जिस पार्टी ने इस सीट पर की जीत हासिल, उसकी नहीं बनी सरकार, 40 सालों से बना हुआ अंधविश्वास 

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: October 18, 2019 06:01 IST2019-10-18T06:01:29+5:302019-10-18T06:01:29+5:30

ब्रह्मपुरी विधानसभा क्षेत्रः सन 1962 में यह क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था. उस समय कांग्रेस उम्मीदवार गोविंद मेश्रम ने यहां से जीत हासिल की थी. 1962 के बाद से यह क्षेत्र खुला प्रवर्ग के लिए कर दिया गया. 1962 से 1978 तक क्षेत्र में कांग्रेस का दबदबा रहा तथा कांग्रेस उम्मीदवार जीतते  रहे.

maharashtra polls: bramhapuri assembly constituency history seat superstition | जिस पार्टी ने इस सीट पर की जीत हासिल, उसकी नहीं बनी सरकार, 40 सालों से बना हुआ अंधविश्वास 

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Highlightsचंद्रपुर जिले के ब्रह्मपुरी विधानसभा क्षेत्र में किसी भी एक पार्टी का एकाधिकार नहीं रहा. कांग्रेस, जनता दल, शिवसेना, भाजपा आदि के उम्मीदवार यहां से जीतते रहे हैं. इतना ही नहीं यहां के मतदाताओं ने निर्दलीय को भी विधायक बनाकर विधानसभा भेजा है. लेकिन इस क्षेत्र की एक विशेषता यह रही है कि पिछले 40 वर्षो में जिस पार्टी का उम्मीदवार यहां से जीता है.

नुरूल हक अंसारी

चंद्रपुर जिले के ब्रह्मपुरी विधानसभा क्षेत्र में किसी भी एक पार्टी का एकाधिकार नहीं रहा. कांग्रेस, जनता दल, शिवसेना, भाजपा आदि के उम्मीदवार यहां से जीतते रहे हैं. इतना ही नहीं यहां के मतदाताओं ने निर्दलीय को भी विधायक बनाकर विधानसभा भेजा है. लेकिन इस क्षेत्र की एक विशेषता यह रही है कि पिछले 40 वर्षो में जिस पार्टी का उम्मीदवार यहां से जीता है, उस पार्टी की राज्य में सत्ता नहीं आई है. अर्थात यहां से हमेशा सत्ता विरोधी विधायक ही चुनकर आए हैं.

सन 1962 में यह क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था. उस समय कांग्रेस उम्मीदवार गोविंद मेश्रम ने यहां से जीत हासिल की थी. 1962 के बाद से यह क्षेत्र खुला प्रवर्ग के लिए कर दिया गया. 1962 से 1978 तक क्षेत्र में कांग्रेस का दबदबा रहा तथा कांग्रेस उम्मीदवार जीतते  रहे. 1967 व 1972 में कांग्रेस उम्मीदवार बलीराम गुरपुडे  विजयी रहे. 

इसके बाद कांग्रेस के ही बाबूराव भेंडारकर ने रिपा उम्मीदवार मारोतराव कांबले को शिकस्त दी. इसके पश्चात कांग्रेस की लोकप्रियता घटने लगी. 1980 में निर्दलीय उम्मीदवार बाबासाहब खानोरकर ने कांग्रेस के अब्दुल धमानी को शिकस्त दी. 

1985 में भी बाबासाहब खानोरकर ने कांग्रेस (एस) पार्टी से चुनाव लड़ा तथा कांग्रेस के बागी उम्मीदवार श्रीराम भोयर को हराया. 1990 में शिवसेना लहर में शिवसेना प्रत्याशी नामदेव दोनाड़क ने कांग्रेस के बागी प्रत्याशी शांताराम पोटदुखे को पराजित किया था.

1995 में बाबासाहब खानोरकर जनता दल प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरे तथा भाजपा के वासुदेवराव पाथोड़े को शिकस्त देने में सफल रहे. 1999 में भाजपा के उद्ववराव शिंगाडे ने बाजी मारी. इस चुनाव में कांग्रेस के बागी उम्मीदवार अशोक भैया ने 25,200 वोट हासिल किए थे. जिसकी वजह से रिपा प्रत्याशी मारोतराव कांबले को हार का सामना करना पड़ा था. 

2004 में भाजपा के प्रा. अतुल देशकर ने राकांपा के दामोदर मिसार को हराया. 2009 में प्रा. अतुल देशकर निर्दलीय उम्मीदवार संदीप गड्डमवार को शिकस्त देकर दूसरी बार निर्वाचित हुए. परंतु 2014 के चुनाव में भाजपा को यहां से हार का सामना करना पड़ा. तिकड़ी की आस लगाए बैठे प्रा. देशकर को चिमूर विधानसभा क्षेत्र  छोड़कर पहली बार ब्रम्हपुरी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरे कांग्रेस के दिग्गज नेता विजय वडेट्टीवार ने मात दे दी. 

21 अक्तूबर 2019 को होने जा रहे चुनाव के लिए फिर एक बार यहां से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में विजय वडेट्टीवार चुनाव मैदान में हैं. यह सीट शिवसेना के कोटे में है. पार्टी ने संदीप वामनराव गड्डमवार चुनाव मैदान में उतारा है.

अन्य उम्मीदवारों में वंचित बहुजन आघाड़ी के पूर्व न्यायाधीश चंदूलाल मेश्रम, आम आदमी पार्टी से अधि. पारोमिता गोस्वामी, संभाजी ब्रिगेड के जगदीश पिलारे, कम्युनिस्ट पार्टी के विनोद झोड़गे के नामों की घोषणा हो चुकी है.

राकांपा से कौन कब लड़ा?

कांग्रेस से गठबंधन के बाद जिले की ब्रह्मपुरी सीट से वर्ष 2004 में राकांपा ने दामोदर मिसार को टिकट दी थी. उन्हें 38734 वोट मिले थे. वर्ष 2014 में गठबंधन टूटने के बाद संदीप गड्डमवार को उम्मीदवारी दी और उन्हें 44878 वोट मिले. वरोरा विधानसभा सीट से 1999 में बाबा वासाड़े ने राकांपा की टिकट पर चुनाव लड़ा तथा 26056 वोट हासिल किए.  

1999 में चिमूर से श्रीधर लोढे ने चुनाव लड़ा. उन्हें 13385 वोट मिले. पहले सावली अब बल्लारपुर विधानसभा क्षेत्र से 1999 में राम महाडोरे ने राकांपा से चुनाव लड़ा था तथा 30268 वोट लिए थे. वर्ष 2014 में  सुदर्शन निमकर ने राकांपा से चुनाव लड़ा तथा 29235 वोट प्राप्त किए. इसके अलावा जिले में विधानसभा चुनाव में किसी भी सीट पर राकांपा टॉप थ्री में स्थान बनाने में कभी सफल नहीं रही.

Web Title: maharashtra polls: bramhapuri assembly constituency history seat superstition

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