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महाराष्ट्र: NCP ने शाम साढ़े चार बजे बुलाई विधायकों की बैठक, पार्टी में दो फाड़

By रोहित कुमार पोरवाल | Updated: November 23, 2019 11:20 IST

महाराष्ट्र में शनिवार तड़के देवेंद्र फड़नवीस के सीएम और अजित पवार के उपमुख्यमंत्री बनने के साथ ही राज्य में सियासी भूचाल आ गया है।

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ठळक मुद्देएनसीपी प्रमुख शरद पवार ने ट्वीट कर कहा, ‘‘महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए भाजपा को समर्थन देने का अजित पवार का फैसला उनका व्यक्तिगत निर्णय है। यह राकांपा का फैसला नहीं है। हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि हम इस फैसले का समर्थन नहीं करते।’’संजय राउत ने कहा, ‘‘अजित पवार ने शिवसेना की पीठ में छुरा घोंपा है। सरकार बनाने के लिए भाजपा से हाथ मिलाना विश्वासघात है।’’

महाराष्ट्र में शनिवार तड़के देवेंद्र फड़नवीस के सीएम और अजित पवार के उपमुख्यमंत्री बनने के साथ ही राज्य में सियासी भूचाल आ गया है। ज्यादातर लोग और पार्टियां इस घटनाक्रम को लेकर भौचक्के हैं। इसी बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख ने सियासत का पारा यह कहकर और चढ़ा दिया कि पार्टी नयी सरकार के साथ नहीं है, अजित पवार ने बीजेपी को समर्थन दिया है। एनसीपी ने शाम साढ़े चार बजे अपने सभी विधायकों की बैठक बुलाई है।

अजित पवार के उपमुख्यमंत्री बनने और एनसीपी प्रमुख शरद पवार का बयान आने के बाद पार्टी में दो फाड़ को लेकर कयासबाजी जोर पकड़ गई है। 

एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने ट्वीट कर कहा, ‘‘महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए भाजपा को समर्थन देने का अजित पवार का फैसला उनका व्यक्तिगत निर्णय है। यह राकांपा का फैसला नहीं है। हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि हम इस फैसले का समर्थन नहीं करते।’’

चुनाव परिणाम के बाद पूरे सियासी घटनाक्रम में मजबूती के साथ सक्रिय रहे शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने अजित पवार को लेकर नाराजगी जताई। संजय राउत ने कहा, ‘‘अजित पवार ने शिवसेना की पीठ में छुरा घोंपा है। सरकार बनाने के लिए भाजपा से हाथ मिलाना विश्वासघात है।’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘अजित पवार के फैसले में राकांपा प्रमुख शरद पवार की मंजूरी नहीं है।’’

राउत ने यह भी कहा कि शरद पवार और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे जल्द ही एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करेंगे।

बता दें कि महाराष्ट्र में कुल 288 सीटों के लिए हुए मतदान में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54, कांग्रेस को 44 और निर्दलीय समेत अन्य पार्टियों को 29 सीटें मिली थीं। सरकार बनाने के लिए 145 सीटें चाहिए थीं।

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