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मीडिया को किसी भी एजेंडा का हिस्सा नहीं होना चाहिए: आरएसएस पदाधिकारी

By भाषा | Updated: May 30, 2021 22:08 IST

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नागपुर, 30 मई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक पदाधिकारी ने रविवार को कहा कि मीडिया को किसी भी एजेंडे का हिस्सा नहीं बनना चाहिए और उसे बिना किसी डर के सच बताना चाहिए।

एक डिजिटल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेंद्र कुमार ने कहा कि मीडिया को आधा सच बताने से बचना चाहिए।

‘मौजूदा परिदृश्य में मीडिया की भूमिका’ पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि मौजूदा कोरोना वायरस महामारी जैसे संकटों से निपटना न केवल सरकार या प्रशासन की जिम्मेदारी है, बल्कि यह समाज के प्रत्येक सदस्य की सामूहिक जिम्मेदारी है।

कुमार ने कहा, “स्वाभाविक है कि व्यवस्था में बहुत सी कमियां हो सकती हैं और व्यवस्था में सुधार के लिए उन कमियों को सामने लाना चाहिए। हालांकि, इसकी प्रस्तुति और समय भी सही होना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि मीडिया को किसी घटना या व्यवस्था या कमियों को पेश करने में सावधानी बरतनी चाहिए, ताकि वह समाज में भय न फैलाए, बल्कि जागरूकता पैदा करे।

संघ के पदाधिकारी ने कहा कि यह भी जरूरी है कि मीडिया किसी एजेंडे का हिस्सा न बने और बिना किसी डर के तथ्यों के आधार पर सच बताए।

उन्होंने कहा, “हम सभी ने देखा है कि कैसे गंगा नदी के किनारे शवों को दफनाने की तस्वीरों को लेकर एक खास एजेंडा चलाया गया। ऐसी तस्वीरें 2015 और 2017 में भी सामने आई थीं। यह सच है कि ये तस्वीरें वर्तमान समय की हैं और इसमें कोई दो राय नहीं है।”

कुमार ने कहा, “ लेकिन क्या वहां कोरोना वायरस की स्थिति के कारण ऐसा हुआ? ऐसा नहीं है, 2015 और 2017 में कोरोना नहीं था, लेकिन उस समय भी शवों को दफनाया गया था। उस समय कई शव मिले थे और उनकी भी तस्वीरें उपलब्ध हैं। इसलिए आधा सच दिखाना सही नहीं है।”

उन्होंने कहा कि सच दिखाएं, लेकिन आधा सच नहीं दिखाएं, ये भी मीडिया की जिम्मेदारी है।

कुमार ने कहा, “ऐसे समय में हमें पत्रकारिता के मूल्यों का पालन करना चाहिए और जो हम कहना चाहते हैं उसे ध्यान से सामने रखना चाहिए। हमें सकारात्मक वातावरण बनाने में भूमिका निभानी चाहिए, समाज का आत्मविश्वास बढ़ाना चाहिए और लोगों को प्रेरित करने के लिए अच्छे कार्यों को सामने लाना चाहिए और तभी हम कह सकते हैं कि हम अपना काम ठीक से कर रहे हैं।”

संघ पदाधिकारी ने कहा, "यह मानव इतिहास की पहली महामारी नहीं है। दुनिया ने पहले प्लेग, स्पैनिश फ्लू और अन्य महामारियों का सामना किया है। इन महामारियों के दौरान करोड़ों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।"

उन्होंने कहा कि ऐसा कहा जाता है कि स्पैनिश फ्लू के दौरान 10 करोड़ से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी।

उन्होंने कहा कि उन महामारियों की तुलना में, विश्व स्तर पर मौजूदा संकट के दौरान कम लोगों की जान गई है।

कुमार ने कहा, “दुनियाभर में कोरोना वायरस से करीब 35 लाख लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, जिसमें भारत में संक्रमण और मृत्यु दर बहुत कम है। भारत की मृत्यु दर अभी 1.23 प्रतिशत है, जो अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, ब्राजील और रूस जैसे प्रगतिशील और बड़े देशों की तुलना में कम है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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