महाराष्ट्र में नई सरकार गठन को लेकर जारी गतिरोध के बीच अब सबकी नजरें राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर टिक गई हैं। महाराष्ट्र की वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल शनिवार (9 नवंबर) को समाप्त हो रहा है।
राज्य में नई सरकार गठन पर जारी संशय के बीच गुरुवार को बीजेपी प्रतिनिधमंडल राज्यपाल से मिला और उन्होंने वर्तमान राजनीतिक हालातों से अवगत कराया। राज्यपाल से मुलाकार करने वाले बीजेपी नेताओं में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल, राज्य सरकार में मंत्री सुधीर मुनगंटीवार और गिरीश महाजन शामिल थे।
देवेंद्र फड़नवीस को देना होगा इस्तीफा
शनिवार को मुख्यमंत्री देंवेंद्र फड़नवीस और उनके मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ेगा क्योंकि वर्तमान सरकार का कार्यकाल उसी दिन खत्म हो रहा है। माना जा रहा है कि तब तक राज्यपाल सबसे बड़ा दल होने के नाते भारतीय जनता पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर सकते हैं।
24 अक्टूबर को आए महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के नतीजों के बा से ही शिवसेना ढाई-ढाई साल सीएम पद की मांग पर पड़ी है और बीजेपी इस मांग को पूरा करने को तैयार नहीं है। इन चुनावों में बीजेपी 105 सीटें जीतकर सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है। वहीं शिवसेना ने 56, एनसीपी ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीटें जीती हैं।
क्या अब राष्ट्रपति शासन ही है विकल्प?
अब सवाल ये कि क्या 9 नवंबर तक नई सरकार का गठन न होने पर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ेगा। संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य की राजनीतिक पार्टियों को अब भी सरकार बनाने की उनकी कोशिशों को अमलीजामा पहनाने के लिए और समय दिया जा सकता है और सरकार गठन के सभी विकल्पो को तलाशने के बाद ही राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होगा।
संविधान विशेषज्ञों के मुताबिक, राज्यपाल को विधानसभा के आखिरी दिन से पहले सबसे बड़े दल को सरकार गठन के लिए बुलाना होता है। इस मामले में राज्यपाल अपने विवेक के अनुसार बीजेपी को सरकार बनाने का समय दे सकते हैं। लेकिन ये उचित समयावधि होनी चाहिए। अगर बीजेपी सरकार बनाने या बहुमत साबित करने में असफल रहती है, तो अगले राजनीतिक दल को भी यही मौका दिया जा सकता है।
राज्यपाल नियुक्त कर सकते हैं अस्थाई सीएम
विशेषज्ञों के मुताबिक, राज्यपाल नई सरकार के गठन तक वर्तमान प्रशासन को ही देखरेख के लिए कह सकते हैं। यानी नई सरकार गठन तक देंवेद्र फड़नवीस ही अस्थाई तौर पर सीएम रह सकते हैं। इससे प्रशासनिक शून्यता से बचा जा सकेगा।
हालांकि विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि राज्यपाल बीजेपी को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए समय तो दे सकते हैं, लेकिन वह सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए कोई अतिरिक्त मार्ग या समय नहीं दे सकते हैं।