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ममता का किसान आंदोलन के समर्थन में विपक्ष शासित राज्यों को एकजुट करने का वादा

By भाषा | Updated: June 9, 2021 20:25 IST

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कोलकाता, नौ जून भाजपा के खिलाफ अपनी राजनीतिक लड़ाई को उत्तर भारत की ओर बढ़ाने की कोशिश में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में विपक्ष शासित राज्यों को एकजुट करने का वादा करते हुए बुधवार को कहा कि उनका उद्देश्य ‘सत्ता से नरेंद्र मोदी सरकार को हटाना’ है।

राकेश टिकैत और युद्धवीर सिंह के नेतृत्व में आए किसान नेताओं के साथ आज यहां हुई बैठक में तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि एक ऐसा मंच होना चाहिए जहां राज्य नीतिगत विषयों पर बातचीत कर सकें।

उन्होंने कहा कि राज्यों को निशाना बनाना (बुलडोजिंग) संघीय ढांचे के लिए अच्छी बात नहीं है।

किसान नेता भाजपा नीत केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने वाला राष्ट्रीय कानून लाने के पक्ष में अपने आंदोलन में ममता बनर्जी का समर्थन पाने आये थे।

उत्तर भारत के किसान संगठनों के नेताओं के प्रति समर्थन जताने से कुछ दिन पहले ही तृणमूल कांग्रेस ने घोषणा की थी कि पार्टी पश्चिम बंगाल की भौगोलिक सीमाओं के बाहर अपना प्रभाव बढ़ाएगी।

टिकैत और सिंह की अगुवाई वाले भारतीय किसान यूनियन ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले ‘भाजपा को कोई वोट नहीं’ अभियान चलाया था। उनकी आने वाले समय में अन्य राज्यों के चुनावों में भी इसी तरह की योजना है जिनमें उत्तर प्रदेश भी है जहां भाजपा कुछ छोटे दलों के साथ मिलकर सरकार चला रही है।

बनर्जी ने किसान नेताओं से मुलाकात के बाद कहा, ‘‘किसानों के आंदोलन को समर्थन रहेगा। भारत पूरी उत्सुकता से ऐसी नीतियों का इंतजार कर रहा है जिनसे कोविड-19 से लड़ने में, किसानों और उद्योगों की सहायता करने में मदद मिल सकती है।’’मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘किसानों से बात करना इतना मुश्किल क्यों है?’’

वह दरअसल केंद्र सरकार और किसानों के बीच वार्ता रुकने की ओर इशारा कर रही थीं जो संसद द्वारा पारित तीन कृषि विधेयकों के खिलाफ छह महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हैं।

बनर्जी ने कहा, ‘‘स्वास्थ्य क्षेत्र से लेकर किसानों और उद्योगों, सभी क्षेत्रों के लिए भाजपा का शासन अनर्थकारी रहा है। हम प्राकृतिक और राजनीतिक दोनों तरह की आपदाओं का सामना कर रहे हैं।’’ममता बनर्जी केंद्र के खिलाफ एक संयुक्त मोर्चा बनाने की कोशिश में अन्य विपक्षी दलों के शासन वाले राज्यों से संपर्क साध रही हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान नेताओं ने उनसे अनुरोध किया है कि वह किसानों के विषयों पर अन्य राज्यों के नेताओं से बात करें और किसान संगठनों के साथ संवाद आयोजित करें।

उन्होंने कहा, ‘‘किसान आंदोलन केवल पंजाब, हरियाणा या उत्तर प्रदेश के लिए नहीं है। यह पूरे देश के लिए है।’’

तृणमूल कांग्रेस के उपाध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा भी किसानों के साथ बैठक में उपस्थित थे। उन्होंने कहा, ‘‘खेती के व्यावसायीकरण के चलन को रोकना आवश्यक है। हम किसानों के साथ हैं। हम चाहते हैं कि तीनों कानूनों को वापस लिया जाए और एमएसपी पर एक नया कानून लाया जाए।’’

किसान आंदोलन को बनर्जी के समर्थन से इस मुहिम को ताकत मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है।

भारतीय किसान यूनियन के महासचिव युद्धवीर सिंह ने बैठक से पहले‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हम ममता बनर्जी को उनकी चुनावी विजय के लिए बधाई देना चाहते हैं और किसानों की फसलों के लिए उचित एमएसपी दिलाने की मुहिम के लिए उनका समर्थन चाहते हैं।’’ बनर्जी का किसानों के आंदोलन में शामिल होने का लंबा इतिहास रहा है।

इससे पहले उन्होंने नंदीग्राम और सिंगूर में कारखानों के लिए किसानों की जमीन के अनिवार्य अधिग्रहण के तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार के कदमों के खिलाफ पश्चिम बंगाल के प्रमुख आंदोलनों में राज्य सरकार के सामने चुनौती खड़ी की थी।

जानकारों का कहना है कि देश के अन्य हिस्सों में भी अपने प्रभाव का विस्तार करने की इच्छुक तृणमूल कांग्रेस को किसानों के आंदोलन को समर्थन देकर हिंदीभाषी क्षेत्र में अपनी राजनीतिक पकड़ बढ़ाने की उम्मीद हो सकती है। वह देश में मजबूत विपक्ष की कमी को भरने का प्रयास कर सकती है।

मोदी को सत्ता से हटाने की बात बनर्जी ने मार्च और अप्रैल में अपनी चुनावी रैलियों में भी कही थी और उन्होंने लगातार कहा कि वह राजनीतिक लड़ाई को दिल्ली ले जाएंगी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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