चेन्नई, 19 जुलाई मद्रास उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र को निर्देश दिया कि वह 2021-22 में चिकित्सा और दंत चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए तमिलनाडु द्वारा छोड़ी गई सीटों पर अखिल भारतीय आरक्षण (एआईक्यू) के तहत ओबीसी आरक्षण के कार्यान्वयन पर अपना रुख स्पष्ट करे।
मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति की पीठ ने इस आशय का निर्देश तब दिया जब द्रमुक की अवमानना याचिका आज सुनवाई के लिए आई।
तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एपी साही के नेतृत्व वाली पहली पीठ ने 27 जुलाई, 2020 के अपने आदेश में कहा था कि राज्य द्वारा छोड़ी गई सीटों पर ओबीसी को आरक्षण देने में कोई संवैधानिक और कानूनी बाधा नहीं है।
पीठ ने निर्देश दिया था कि केंद्र सरकार राज्य के कॉलेजों में एआईक्यू के तहत अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण देने के लिए समिति का गठन करे जिसमें राज्य चिकित्सा अधिकारियों और भारतीय चिकित्सा और दंत चिकित्सा परिषद के सदस्यों को शामिल किया जाए।
अदालत ने तब केंद्र को तीन महीने में आरक्षण के प्रतिशत पर फैसला करने का भी निर्देश दिया था। द्रमुक के टी के एस इलांगोवन ने यह दलील देते हुए वर्तमान अवमानना याचिका दायर की कि इस आदेश को पूर्ण रूप से लागू नहीं किया गया है।
द्रमुक की मांग के मुताबिक 69 फीसदी आरक्षण देने पर केंद्र को रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देने के बाद पीठ ने मामले की सुनवाई 26 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी।
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