प्रग्नेंट महिला की मौत के बाद अर्थी के लिए नहीं मिला चार कंधा, मजदूर पति 27 हजार कर्ज लेकर गांव लाया पत्नी का शव, पढ़ें दर्दनाक वाक्या

By भाषा | Updated: May 4, 2020 15:25 IST2020-05-04T15:25:40+5:302020-05-04T15:25:40+5:30

पीड़ित परिवार लुधियाना में रहता है। मृतका का पति मजदूरी करता है और उसके तीन छोटे बच्चे हैं। 26 अप्रैल को प्रग्नेंट महिला को लुधियाना के सिविल अस्पताल ने मृत घोषित कर दिया था।

Migrant workers wife's body brought to village Balrampur by ambulance 1,137 km away | प्रग्नेंट महिला की मौत के बाद अर्थी के लिए नहीं मिला चार कंधा, मजदूर पति 27 हजार कर्ज लेकर गांव लाया पत्नी का शव, पढ़ें दर्दनाक वाक्या

प्रतीकात्मक तस्वीर

Highlightsमृतका के पति ने बताया, दद्दन ने बताया कि लॉकडाउन के बाद काम बंद हो जाने के बाद से जो कुछ पैसा उसके पास बचा था वह भी खत्म हो गया था। मृतका के परिवार को प्रशासन ने प्राथमिक विद्यालय में बने पृथक केंद्र में भेज दिया है।

बलरामपुर:कोरोना वायरस संकट के इस दौर में जिंदगियां बचाने के लिये जहां तमाम जतन जारी हैं वहीं दूसरी तरफ समय-समय पर इंसानियत की परीक्षा भी हो रही है। बलरामपुर जिले में झकझोर देने वाला ऐसा ही मामला सामने आया है। लुधियाना में मजदूरी करने वाले युवक को अपनी पत्नी के शव को कंधा देने वाले चार लोग नहीं मिले तो उसे लोगों से 27 हजार रुपये कर्ज लेकर एम्बुलेंस से अपनी पत्नी का शव अपने गांव लाना पड़ा। गांव पहुंचे युवक और उसके तीन बच्चों को गांव में बनाये गए पृथक केंद्र में भेज दिया गया है।

अस्पताल ने चार दिन बाद सौंपा पत्नी का शव

दद्दन (32) अपनी पत्नी और तीन छोटे—छोटे बच्चों के साथ लुधियाना में रहकर मजदूरी करता था। गत 26 अप्रैल को अपनी गर्भवती पत्नी की तबियत खराब होने पर वह उसे लुधियाना के सिविल अस्पताल ले गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया और कोरोना जांच रिपोर्ट आने तक शव देने से इनकार कर दिया। दद्दन के परिजन के मुताबिक वह अपने छोटे—छोटे बच्चों को लेकर घर और अस्पताल के बीच भटकता रहा। चार दिन बाद कोरोना जांच रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद अस्पताल प्रशासन ने पत्नी गीता का शव उसे सौंपा।

27 हजार कर्ज लेकर अपनी पत्नी का शव गांव लेकर पहुंचा युवक

दद्दन ने बताया कि लॉकडाउन के बाद काम बंद हो जाने के बाद से जो कुछ पैसा उसके पास बचा था वह भी खत्म हो गया। आर्थिक तंगी के कारण उसने शव का अंतिम संस्कार लुधियाना में ही करने का फैसला किया लेकिन पड़ोसियों ने कोरोना और लॉकडाउन के कारण हाथ खड़े कर दिए। जब अर्थी को कंधा देने के लिए उसे चार लोग भी नहीं मिले तो उसने लोगों से 27 हजार रुपये कर्ज लेकर एम्बुलेंस से अपनी पत्नी का शव रखवाया और अपने गांव आने के लिए 1,137 किलोमीटर का सफर तय करने के लिये निकल पड़ा। उसने बताया कि वह करीब 20 घण्टे लगातार सफर के बाद शुक्रवार को अपने गांव कठौवा पहुंचा।

हालांकि, गांव पहुंचते ही ग्राम प्रधान और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उसे और उसके तीन बच्चों मधु (सात), सुमन (छह) और शिवम (पांच) को गांव के प्राथमिक विद्यालय में बने पृथक केंद्र में भेज दिया। ग्राम प्रधान सुशील तिवारी ने बताया कि दद्दन की पत्नी की कोरोना जांच रिपोर्ट नेगेटिव आयी है। लुधियाना सिविल अस्पताल की रिपोर्ट को देखते हुए परिवार वालों के साथ मिलकर दद्दन की पत्नी गीता का अंतिम संस्कार कर दिया गया और इसकी सूचना प्रशासन को दे दी गयी है। पुलिस अधीक्षक देव रंजन वर्मा ने बताया कि दद्दन और उसके बच्चों की कोविड-19 जांच कराई जा रही है। रिपोर्ट में संक्रमण की पुष्टि नहीं होने पर 14 दिन बाद उन्हें छोड़ दिया जाएगा। 

Web Title: Migrant workers wife's body brought to village Balrampur by ambulance 1,137 km away

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