न्यूयॉर्क:मालदीव ने संयुक्त राष्ट्र में ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) की वर्चुअल बैठक में भारत पर लग रहे इस्लामोफोबिया के आरोप का जवाब दिया है। बैठक में पाकिस्तान ने भारत में कथित रूप से बढ़ते हुए इस्लामोफोबिया को लेकर आरोप लगाए।
पाकिस्तान के आरोपों का मालदीव जवाब देते हुए कहा, सोशल मीडिया पर चंद लोग जो हरकतें या बयानबाजी करते हैं, उसे 130 करोड़ भारतीयों की राय नहीं समझा जा सकता। ये भारत के खिलाफ एक प्रोपोगेंडा है।
संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में मालदीव के स्थायी प्रतिनिधि थिलमीजा हुसैन ने कहा, भारत के संदर्भ में इस्लामोफोबिया का आरोप लगाना तथ्यात्मक रूप से गलत होगा।
थिलमीजा हुसैन ने कहा, भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और बहु-सांस्कृतिक समाज है। वहां कई धर्मों के लोगों के अलावा 20 करोड़ मुस्लिम भी रहते हैं। ऐसे में इस्लामोफोबिया का आरोप लगाना या इसकी बात करना तथ्यात्मक रूप से गलत होगा।
पाकिस्तान के राजदूत ने कहा- भारत सक्रिय रूप से इस्लामोफोबिया के एजेंडा को बढ़ावा दे रहा है
बैठक के दौरान पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम ने प्रस्ताव रखा कि भारत सक्रिय रूप से इस्लामोफोबिया के एजेंडा को बढ़ावा दे रहा है। ओआईसी के राजदूतों की आयोजित बैठक में दक्षिण एशिया में इस्लामोफोबिया बढ़ने के मुद्दे पर चर्चा की गई थी। मालदीव ने इसको लेकर कहा, इस्लामोफोबिया को लेकर ओआईसी को दक्षिण एशिया के किसी एक देश पर निशाना नहीं साधना चाहिए।
थिलमीजा हुसैन ने कहा, दुनिया ने घृणा, पूर्वाग्रह और नस्लवाद की संस्कृति में एक खतरनाक वृद्धि देखी है। राजनीतिक और अन्य विचारधाराओं / एजेंडों को बढ़ावा देने के लिए हिंसा के रूप में हिंसा का इस्तेमाल किया गया है। मालदीव दुनिया में कहीं भी हो रहे इस तरह के कृत्य के खिलाफ मजबूती से खड़ा है।
थिलमीजा हुसैन ने साफ कहा कि इस्लामोफोबिया, ज़ेनोफ़ोबिया या किसी भी तरह की हिंसा, जो राजनीतिक या किसी अन्य एजेंडे को बढ़ावा देती है, मालदीव उसका पुरजोर विरोध करता है।
थिलमीजा हुसैन ने कहा, मालदीव ओआईसी के भीतर किसी भी कार्रवाई का समर्थन नहीं कर सकता है, जो भारत को एकल या लक्षित करता है।
ओआईसी ने भारत पर कोरोना वायरस के जरिए मुस्लिमों की छवि खराब कर इस्लामोफोबिया फैलाने का आरोप लगाया था
इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के मानवाधिकार आयोग ने भी भारत पर कोरोना वायरस के जरिए मुस्लिमों की छवि खराब कर इस्लामोफोबिया फैलाने का आरोप लगाया और इसकी निंदा की थी।
ओआईसी के स्वतंत्र स्थायी मानवाधिकार आयोग (आईपीएचआरसी)ने एक ट्वीट में यह भी कहा था भारतीय मीडिया मुस्लिमों की नकारात्मक छवि बना रही है और उनके साथ भेदभाव कर रही है। संगठन ने ट्वीट किया था, ‘‘ओआईसी-आईपीएचआरसी भारत सरकार से अनुरोध करता है कि वह भारत में बढ़ रहे ‘इस्लामोफोबिया’ को रोकने और मुस्लिम अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए तुरंत कदम उठाए।’’ इस बारे में विदेश मंत्रालय ने तत्काल कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है।
इससे पहले भारत ने मुस्लिम बहुल 57 देशों के संगठन पर हमला करते हुए कहा कि ओआईसी जैसे संगठनों को गैर जिम्मेदाराना बयान नहीं देना चाहिए।