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ममता ने भाजपा के खिलाफ ‘‘एकजुट और प्रभावी’’ संघर्ष करने का आह्वान किया

By भाषा | Updated: March 31, 2021 23:18 IST

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नयी दिल्ली, 31 मार्च तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा कि लोकतंत्र और संविधान पर भाजपा के कथित हमलों के खिलाफ ‘‘एकजुट होकर और प्रभावशाली ढंग से’’ संघर्ष करने का समय आ गया है और विपक्षी नेताओं को देश के लोगों के लिए एक ‘‘विश्वसनीय विकल्प’’ पेश करने की कोशिश करनी चाहिए।

बनर्जी ने गैर-भाजपा नेताओं को एक पत्र लिखा है जिसे तृणमूल कांग्रेस ने बुधवार को जारी किया। बनर्जी ने पत्र में आरोप लगाया है कि स्वतंत्रता के बाद से केन्द्र-राज्य संबंध सबसे खराब स्थिति में है।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि लोकतंत्र और संविधान पर भाजपा के हमलों के खिलाफ एकजुट होकर और प्रभावशाली तरीके से संघर्ष करने का समय आ गया है।’’

बनर्जी ने कहा, ‘‘अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष के रूप में, मैं इस लड़ाई में आप सभी और अन्य सभी समान विचारधारा वाले राजनीतिक दलों के साथ काम करूंगी। हम एकजुट होकर इस लड़ाई को जीत सकते हैं और लोगों के समक्ष एक विश्वसनीय विकल्प पेश कर सकते हैं।’’

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बनर्जी द्वारा केंद्र सरकार के खिलाफ विपक्षी नेताओं को पत्र लिखने के लिए बुधवार को उन्हें आड़े हाथ लिया और कहा कि तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष के मुंह से लोकतंत्र का ‘‘उपदेश’’ उनके नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के आचरण के विपरीत है।

भाजपा महासचिव (संगठन) बी एल संतोष ने बनर्जी के इस पत्र के मद्देनजर ट्वीट किया, ‘‘ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस द्वारा लोकतंत्र का उपदेश शोभा नही देता है । उनके कार्यकर्ता भाजपा उम्मीदवारों पर हमले करते हैं, मतदाताओं को धमकाते हैं, बूथ पर कब्जा करते हैं और अंत में उसके नेता लोकतंत्र पर उपदेश देते हैं।’’

तीन पृष्ठ का यह पत्र कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राकांपा के नेता शरद पवार, द्रमुक प्रमुख एम के स्टालिन, समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव, राजद के तेजस्वी यादव, शिवसेना के उद्धव ठाकरे, जेएमएम के हेमंत सोरेन, आप नेता अरविंद केजरीवाल, बीजद के नवीन पटनायक, वाईएसआर कांग्रेस के जगन रेड्डी, नेकां के फारूक अब्दुल्ला, पीडीपी की महबूबा मुफ्ती और भाकपा (माले) के दीपांकर भट्टाचार्य के नाम लिखा गया है।

बनर्जी ने कहा है, ‘‘मैं भारत में लोकतंत्र और संवैधानिक संघवाद पर भाजपा और केन्द्र में उसकी सरकार द्वारा किए गये कई हमलों को लेकर अपनी गंभीर चिंताओं से अवगत कराने के लिए आपको, और गैर-भाजपा दलों के कई नेताओं को पत्र लिख रही हूं।’’

बनर्जी के इस कदम का महबूबा मुफ्ती ने तुरन्त समर्थन किया।

मुफ्ती ने कहा कि लोकतंत्र और इसके मूल्यों की रक्षा के लिए देश में विपक्षी दलों का एकजुट होना अनिवार्य है।

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता मुफ्ती ने कहा कि समय की जरूरत है कि ‘‘हमले’’ के खिलाफ सामूहिक लड़ाई लड़ी जाये।

राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक 2021 को संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किये जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह एक ‘‘अत्यंत चिंताजनक’’ घटनाक्रम है।

उन्होंने कहा, ‘‘इस कानून के जरिये केन्द्र की भाजपा सरकार ने लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित दिल्ली सरकार की सभी शक्तियों को छीन लिया है और उपराज्यपाल को दिल्ली का अघोषित वायसराय बना दिया गया, जो गृह मंत्री और प्रधानमंत्री के लिए एक प्रतिनिधि (प्रॉक्सी) के रूप में काम कर रहे हैं।’’

अपने पत्र में बनर्जी ने कहा कि 2014 और 2019 दोनों चुनावों में आम आदमी पार्टी (आप) से हारने के बावजूद, भाजपा लोगों के जनादेश को स्वीकार करने के लिए ‘‘अनिच्छुक’’ है।

उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा ने मुख्यमंत्री को उपराज्यपाल के अधीन कर दिल्ली पर शासन करने का रास्ता चुना है। राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक भारतीय गणराज्य के संघीय ढांचे पर एक प्रत्यक्ष हमला है। यह लोकतंत्र का मजाक है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आप इस बात से भी सहमत होंगे कि भाजपा ने दिल्ली में जो किया है, वह अपवाद नहीं है, बल्कि एक नियम बन गया है।’’

बनर्जी ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने गैर-भाजपा दलों के नेताओं और पदाधिकारियों के खिलाफ सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय और अन्य संस्थानों का ‘‘बेशर्मी और बदले की भावना से दुरुपयोग’’ किया है।

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने ‘‘जानबूझकर’’ राज्य सरकारों, विशेष रूप से गैर-भाजपा दलों द्वारा शासित राज्यों सरकारों को धन का हस्तांतरण रोक दिया। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘इसलिए हम आम लोगों को लाभान्वित करने के लिए अपनी विकास और कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने में समस्याओं का सामना कर रहे हैं।’’

बनर्जी ने आरोप लगाया, ‘‘भाजपा ने संदिग्ध स्रोतों से असीमित संसाधनों को जुटाया है जिसका इस्तेमाल वह निर्वाचित गैर-भाजपा सरकारों को गिराने में कर रही है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मोदी सरकार द्वारा राष्ट्र की संपत्तियों का निजीकरण करना भी लोकतंत्र पर हमला है क्योंकि ये संपत्तियां भारत की जनता की है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कुल मिलाकर, केंद्र-राज्य संबंध, और केंद्र में सत्तारूढ पार्टी और विपक्षी पार्टियों के बीच संबंध भी, स्वतंत्र भारत के इतिहास में कभी भी इतने बुरे नहीं रहे हैं जितने कि अब हैं, और इसके लिए प्रधानमंत्री के सत्तावादी आचरण को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।’’

बनर्जी ने इस बात को भी रेखांकित किया कि इन घटनाक्रमों के पीछे एक ‘‘स्पष्ट तरीका’’और उद्देश्य किस तरह से है और आरोप लगाया कि भाजपा गैर-भाजपा दलों के लिए अपने संवैधानिक अधिकारों और स्वतंत्रता का उपयोग करना असंभव बनाना चाहती है।

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘यह राज्य सरकारों की शक्तियों को कम करना और उन्हें महज नगरपालिकाओं तक सीमित करना चाहती है। संक्षेप में, यह भारत में एक-पक्षीय सत्तावादी शासन स्थापित करना चाहती है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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