केवडिया (गुजरात), 26 नवंबर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को ‘‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’’ (वन नेशन, वन इलेक्शन) की जोरदार वकालत की और इसे केवल विचार-विमर्श का मुद्दा नहीं बल्कि देश की जरूरत बताते हुए कहा कि इस बारे में गंभीरता से सोचा जाना चाहिए।
मोदी यहां वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से पीठासीन अधिकारियों के 80वें अखिल भारतीय सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। दो दिन का यह सम्मेलन बुधवार को शुरू हुआ था जिसका उद्घाटन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया था।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर लोकसभा, विधानसभा या पंचायत चुनावों के लिए केवल एक मतदाता सूची का उपयोग किए जाने की भी वकालत की।
उन्होंने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत नई नीति-नई रीति के साथ इसका मुकाबला कर रहा है और दुश्मन देश को मुंह-तोड़ जवाब दे रहा है।
मोदी ने अपने संबोधन के दौरान कहा, ‘‘वन नेशन, वन इलेक्शन सिर्फ चर्चा का विषय नहीं है बल्कि ये भारत की जरूरत है। हर कुछ महीने में भारत में कहीं न कहीं चुनाव हो रहे होते हैं। इससे विकास कार्यों पर प्रभाव पड़ता है। ऐसे में वन नेशन, वन इलेक्शन पर गहन मंथन आवश्यक है।’’
उन्होंने कहा कि इसमें पीठासीन अधिकारी काफी मार्गदर्शन कर सकते हैं और अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर लोकसभा, विधानसभा या पंचायत चुनावों के लिए केवल एक मतदाता सूची का उपयोग किए जाने की वकालत की।
उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए रास्ता बनाना होगा। हम इन सब पर समय और पैसा क्यों बर्बाद कर रहे हैं?’’
मोदी ने कहा कि भारत 26 नवंबर के मुंबई आतंकवादी हमले के जख्म को कभी नहीं भूल सकता तथा देश एक नयी नीति और एक नयी प्रक्रिया के साथ आतंकवाद से मुकाबला कर रहा है।
मुंबई आतंकवादी हमले की 12 वीं बरसी पर मोदी ने कहा, ‘‘उस आतंकवादी हमले में कई लोग मारे गए और कई देशों के लोग इसके शिकार हुए। मैं उन सभी को श्रद्धांजलि देता हूं। मैं उन सुरक्षाकर्मियों को नमन करता हूं जिन्होंने उस हमले में अपनी जान गंवा दी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत मुंबई आतंकवादी हमले के जख्म को नहीं भूल सकता।’’
प्रधानमंत्री ने कहा,‘‘भारत अब नयी नीति और नयी प्रक्रिया के साथ आतंकवाद से लड़ रहा है।’’
उन्होंने आतंकी साजिशों को नाकाम करते हुए आतंकवाद से लड़ने वाले, भारत के सुरक्षा बलों की भी सराहना की।
मोदी ने कहा, ‘‘मैं 26 नवंबर के मुंबई हमले जैसे बड़े आतंकी हमलों को नाकाम करने वाले अपने सुरक्षा बलों को नमन करता हूं। वे आतंकवाद को करारा जवाब दे रहे हैं और हमारी सीमाओं को सुरक्षित बनाने में लगे हुए हैं।’’
पाकिस्तान के आतंकवादियों ने 12 साल पहले, देश की आर्थिक राजधानी में आतंकी हमला किया था और तीन दिनों तक चले इस हमले में 18 सुरक्षाकर्मियों सहित 166 लोगों की मौत हो गयी थी।
सुरक्षा बलों ने नौ आतंकवादियों को मार गिराया था। जीवित पकड़े गए एकमात्र आतंकवादी अजमल कसाब को चार साल बाद फांसी दी गई थी।
मोदी ने इस अवसर पर कहा कि सरकारी निर्णयों को मापने का एकमात्र मापदंड ‘राष्ट्रहित’ होना चाहिए और इसमें जब राजनीति हावी हो जाती है तो इसका नुकसान देश को उठाना पड़ता है।
उन्होंने यहां स्थित सरदार सरोवर बांध से आज देश को मिल रहे लाभों की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि इसका निर्माण कार्य ‘राजनीति’ की वजह से बरसों तक अटका रहा जिसका देश को बहुत नुकसान हुआ।
विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा करने वालों को कोई पश्चाताप भी नहीं है।
मोदी ने कहा, ‘‘हमारे हर निर्णय का आधार एक ही होना चाहिए। इसे एक ही तराजू पर तौला जाना चाहिए...एक ही मानदंड होना चाहिए और वह है राष्ट्रहित। जब निर्णयों में देशहित और लोकहित की बजाय राजनीति हावी होती है तो उसका नुकसान देश को उठाना पड़ता है। सरदार सरोवर बांध भी इसका बहुत बड़ा उदाहरण है।’’
पीठासीन अधिकारियों से मुखातिब प्रधानमंत्री ने कहा ‘‘केवड़िया प्रवास के दौरान आप सभी ने सरदार सरोवर बांध की विशालता, भव्यता और उसकी शक्ति देखी होगी लेकिन इसका काम बरसों तक अटका रहा और फंसा रहा।’’
उन्होंने कहा कि आज इस बांध का लाभ गुजरात के साथ ही मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान के लोगों को हो रहा है। इस बांध से गुजरात की 18 लाख हेक्टेयर जमीन को, राजस्थान की 2.5 लाख हेक्टेयर जमीन को सिंचाई की सुविधा सुनिश्चित हुई है।
उन्होंने कहा कि गुजरात के नौ हजार से ज्यादा गांव, राजस्थान और गुजरात के अनेकों छोटे-बड़े शहरों को घरेलू जरूरत के पानी की आपूर्ति इसी सरदार सरोवर बांध की वजह से हो पा रही है।
मोदी ने कहा, ‘‘ये सब बरसों पहले भी हो सकता था। लेकिन बरसों तक जनता इनसे वंचित रही। जिन लोगों ने ऐसा किया, उन्हें कोई पश्चाताप भी नहीं है। इतना बड़ा राष्ट्रीय नुकसान हुआ, लेकिन जो इसके जिम्मेदार थे, उनके चेहरे पर कोई शिकन नहीं है। हमें देश को इस प्रवृत्ति से बाहर निकालना है।’’
उन्होंने संसद और विधानसभाओं के डिजिटलीकरण पर भी बल दिया और इस दिशा में कदम उठाने को कहा। उन्होंने कहा, ‘‘ डिजिटाइजेशन को लेकर संसद में और कुछ विधानसभाओं में कुछ कोशिशें हुई हैं लेकिन अब पूर्ण डिजिटाइजेशन का समय आ गया है।’’
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि संविधान के मूल्यों का प्रसार किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जिस तरह ‘‘केवाईसी- नो योर कस्टमर’’ डिजिटल सुरक्षा की कुंजी है, उसी तरह ‘‘केवाईसी-नो योर कांस्टिट्यूशन’’, संवैधानिक सुरक्षा की बड़ी गारंटी हो सकता है।
मोदी ने कहा कि हमारे कानूनों की भाषा बहुत सरल और आम जन की समझ में आने वाली होनी चाहिए ताकि वे हर कानून को ठीक से समझ सकें। उन्होंने कहा कि पुराने पड़ चुके कानूनों को निरस्त करने की प्रक्रिया भी सरल होनी चाहिए।
उन्होंने सुझाव दिया कि एक ऐसी प्रक्रिया लागू की जाए जिसमें जैसे ही हम किसी पुराने कानून में सुधार करें, तो पुराना कानून स्वत: ही निरस्त हो जाए।
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