में किसानों के खातों में 6000 रुपये भेजे जाते हैं। 2,000 रुपये की राशि तीन किस्तों में भेजी जाती है।

उन्होंने कहा, ‘‘पूरे हिंदुस्तान के किसानों को इस योजना का लाभ मिल रहा है। सभी विचारधारा की सरकारें, इससे जुड़ी हैं लेकिन लेकिन एकमात्र पश्चिम बंगाल है जहां के 70 लाख से अधिक किसान इस योजना के लाभ नहीं ले पा रहे हैं। उनको यह पैसे नहीं मिल पा रहे हैं, क्योंकि बंगाल की सरकार अपने राजनीतिक कारणों से इसे लागू नहीं कर रही है।’’

उन्होंने कहा कि राज्य के किसानों को भारत सरकार से पैसा जाने वाला है और इसमें राज्य सरकार का कोई खर्चा नहीं है फिर भी उन्हें इस लाभ से वंचित रखा जा रहा हैं

प्रधानमंत्री ने कहा कि कई किसानों ने भारत सरकार को इसके लाभ के लिए सीधी चिट्ठी भी लिखी है लेकिन राज्य सरकार उसमें भी रोड़े अटका रही है।

मोदी ने वामपंथी दलों पर निशाना साधते हुए उनसे सवाल किया कि वे क्यों नहीं इस मुद्दे पर राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग 30-30 साल तक बंगाल में राज करते थे... एक ऐसी राजनीतिक विचारधारा को लेकर के बंगाल को कहां से कहां ला दिया और क्या हालत करके रखा है.. सारा देश जानता है। ममता जी के 15 साल पुराने भाषण सुनेंगे तो पता चलेगा कि इस राजनीतिक विचारधारा ने बंगाल को कितना बर्बाद कर दिया था।’’

उन्होंने कहा कि किसानों को दो हजार रुपया मिलने वाला यह कार्यक्रम है लेकिन इन लोगों (वाम दलों) ने बंगाल के अंदर कोई आंदोलन नहीं चलाया।

उन्होंने कहा, ‘‘आपके दिल में किसानों के लिए इतना प्यार था तो ...बंगाल आपकी धरती है...बंगाल में किसानों को न्याय दिलाने के लिए, पीएम-किसान के पैसे किसानों को मिले, इसके लिए क्यों आंदोलन नहीं किया? क्यों आपने आवाज नहीं उठाई? और आप वहां से उठकर पंजाब पहुंच गए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘स्वार्थ की राजनीति करने वालों को जनता बहुत बारीकी से देख रही है। जो दल पश्चिम बंगाल में किसानों के अहित पर कुछ नहीं बोलते वो दल यहां किसान के नाम पर दिल्ली के नागरिकों को परेशान करने में लगे हुए हैं, देश की अर्थनीति को बर्बाद करने में लगे हुए हैं।’’

वामपंथी दलों के साथ कांग्रेस पर भी हमला करते हुए मोदी ने कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) मंडियों का मुद्दा भी उठाया और उनपर दोहरा चरित्र अपनाने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, ‘‘जिन्‍होंने बंगाल को बर्बाद किया, केरल में उनकी सरकार है। इसके पहले जो 50 साल 60 साल तक देश पर राज करते थे उनकी सरकार थी। केरल में एपीएमसी नहीं हैं। मंडियां नहीं हैं। केरल में आंदोलन करके वहां तो एपीएमसी चालू करवाओ।’’

उन्होंने कहा, ‘‘पंजाब के किसानों को गुमराह करने के लिए आपके पास समय है, केरल के अंदर यह व्‍यवस्‍था नहीं है, अगर ये व्‍यवस्‍था अच्‍छी है तो केरल में क्‍यों नहीं है? क्‍यों आप दोगली नीति लेकर के चल रहे हो? ये किस तरह की राजनीति कर रहे हैं जिसमें कोई तर्क नहीं है, कोई तथ्य नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि सिर्फ झूठे आरोप लगाकर और अफवाहें फैलाकर ये विपक्षी दल ‘‘भोले-भाले किसानों’’को गुमराह कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि विपक्षी दल अखबारों और मीडिया में जगह बनाकर राजनीतिक मैदान में खुद के जिंदा रहने की जड़ी-बूटी खोज रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन देश का किसान उसको पहचान गया है। अब देश को किसान उनको ये जड़ी-बूटी कभी देने वाला नहीं है। कोई भी हो, राजनीति, लोकतंत्र में राजनीति करने का उनका हक है, हम उसका विरोध नहीं कर रहे। लेकिन निर्दोष किसानों की जिंदगी के साथ न खेलें, उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ न करें, उन्हें गुमराह न करें, भ्रमित न करें।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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