आधुनिक महिला विवाह और बच्चा नहीं चाहती है, इस बयान को संदर्भ से इतर पेश किया गया : मंत्री

By भाषा | Updated: October 11, 2021 19:46 IST2021-10-11T19:46:47+5:302021-10-11T19:46:47+5:30

Modern woman does not want marriage and child, this statement was taken out of context: Minister | आधुनिक महिला विवाह और बच्चा नहीं चाहती है, इस बयान को संदर्भ से इतर पेश किया गया : मंत्री

आधुनिक महिला विवाह और बच्चा नहीं चाहती है, इस बयान को संदर्भ से इतर पेश किया गया : मंत्री

बेंगलुरु, 11 अक्टूबर कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर के. सुधाकर ने सोमवार को कहा कि निम्हांस के एक कार्यक्रम में विवाह और बच्चे पैदा करने की आधुनिक महिलाओं की अनिच्छा को लेकर दिए गए बयान को संदर्भ से इतर पेश किया गया है। मंत्री ने कहा कि उनकी मंशा महिलाओं की आलोचना करने की नहीं थी और इसके तथ्य एक सर्वेक्षण पर आधारित हैं जिसने आंकड़ों के आधार पर नयी पीढ़ी की सोच को दर्शाया है।

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और स्नायु विज्ञान संस्थान (निम्हांस) में रविवार को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में सुधाकर ने कहा, ‘‘मुझे आज यह कहते हुए बहुत दुख हो रहा है कि भारत में अनेक आधुनिक महिलाएं विवाह नहीं करना चाहती हैं। अगर वह विवाह कर भी लें तो बच्चा नहीं चाहती हैं। वे सेरोगेसी का रास्ता अपना रही हैं। ऐसे में हमारी सोच में बहुत बदलाव आया है, जो सही नहीं है।’’

इस बयान के संदर्भ में सोमवार को स्पष्टीकरण देते हुए सुधाकर ने कहा, ‘‘यह दुर्भायपूर्ण है कि निम्हांस में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर मेरे साढ़े उन्नीस मिनट लंबे भाषण के एक छोटे हिस्से को संदर्भ से बाहर पेश किया गया जिसके कारण प्रतिष्ठित राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और स्नायु विज्ञान संस्थान (निम्हांस) में मैं जो विचार रख रहा था वह बेमतलब हो गया।’’

उन्होंने कहा कि बेटी का पिता और पेशे से डॉक्टर होने के नाते वह महिलाओं से जुड़ी संवेदनशीलताओं और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों को समझते हैं।

सुधाकर ने कहा कि तमाम अनुसंधानों और अध्ययनों से यह स्थापित हो चुका है कि ऐसे में जब मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े संसाधनों की कमी है, परिवार का साथ सबसे महत्वपूर्ण होता है, जो तनाव भरे माहौल या हालात से निपटने में मदद कर सकता है। भारतीय समाज समूहिकतावादी है और वह सामाजिक सहयोग तथा परस्पर निर्भरता को बढ़ावा देता है।

मंत्री ने कहा कि सामूहिकता के सिद्धांत का पालन करने वाले भारत के पारंपरिक संयुक्त परिवार ने खुद को मानसिक रूप से बीमार लोगों की देखभाल में खुद को बहुत अच्छे संसाधन के रूप में साबित किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘पश्चिमी समाज की तरह नहीं, जो व्यक्तिवाद पर जोर देता है, भारतीय समाज सामूहिकतावादी है जो परस्पर निर्भरता और सहयोग को बढ़ावा देता था, जिसमें सामाजिक ढांचे का मुख्य बिन्दू परिवार होता है।’’

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इसलिए भारतीय और एशियाई परिवार अपने परिवार के सदस्यों का ख्याल रखने से ज्यादा जुड़े होते हैं और अगर उनमें से कोई बीमार हो जाए तो पश्चिमी देशों के परिवारों के मुकाबले वह ज्यादा ध्यान देते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय परिवार अपने बीमार सदस्य से ज्यादा घुले-मिले रहते हैं और उनका बेहतर ख्याल रख सकते हैं।

अपने दावे के पक्ष में उन्होंने ‘इंडियन जर्नल ऑफ साइकियाट्री’ में प्रकाशित एक शोध पत्र का हवाला दिया।

सुधाकर ने कहा कि विवाह और बच्चे से नयी पीढ़ी के मुंह मोड़ने के संबंध में उनका बयान भी एक सर्वेक्षण पर आधारित था।

मंत्री ने कहा कि यूजीओवी-मिंट-सीपीआर मिलेनियल सर्वे के अनुसार, 1981 से 1996 के बीच पैदा हुए लोगों (मिलेनियल) में 19 प्रतिशत ऐसे हैं जिन्हें विवाह या बच्चों में कोई दिलचस्पी नहीं है। उन्होंने कहा कि आठ प्रतिशत ऐसे भी हैं जिन्हें बच्चा तो चाहिए लेकिन वे विवाह नहीं करना चाहते हैं।

सुधाकर ने कहा, ‘‘1996 के बाद जन्मे बच्चों (जेनेरेशन जेड) में से 23 प्रतिशत ऐसे हैं जिन्हें विवाह या बच्चे किसी में दिलचस्पी नहीं है। वहीं मिलेनियल में आठ प्रतिशत ऐसे हैं जो बच्चा तो चाहते हैं लेकिन उन्हें विवाह में कोई दिलचस्पी नहीं है। इसमें लिंग के आधार पर बहुत कम फर्क है। यह महिलाओं पुरुषों दोनों पर लागू होता है।’’

मंत्री ने कहा कि वह कहना चाह रहे थे कि युवा इसका समाधान निकाल सकते हैं और तनाव, बेचैनी, अवसाद आदि मानसिक समस्याओं से हमारे पारंपरिक परिवार के ढांचें में रहकर निजात पा सकते हैं।

सुधाकर ने स्पष्टीकरण दिया, ‘‘मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि महिलाओं का अपमान करने की मेरी कोई मंशा नहीं थी और नाहीं मेरे शब्दों का यह तात्पर्य था।’’

उन्होंने लोगों से अनुरोध किया कि वे फेसबुक पर जाकर उनका पूरा भाषण सुनें।

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