मिजोरम ने असम पर अतिक्रमण का लगाया आरोप, सीमा को लेकर बढ़ा विवाद
By भाषा | Updated: June 30, 2021 16:36 IST2021-06-30T16:36:46+5:302021-06-30T16:36:46+5:30

मिजोरम ने असम पर अतिक्रमण का लगाया आरोप, सीमा को लेकर बढ़ा विवाद
आइजोल, 30 जून मिजोरम ने असम पर कोलासिब जिले में उसकी जमीन का अतिक्रमण करने का बुधवार को आरोप लगाया और इसी के साथ दोनों पूर्वोत्तर राज्यों के बीच सीमा संबंधी विवाद और बढ़ गया।
कोलासिब जिले के पुलिस अधीक्षक वनलालफाका राल्ते ने कहा कि असम के हैलाकांडी जिले के उपायुक्त एवं पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में सौ से अधिक अधिकारी और पुलिसकर्मी मिजोरम के इलाके में घुस आए हैं और मंगलवार से वहां डेरा डाले हुए हैं।
उन्होंने कहा कि यह इलाका मिजोरम का है और असम के करीमगंज जिले की सीमा से लगे कोलासिब के वैरेंगते गांव से करीब पांच किलोमीटर दूर स्थित है। इस इलाके को स्थानीय स्तर पर ऐतलांग हनार (ऐतलांग नदी का स्रोत) के रूप में जाना जाता है।
राल्ते ने कहा कि वैरेंगते के निवासी इस इलाके में खेती करते हैं और उनका दावा है कि यह इलाका पुरातन समय से मिजोरम का हिस्सा है।
उन्हेांने आरोप लगाया कि असम से कई जिला अधिकारी और पुलिसकर्मी मंगलवार को इलाके में पहुंचे और उन्होंने जबरन वहां कब्जा कर लिया।
इस समय इलाके में मौजूद राल्ते ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘यह पड़ोसी राज्य का पूरी तरह आक्रामक व्यवहार है, क्योंकि यह इलाका मिजोरम का है। सशस्त्र कर्मियों के हमले के डर से स्थानीय किसानों को वहां से भागना पड़ा।’’
इस मामले पर असम के अधिकारियों से तत्काल बात नहीं हो सकी। रात्ले ने बताया कि इस घटना की जानकारी मिलने पर मिजोरम के उपमंडलीय अधिकारी के नेतृत्व में जिला अधिकारी और पुलिसकर्मी हालात का जायजा लेने के लिए मंगलवार को घटनास्थल पहुंचे।
उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों राज्यों के अधिकारियों ने मंगलवार को घटनास्थल पर वार्ता की, लेकिन असम के अधिकारियों ने इलाके से हटने से इनकार कर दिया। पुलिस अधिकारी ने कहा कि घटनास्थल पर पहुंचे वैरेंगते के निवासियों को घर वापस भेज दिया गया है, ताकि हिंसा न भड़के।
कोलासिब के उपायुक्त एच ललथलांगलियाना भी इलाके में हैं। मिजोरम के तीन जिले - आइजोल, कोलासिब और ममित - असम के कछार, करीमगंज और हैलाकांडी जिलों के साथ लगभग 164.6 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं। दोनों पड़ोसी राज्यों के बीच सीमा विवाद पुराना है और इससे निपटने के लिए 1995 के बाद से कई वार्ताएं हुई, लेकिन इनका कोई फायदा नहीं हुआ।
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