नयी दिल्ली, एक दिसंबर शास्त्रीय नृत्य के कठिन ‘रियाज’ और वर्षों के समर्पण को देखते हुए ऐसा कहा जाता है कि ये नृत्य हर किसी के सीखने के लिए नहीं है लेकिन कथक के दिग्गज कलाकार बिरजू महाराज का कहना है कि वह निराश नहीं क्योंकि इस दुनिया में ‘तात्कालिक संतुष्टि’ के कई विकर्षण के बाद भी युवा इस परंपरा को आगे ले जा रहे हैं।
बिरजू महाराज को उनके शिष्य प्यार से पंडित जी या महाराज जी बुलाते हैं। भारत के दिग्गज कलाकारों में से एक 83 वर्षीय नर्तक ने कहा कि युवा पीढ़ी के पास उनके समय की तुलना में अभी सीखने के कई अवसर हैं।
उन्होंने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘ लेकिन अभी के समय में विकर्षण भी काफी है और यह दुनिया तात्कालिक आनंद वाला हो गया है, जो कि आज के समय की बड़ी चुनौती है।’’
उन्होंने कहा कि वैसे कलाकार जो परंपरा को आगे बढ़ाने की दिशा में जोश और उत्साह के साथ कम कर रहे हैं, वही इस कला और इसकी विरासत के पथ प्रदर्शक हैं। हालांकि पद्म विभूषण से सम्मानित नर्तक ने कहा कि इस कला का भविष्य उज्ज्वल है क्योंकि भले ही शास्त्रीय नृत्य सभी के सीखने की चीज न हो लेकिन ऐसे कलाकारों की पर्याप्त संख्या है जो इस परंपरा को आगे ले जा रहे हैं।
भारत और विदेश में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आदान-प्रदान करने के क्षेत्र में काम करनेवाले एक गैर सरकारी संगठन ‘राउट्स टू रूट्स’ की ओर से दिग्गज कलाकार की बेहतरीन प्रस्तुति का आयोजन किया गया था।
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