लाइव न्यूज़ :

नक्सल लिंक पर सुप्रीम कोर्ट में बोली महाराष्ट्र पुलिस, सबूत तक मिटा सकते हैं आरोपी

By भाषा | Updated: September 5, 2018 20:30 IST

राज्य पुलिस ने इस नोटिस के जवाब में ही अपने हलफनामे में दावा किया है कि ये कार्यकर्ता देश में हिंसा फैलाने और सुरक्षा बलों पर घात लगाकर हमला करने की योजना बना रहे थे।

Open in App

नई दिल्ली, 5 सितंबर:महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय में दावा किया कि पांच कार्यकर्ताओं को असहमति के उनके दृष्टिकोण की वजह से नहीं बल्कि प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) से उनके संपर्को के बारे में ठोस सबूत के आधार पर गिरफ्तार किया गया है।

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने 29 अगस्त को इन कार्यकर्ताओं को छह सितंबर तक घरों में ही नजरबंद रखने का आदेश देते हुये महाराष्ट्र पुलिस को नोटिस जारी किया था। इस नोटिस के जवाब में ही राज्य पुलिस ने बुधवार को हलफनामा दाखिल किया।

न्यायालय ने भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में इन कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के खिलाफ इतिहासकार रोमिला थापर तथा अन्य की यचिका पर 29 अगस्त को सुनवाई के दौरान स्पष्ट शब्दों में कहा था कि ‘‘असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वाल्व’’ है। यह पीठ गुरूवार को इस मामले में आगे सुनवाई करेगी।

राज्य पुलिस नोटिस के जवाब में दिया हलफनामा 

राज्य पुलिस ने इस नोटिस के जवाब में ही अपने हलफनामे में दावा किया है कि ये कार्यकर्ता देश में हिंसा फैलाने और सुरक्षा बलों पर घात लगाकर हमला करने की योजना बना रहे थे।

राज्य पुलिस का कहना है कि असहमति वाले दृष्टिकोण की वजह से इन्हें गिरफ्तार करने की धारणा को दूर करने के लिये उसके पास पर्याप्त साक्ष्य हैं।

महाराष्ट्र पुलिस ने गिरफ्तार कार्यकर्ताओं से पूछताछ के लिये उन्हें हिरासत में देने का अनुरोध करने के साथ ही सवाल उठाया है कि याचिकाकर्ता रोमिला थापर, और अर्थशास्त्री प्रभात पटनायक तथा देविका जैन, समाजशास्त्री सतीश देशपाण्डे और कानून विशेषज्ञ माजा दारूवाला ने किस हैसियत से याचिका दायर की है और कहा कि वे इस मामले की जांच से अजनबी हैं।

28 अगस्त को किया था गिरफ्तार 

महाराष्ट्र पुलिस ने 28 अगस्त को कई राज्यों में प्रमुख वामपंथी कार्यकर्ताओं के घरों पर छापे मारे थे और माओवादियों से संपर्क होने के संदेह में कम से कम पांच कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। इन गिरफ्तारियों को लेकर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने जबर्दस्त विरोध किया था।

पुलिस ने इस छापेमारी के दौरान प्रमुख तेलुगु कवि वरवरा राव को हैदराबाद और वेर्नन गोन्साल्विज और अरूण फरेरा को मुंबई से गिरफ्तार किया गया था जबकि ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को फरीदाबाद और नागिरक अधिकारों के कार्यकर्ता गौतम नवलखा को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था।

पुलिस ने पिछले साल 31 दिसंबर को पुणे के निकट आयोजित एलगार परिषद कार्यक्रम के बाद भीमा-कोरेगांव गांव में भड़की हिंसा की जांच के सिलसिले में ये छापेमारी की थी।

हलफनामे में कहा गया है कि गिरफ्तार किये गये कार्यकर्ता आपराधिक साजिश का हिस्सा थे और वे प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) के सक्रिय सदस्य हैं जिन्होंने एलगार परिषद के बैनर तले सार्वजनिक बैठकों का आयोजन किया था।

हलफनामे में कहा गया है कि राज्य प्रत्येक नागरिक के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिये प्रतिबद्ध है और असहमति पूर्ण दृष्टिकोण या वैचारिक मतभेद या राजनीतिक विचारधारा पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता और प्रत्येक देश में हमेशा इसका स्वागत होना चाहिए।

पुलिस का दावा गिरफ्तार हुए लोगों के खिलाफ मिले अहम सबूत 

हलफनामे में कहा गया है कि वे पांच आरोपी, जिनके हितों की खातिर मौजूदा याचिका दायर की गयी है, किसी राजनीतिक या वैचारिक असहमति के आधार पर गिरफ्तार नहीं किये गये हैं बल्कि आठ जनवरी, 2018 (प्राथमिकी दर्ज करने की तारीख) से चल रही जांच के दौरान उनके खिलाफ गंभीर आपराधिक आरोपों का पता चला और उनके खिलाफ आपत्तिजनक सामग्री भी मिली।

हलफनामे में कहा गया है कि यह न्यायालय उन व्यक्तियों के मामले को देख रहा है जिनके खिलाफ अभी तक रिकार्ड पर आये ठोस साक्ष्यों से पता चलता है कि वे प्रतिबंधित आतंकी संगठन भाकपा (माओवादी) के सक्रिय सदस्य हैं और वे न सिर्फ हिंसा की योजना की तैयारी में संलिप्त थे बल्कि 2009 से प्रतिबंधित आतंकी संगठन भाकपा (माओवादी) के एजेन्डे के अनुरूप समाज में बड़े पैमाने पर हिंसा, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और अव्यवस्था पैदा करने की प्रक्रिया में थे।

गिरफ्तार पहली बार किसी प्राथमिकी में आरोपी नहीं बनाए गए

पुलिस ने न्यायालय से यह भी कहा है कि पांचों गिरफ्तार पहली बार किसी प्राथमिकी में आरोपी नहीं बनाये गये हैं बल्कि कुछ की पहले की भी ‘आपराधिक पृष्ठभूमि’ थी और वे जेल भी गये थे।

हलफनामे के अनुसार कार्यकर्ताओं की खोज में जून महीने में रोना विल्सन, सुरेन्द्र गाडगिल, सुधीर धवले और कुछ अन्य के वीडियोग्राफ लिये गये थे।

हलफनामे में यह भी कहा गया है कि आरोपी व्यक्तियों के कम्प्यूटर/लैपटाप्स/पेन ड्राइव्स/मेमोरी कार्ड्स से मिली सामग्री चौंकाने वाली है और यह साफतौर पर इन व्यक्तियों के न सिर्फ भाकपा (माओवादी) के सक्रिय सदस्य होने की पुष्टि करते हैं बल्कि अपराध करने के उनके राजनीतिक मंसूबे का पता चलता है। इससे यह भी पता चलता है कि वे समाज में अस्थिरता पैदा करने के लिये अपराध करने की प्रक्रिया में थे।

टॅग्स :भीमा कोरेगांवमहाराष्ट्र
Open in App

संबंधित खबरें

भारतमहाराष्ट्र महागठबंधन सरकारः चुनाव से चुनाव तक ही बीता पहला साल

भारतMaharashtra Civic Poll 2025 UPDATE: पूरे राज्य में मतगणना स्थगित, 21 दिसंबर को नए नतीजे की तारीख तय, सीएम फडणवीस ‘त्रुटिपूर्ण’ प्रक्रिया पर जताई नाराजगी

भारतMaharashtra Local Body Elections: महाराष्ट्र निकाय चुनाव के लिए वोटिंग शुरू, भाजपा और शिवसेना के बीच मुकाबला

भारतMaharashtra Local Body Polls 2025: राज्य के 242 नगर परिषदों और 46 नगर पंचायतों में 2 दिसंबर को मतदान, 3 को होगी मतगणना

भारतमहाराष्ट्र सीएम देवेंद्र फडणवीस ने आखिरी समय में नगर निगम चुनाव टालने के लिए चुनाव आयोग की आलोचना की | VIDEO

भारत अधिक खबरें

भारतकथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा जयपुर में बने जीवनसाथी, देखें वीडियो

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल

भारतजमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मानित, सीएम नीतीश कुमार ने सदस्यता अभियान की शुरुआत की

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत