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Coronavirus: लॉकडाउन के कारण भारत में फंसे अनिवासी भारतीय, बेसब्री से वापस जाने का कर रहे इंतजार

By भाषा | Updated: April 15, 2020 21:10 IST

परिवार और मित्रों से मिलने के लिए पंजाब आए अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और यूरोप में रह रहे कई अनिवासी भारतीय कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन के कारण अब यही फंस गए हैं। ऐसे में अब सभी बेसब्री से वापस जाने का इंतजार कर रहे हैं।

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ठळक मुद्देभारत सहित दुनिया के कई देशों ने कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए यात्रा प्रतिबंध लागू कर रखे हैं।पंजाब में फंसे हैं अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और यूरोप में रह रहे कई अनिवासी भारतीय।

जालंधर: अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और यूरोप में रह रहे कई अनिवासी भारतीय अपने परिवार और मित्रों से मिलने के लिए पंजाब आए लेकिन कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी की वजह से दुनिया भर में लागू यात्रा प्रतिबंधों के कारण वापस नहीं जा पाए।

इन लोगों को न चाहते हुए भी अपने करीबियों के यहां रुकना पड़ रहा है। आमतौर पर सर्दियों के दौरान हजारों की संख्या में अनिवासी भारतीय पंजाब आते हैं। इन्हीं अनिवासी भारतीयों में से एक हैं सतनाम सिंह बीरिंग जो लंदन में रहते हैं। 23 जनवरी को बीरिंग अपने अभिभावकों से मिलने के लिए जालंधर आए थे। उन्हें 25 मार्च को वापस जाना था लेकिन कोरोना वायरस के मामलों में वृद्धि और यात्रा पाबंदियों ने उनकी योजना पर पानी फेर दिया। 

उन्होंने बताया 'मेरी पत्नी भी 16 मार्च को भारत आने वाली थी और हमें एक साथ वापस जाना था। न तो वह यहां आ पाई और न ही मैं वापस लंदन जा पाया। मैंने भारत स्थित ब्रिटिश उच्चायोग से और ब्रिटेन स्थित भारतीय उच्चायोग से टिकट के लिए संपर्क किया। मैं चाहता था कि ऐसी किसी चार्टर्ड उड़ान में मुझे एक टिकट मिल जाए जिनका इंतजाम ब्रिटिश सरकार कर रही है। लेकिन मात्र 15 मिनट में ही सभी टिकट बिक गए। मैं अब किसी समाधान का बेसब्री से इंतजार कर रहा हूं।' 

अमेरिका में रहने वाले अवतार सिंह ढिल्लों फरवरी में एक विवाह समारोह के लिए 28 दिन की छुट्टी पर पंजाब आए। लेकिन यहीं फंस गए। उन्होंने बताया 'मेरा परिवार कैलिफोर्निया के ट्रेसी शहर में है और मैं यहां अपने अभिभावकों के पास हूं। शुक्र है कि मैं वापसी का टिकट साथ नहीं लाया क्योंकि मेरे पिता की तबियत ठीक नहीं है। लेकिन मेरी योजना अप्रैल में वापस जाने की थी। बहरहाल, मैं यहीं फंस गया। कोविड-19 (COVID-19) की वजह से मेरा परिवार भी अमेरिका में लॉकडाउन के साये में रह रहा है।' 

अमेरिका के ही सुखवीर सिंह ने कहा कि उनकी मां उनकी शादी के लिए सैन फ्रांसिस्को आई थी और अप्रैल में उन्हें भारत लौटना था। ईमेल के जरिये उन्होंने बताया 'मां यहीं फंस गई। अब जालंधर में मेरे भाई मां की वापसी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।' यूनान में रह रहे अनिवासी भारतीय राम लुभाया अपने परिवार से मिलने जालंधर आए हैं। उन्होंने कहा 'मैं 28 जनवरी को भारत आया और 21 मार्च को मुझे वापस जाना था, लेकिन तब भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर रोक लगा चुकी थी।' 

उन्होंने कहा कि यूनान सरकार ने अपने यहां रहने वालों के लिए कुछ उपायों की घोषणा की 'लेकिन मैं उनका लाभ नहीं ले पाया।' पंजाबी गायिका गिन्नी माही के पिता राकेश माही जालंधर के रहने वाले हैं और चार मार्च से रोम में अटके हुए हैं। ईमेल के जरिये उन्होंने बताया कि वह अपनी बेटी के कार्यक्रम को लेकर उसके साथ यूरोप के दौरे पर थे और हालात बिगड़ गए। 

उन्होंने कहा 'हमें 13 अप्रैल को भारत लौटना था। लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण हमें योजना बदलनी पड़ी। अब हालात सुधरने का बेसब्री से इंतजार है।' बहरहाल, कुछ अनिवासी भारतीय भाग्यशाली थे जो समय रहते अपने गंतव्य तक पहुंच गए। कनाडा से अपने अभिभावकों से मिलने के लिए फरवरी में पंजाब के होशियारपुर जिला आईं सिमरन कौर 15 मार्च को वेंकूवर लौट गईं। इसी दौरान कनाडा सरकार ने अंतरराष्ट्रीय यात्रा प्रतिबंध का ऐलान कर दिया। सिमरन ने कहा 'मुझे खुशी है कि मैं समय पर आ गई और अपना काम भी बहाल कर लिया।' भारत सहित दुनिया के कई देशों ने कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए यात्रा प्रतिबंध लागू कर रखे हैं।

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