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महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन: जानें राज्य के मौजूदा हालात को लेकर क्या है विशेषज्ञों की राय

By भाषा | Updated: November 12, 2019 20:51 IST

पिछले महीने हुए चुनाव के बाद सरकार गठन को लेकर चल रहे गतिरोध के बीच मंगलवार को कोश्यारी की केंद्र को भेजी रिपोर्ट और केंद्रीय कैबिनेट की अनुशंसा पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।

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ठळक मुद्देसांविधानिक विशेषज्ञ उल्हास बापट ने निर्णय को संभावित असंवैधानिक करार दिया। वरिष्ठ वकील और महाराष्ट्र के पूर्व महाधिवक्ता श्रीहरि अने ने कहा कि राज्यपाल को ‘‘यथोचित रूप से संतुष्ट’’ होने के बाद राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा करनी चाहिए थी कि कोई भी पार्टी स्थिर सरकार नहीं बना सकती है।

महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुशंसा करने के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के निर्णय को लेकर कानूनी विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है। पिछले महीने हुए चुनाव के बाद सरकार गठन को लेकर चल रहे गतिरोध के बीच मंगलवार को कोश्यारी की केंद्र को भेजी रिपोर्ट और केंद्रीय कैबिनेट की अनुशंसा पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।

सांविधानिक विशेषज्ञ उल्हास बापट ने निर्णय को संभावित असंवैधानिक करार दिया। उन्होंने कहा, ‘‘इस राष्ट्रपति शासन को असंवैधानिक करार दिया जा सकता है क्योंकि महाराष्ट्र के राज्यपाल ने भाजपा को दो दिन दिया (सरकार बनाने की इच्छा का संकेत देने के लिए) लेकिन उन्होंने दो अन्य दलों को केवल 24 घंटे का वक्त दिया। यह पक्षपाती रूख प्रतीत होता है।’’

वरिष्ठ वकील और महाराष्ट्र के पूर्व महाधिवक्ता श्रीहरि अने ने कहा कि राज्यपाल को ‘‘यथोचित रूप से संतुष्ट’’ होने के बाद राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा करनी चाहिए थी कि कोई भी पार्टी स्थिर सरकार नहीं बना सकती है। अने ने कहा कि 24 अक्टूबर को चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद ही सभी राजनीतिक दलों के पास बहुमत साबित करने के लिए साथ मिलकर संख्या बल जुटाने का मौका था।

अने ने पीटीआई से कहा, ‘‘यह कहना दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्यपाल द्वारा बुलाए जाने से पहले पार्टियां सरकार बनाने को लेकर गंभीर नहीं थीं।’’

बापट ने राष्ट्रपति शासन को आपातकाल के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाली ‘‘दवा’’ करार दिया जब कोई भी विकल्प नहीं बचा हो। उन्होंने कहा, ‘‘राज्य में चार बड़े राजनीतिक दल हैं लेकिन राज्यपाल ने उनमें से केवल तीन को आमंत्रित किया (कांग्रेस को छोड़ दिया गया) और राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा कर दी। मेरा मानना है कि उच्चतम न्यायालय में अगर राज्यपाल की अनुशंसा को चुनौती दी जाती है तो यह बड़ा तर्क होगा।’’

बापट ने कहा कि राज्यपाल को शिवसेना और राकांपा को दो दिनों का समय देना चाहिए था जैसा कि भाजपा को दिया गया।

बहरहाल अने ने कहा कि राज्यपाल जब ‘‘यथोचित रूप से संतुष्ट’’ हो जाएं कि कोई भी दल स्थिर और टिकाऊ सरकार नहीं बना सकते तो वह राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा कर सकते हैं।

वरिष्ठ वकील मिलिंद साठे ने कहा कि राष्ट्रपति शासन सामान्य रूप से छह महीने तक रहता है। साठे ने पीटीआई से कहा, ‘‘केवल विशेष परिस्थितियों में राष्ट्रपति शासन का विस्तार किया जाता है।’’ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को महाराष्ट्र में अनुच्छेद 356 (1) के तहत राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने की घोषणा पर हस्ताक्षर किए और विधानसभा को निलंबित अवस्था में रख दिया गया।

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