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अल्पसंख्यकों को "कमजोर वर्गों" के रूप में माना जाना चाहिए: एनसीएम

By भाषा | Updated: August 2, 2021 16:49 IST

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नयी दिल्ली, दो अगस्त राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) ने उच्चतम न्यायालय से कहा है कि देश में अल्पसंख्यकों को ‘‘कमजोर वर्गों’’ के रूप में माना जाना चाहिए, जहां बहुसंख्यक समुदाय इतना ‘‘सशक्त’’ है।

एनसीएम ने कहा कि संविधान में दिए गए सुरक्षा उपायों और वहां लागू कानूनों के बावजूद अल्पसंख्यकों में असमानता और भेदभाव की भावना बनी हुई है। एनसीएम ने एक हलफनामे में कहा, ‘‘भारत जैसे देश में जहां बहुसंख्यक समुदाय सशक्त है, अनुच्छेद 46 के तहत अल्पसंख्यकों को कमजोर वर्गों के रूप में माना जाना चाहिए।’’

चालीस-पृष्ठ के हलफनामे में कहा गया है कि यदि सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों के लिए विशेष प्रावधान और योजनाएं नहीं बनाई गई तो ‘‘तो ऐसी सूरत में बहुसंख्यक समुदाय द्वारा उन्हें दबाया जा सकता है।’’

एक याचिका के जवाब में यह हलफनामा दाखिल किया गया है जिसमें कहा गया था कि कल्याणकारी योजनाएं धर्म पर आधारित नहीं हो सकती हैं।

अनुच्छेद 46 में कहा गया है कि ‘‘राज्य लोगों के कमजोर वर्गों और विशेष रूप से अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के शैक्षिक और आर्थिक हितों को बढ़ावा देगा और सभी प्रकार के सामाजिक अन्याय और शोषण से उनकी रक्षा करेगा।’’

एनसीएम ने यह भी तर्क दिया कि इसकी स्थापना अल्पसंख्यकों को उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए मुख्य धारा में एकीकृत करने के उद्देश्य से की गई थी।

इससे पहले, केंद्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा था कि धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों के लिए कल्याणकारी योजनाएं ‘‘कानूनी रूप से वैध’’है जिसका उद्देश्य असमानताओं को कम करना है और हिंदुओं या अन्य समुदायों के सदस्यों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं है।

उसने कहा, ‘‘यह प्रस्तुत किया गया है कि मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित की जा रही योजनाएं अल्पसंख्यक समुदायों के बीच असमानताओं को कम करने और शिक्षा के स्तर में सुधार, रोजगार, कौशल और उद्यमिता विकास में भागीदारी, नागरिक सुविधाओं या बुनियादी ढांचे में कमियों को कम करने के लिए हैं।’’

केंद्र ने कहा था कि कल्याणकारी योजनाएं केवल आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों / वंचितों, बच्चों / अभ्यर्थियों/ अल्पसंख्यक समुदायों की महिलाओं के लिए हैं, न कि अल्पसंख्यक समुदाय के सभी लोगों के लिए।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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