नई दिल्लीः त्योहारों के मौसम में रसातल में जाती देश की अर्थव्यवस्था और आसमान छूती महंगाई को लेकर मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर है। बिहार चुनाव में रोज़गार के बाद महंगाई बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया है।
महंगाई के सवाल पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने सरकार पर तंज़ कसते हुये हमला बोला। उन्होंने टिप्पणी की " भाजपा का जनता को दिवाली का गिफ़्ट, भयंकर महंगाई। भाजपा का अपने पूंजीपति मित्र को दिवाली गिफ़्ट, 6 एयरपोर्ट, पूँजीपतियों का साथ,पूँजीपतियों का विकास। " प्रियंका के ट्वीट के साथ ही राहुल ने भी ट्वीट किया "देश के किसानों ने माँगी मंडी,पीएम ने थमा दी भयानक मंदी। "
दरअसल इन दोनों नेताओं की टिप्पणी सब्जी ,फल ,दालें जैसी रोज़मर्रा की वस्तुओं की क़ीमतों में आयी तेज़ी के बाद आयी। बाज़ार भाव की बात करें तो आलू और प्याज़ के भाव 50 से 90 रुपये प्रति किलो तक जा पहुंचे हैं। उपभोक्ता खाद्यान्न प्राइस इंडेक्स 10 फ़ीसदी के ऊपर निकल रहा है।
सितम्बर -अक्टूबर के बीच के आंकड़े बताते हैं कि सब्जियों के भाव में 22. 71 फ़ीसदी वृद्धि हुयी है आज भी ऊपर की ओर बढ़ रही है। कमोवेश यही हाल दालों का है ,जिनके भाव 14 फ़ीसदी से अधिक बढ़े हैं। पिछले 10 वर्षों में यह पहला मौका है जब आलू के दाम 50 से 60 रुपये प्रति किलो पहुँच गये हैं।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने एक और ट्वीट किया। पिछले एक साल में आलू के दाम लगभग 100% और प्याज के दाम 50% बढ़े हैं। जहां एक तरफ जनता सब्जियों के बढ़ते दामों के चलते बेहाल है वहीं इनको उगाने वाले अन्नदाताओं को इनके दाम नहीं मिलते हैं और उन पर कर्ज का बोझ बढ़ रहा है। ये सरकार किसान, गरीबों एवं मध्यम वर्ग की दुश्मन है।
2019 में जो प्याज़ लगभग 45 रुपये प्रति किलो थी 2020 में 110 रुपये किलो में बिकी। जिसका मतलब 143 फ़ीसदी महँगी। आज उरद दाल 106 रुपये किलो ,अरहर 107 रुपये ,मसूर दाल 78 रुपये प्रति किलो ,मूँग दाल 103 रुपये प्रति किलो मिल रही है।
कृषि मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि 2018 -19 में आलू कोल्ड स्टोरेज भंडारण 238 लाख टन से अधिक था वह 2020 में गिर कर 214 लाख टन रह गया है। यही हाल दलों और दूसरी दैनिक उपभोग की वस्तुओं की है। बढ़ती महँगाई पर सरकार अंकुश लगाती नज़र नहीं आ रही नतीजा विपक्ष सरकार पर हमलावर है।