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टीकाकरण को जनअभियान बनाएं लोकतांत्रिक संस्थाएं : ओम बिरला

By भाषा | Updated: June 22, 2021 18:39 IST

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नई दिल्ली, 22 जून कोविड-19 महामारी के खिलाफ टीकाकरण को सबसे मजबूत कवच बताते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को कहा कि देश की सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं को आगे आकर इस अभियान को मजबूत बनाने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए।

लोकसभा सचिवालय के बयान के अनुसार, लोकसभा अध्यक्ष ने राज्यों के विधान मंडलों के अध्यक्षों को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस से केंद्र एवं राज्य सरकारों ने देश भर में सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए टीकाकरण अभियान को वृहद स्वरूप दिया है।

उन्होंने कहा, ‘‘ ऐसे में देश की सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं को भी आगे आकर इस अभियान को मजबूत बनाने में अपनी भूमिका चाहिए। ’’ बिरला ने कहा कि लोकतांत्रिक संस्थाओं और उनमें निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का आमजन से सीधा जुड़ाव होता है और कोविड के दौरान राहत कार्यों का नेतृत्व कर जनप्रतिनिधियों ने इस जुड़ाव को और मजबूत किया है।

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि अब जब कोरोना की दूसरी लहर लगभग नियंत्रित हो चुकी है, ऐसे में जनप्रतिनिधियों का दायित्व है कि वे संभावित तीसरी लहर को आने से रोकने में योगदान दें। उन्होंने कहा कि तीसरी लहर को रोकने और कोरोना से देश की जनता की रक्षा का सर्वश्रेष्ठ माध्यम टीकाकरण ही है।

बिरला ने कहा कि संसद, विधानसभाओं, जिला परिषदों, पंचायत समितियों और ग्राम पंचायतों के सदस्य अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए आगे आएं और लोगों को जल्द से जल्द टीका लगवाने के लिए प्रोत्साहित करें।

उन्होंने कहा कि हमें टीकाकरण के प्रति आमजन के मन में बनी शंकाओं और भ्रम को भी दूर करना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘ जनता का जनप्रतिनिधियों पर विश्वास होता है । जनप्रतिनिधि उन्हें बताएं कि टीकाकरण पूरी तरह सुरक्षित है और कोरोना के खिलाफ सबसे सशक्त माध्यम है।’’

बिरला ने संवाद के दौरान विधानमंडलों के अध्यक्षों और प्रतिनिधियों से लोकसभा अध्यक्ष के रूप में अपने दो वर्ष के कार्यकाल के अनुभव भी साझा किए। लोकसभा अध्यक्ष ने उन्हें बताया कि लोकसभा में सदन के नेता प्रधानमंत्री और सभी दलों के नेताओं के सामूहिक प्रयासों से कार्य उत्पादकता बढ़ी है तथा विषयों व विधेयकों पर चर्चा की गुणवत्ता में अभिवृद्धि हुई है।

उन्होंने कहा कि सदन में सभी दलों के नेताओं को अपनी बात रखने के लिए पर्याप्त समय व अवसर उपलब्ध करवाया गया जिससे जनभावनाओं की सदन में सशक्त अभिव्यक्ति संभव हो सकी।

उन्होंने कहा कि इस दौरान पांचों सत्रों में सदन ने 122.2 प्रतिशत उत्पादकता हासिल की और 107 विधेयक पारित किए जो पिछली लोकसभाओं की तुलना में कहीं अधिक है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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