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मई 2022 से एनडीए में महिलाओं का दाखिला, मोदी सरकार ने उच्चतम न्यायालय में कहा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 21, 2021 17:21 IST

केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बताया था कि सशस्त्र बलों के साथ-साथ सरकार के शीर्ष स्तर पर भी निर्णय किया गया है।

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ठळक मुद्देशीर्ष अदालत अधिवक्ता कुश कालरा द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।सशस्त्र बलों ने महिलाओं को एनडीए में शामिल करने का फैसला किया है।15-18 वर्ष की आयु के कोई भी अविवाहित पुरुष उम्मीदवार इसमें शामिल हो सकते हैं।

नई दिल्लीः राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में महिलाओं को प्रवेश परीक्षा में बैठने की इजाजत देगी। रक्षा मंत्रालय ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया है कि महिला उम्मीदवारों को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में प्रवेश परीक्षा में बैठने की अनुमति देने वाली अधिसूचना अगले साल मई तक जारी की जाएगी।

 

इस तरह से देखा जाए तो 2023 में महिला कैडेटों के अपने पहले बैच की ट्रेनिंग के लिए तैयार हो जाएगी। मंत्रालय ने कहा कि समय-सीमा को ध्यान में रखते हुए ऐसी महिला उम्मीदवारों के सुगम प्रवेश और निर्बाध प्रशिक्षण सुनिश्चित करने के लिए सुनियोजित योजना और सावधानीपूर्वक तैयारी की आवश्यकता है।

शीर्ष अदालत में दाखिल एक हलफनामे में कहा गया है, ‘‘भारत सरकार, अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप स्पष्ट रूप से बताना चाहती है कि राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के माध्यम से महिला उम्मीदवारों के संबंध में तीनों रक्षा सेवाओं में मौजूदा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए विचार किया जाएगा।’’ इसमें कहा गया है कि रक्षा सेवाओं द्वारा एक अध्ययन समूह का गठन किया गया है, जिसमें एनडीए में महिला कैडेटों के लिए व्यापक पाठ्यक्रम को तेजी से तैयार करने के लिए विशेषज्ञ शामिल हैं।

सभी प्रासंगिक पहलुओं को शामिल करते हुए एनडीए में महिला कैडेटों के प्रशिक्षण के लिए एक समग्र और भविष्योन्मुखी प्रस्ताव देने के लिए अधिकारियों के बोर्ड का गठन किया गया है। केंद्र ने, इससे पहले, शीर्ष अदालत को बताया था कि सशस्त्र बलों ने महिलाओं को एनडीए में शामिल करने का फैसला किया है।

केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बताया था कि सशस्त्र बलों के साथ-साथ सरकार के शीर्ष स्तर पर भी निर्णय किया गया है कि एनडीए के जरिए महिलाओं को स्थायी कमीशन के लिए शामिल किया जाएगा। शीर्ष अदालत अधिवक्ता कुश कालरा द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

याचिका में योग्य और इच्छुक महिला उम्मीदवारों को महज लैंगिक आधार पर प्रतिष्ठित एनडीए से बाहर रखे जाने का मुद्दा उठाया गया है, जो कथित तौर पर समानता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है कि अधिकारी ‘राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और नौसेना अकादमी परीक्षा’ के लिए 10+2 की समुचित योग्यता रखने वाले अविवाहित पुरुष उम्मीदवारों को अनुमति देते हैं, लेकिन योग्य और इच्छुक महिला उम्मीदवारों को उनके लिंग के आधार पर और उसके बिना परीक्षा देने की अनुमति नहीं है।

इसमें कहा गया है कि इस तरह का कदम संबंधित अधिकारियों द्वारा समानता और गैर-भेदभाव के संवैधानिक मूल्यों का अपमान है। याचिका में कहा गया है कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ‘राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और नौसेना अकादमी परीक्षा’ आयोजित करता है और पात्रता मानदंड के अनुसार, आवश्यक शैक्षणिक योग्यता वाले और 15-18 वर्ष की आयु के कोई भी अविवाहित पुरुष उम्मीदवार इसमें शामिल हो सकते हैं।

याचिका में कहा गया है कि परीक्षा उत्तीर्ण करने और एनडीए में प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा करने और कैडेट द्वारा चुनी गई सेवा की संबंधित अकादमी में प्रशिक्षण के बाद, उम्मीदवार को 19-22 साल की उम्र तक स्थायी कमीशन अधिकारी के रूप में सेवा में कमीशन मिल जाता है।

याचिका में दलील दी गई है कि पात्र और इच्छुक महिला उम्मीदवारों को योग्य शैक्षणिक योग्यता के साथ 15-18 वर्ष की आयु में एनडीए और नौसेना अकादमी परीक्षा देने का यह अवसर उपलब्ध नहीं है और केवल लिंग के आधार पर उन्हें इससे बाहर रखा गया है।

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